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गुरुग्राम क्षेत्र में 50 प्रतिशत लोग व्यक्तिगत कमजोरी मानते हैं मानसिक बीमारी का कारण : सर्वे रिपोर्ट

गुरुग्राम। वर्तमान दौर में सभी लेाग अपनी जिंदगी में बहुत सी बीमारियों का प्रतिदिन सामना करते है, परन्तु हम अधिकतर शारीरिक बीमारियों पर ही ध्यान देते है, लेकिन मानसिक बीमारियों की और ध्यान नही देते। ये सभी मानसिक बीमारियां इंसान को और अधिक कमजोर बना देती है। इसलिए इसकी जागरुकता और इसके कलंक को मिटाने के लिए हर साल 24 मई को विश्व स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है। इस बार विश्व स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस का विषय ‘स्टीग्मा रीमूविंग’ (मानसिक बीमारी के कंलक को मिटाना) है। संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) द्वारा कोविड-19 लॉकडाउन के बीच मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह में जारी किये गए एक सर्वे में सामने आया हैं कि गुरुग्राम के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में 50 प्रतिशत से अधिक लोग व्यक्तिगत कमजोरी को ही मानसिक बीमारी का मुख्य कारण मानते है।

  • 400 लोगों पर हुआ सर्वे

संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) की ट्रस्टी रीता सेठ ने बताया कि उन्होंने गुरुग्राम के शहरी क्षेत्र व चार गावँ मे मानसिक रोगों की जानकारी को लेकर400 से अधिक लेागों पर सर्वे किया था, जिसकी रिपोर्ट मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह के दौरान जारी की गयी। जिसमें जाना गया कि लेाग मानसिक बीमारी और उसके कारण व निदान के बारे में कितना जानते है। इस पर सामने आया कि 89 प्रतिशत लेागों ने मानसिक बीमारी के बारे में सुना है लेकिन इन बीमारियों के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। वहीं 50 प्रतिशत लोग मानते है कि जो व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रुप से अपने को कमजोर मानते है वही मानसिक बीमारी है। इसके साथ ही 35 प्रतिशत लोग मानते है कि यह किसी बुरे कर्म का नतीजा है और 43 प्रतिशत मानते है कि मानसिक बीमार व्यक्ति किसी भी काम को करने के लिए फिट नही है। उन्होने बताया कि यह सर्वे वर्ष 2018-19 से बीच किया गया जिसका रिपोर्ट अब जारी किया गया है।
उन्होने बताया कि हमारे समाज में कई तरह की रुढ़ीवादी परम्पराएँ चली आ रही हैं जिसके कारण भी मानसिक बीमारी का पता आसानी से नही लगता हैं। इसीलिए मानसिक बीमारी के कलंक को मिटाने के लिए हर साल स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है।
मनाने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि लोगों को मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक किया जा सके और इसके प्रति फैली भ्रांतियों से भी अवगत कराया जा सके। इस भाग दौड़ भरी लाइफ में वयक्ति में बहुत तरह की मानसिक परेशानियां होती हैं जो कभी कभी जीवन में बहुत गहरा प्रभाव डालती हैं। अक्सर ऐसे मामले भी देखने को मिलते है जिनमें कई लोग मानसिक परेशानियों के चलते आत्महत्या तक कर लेते है।

  • अवसर मिले तो बनेंगे सफल

सर्वे में लोगों ने कहा कि मानसिक बीमारी वाले लोग महत्वाकांक्षी, प्रेरित, बुद्धिमान या सक्षम नहीं हैं और वे यह भी मानते है कि मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति तनाव को संभालने में असमर्थ होते हैं, उन्होंने कहा कि ये लोग बहुत बीमार और खतरनाक भी होते हैं। हालाँकि, ये सभी मिथक हैं। मानसिक बीमारी से पीड़ित लोग को भी रोजगार की आवश्यकता होती है। ये लोग सफल हो सकते हैं, अगर उन्हें समय पर दवाईयां और सामाजिक सहायता के साथ साथ अवसर दिया जाए।
स्क्रिजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है जहाँ व्यक्ति भ्रम और मतिभ्रम (आवाजे सुनाई देना व स्वयं से करना ) का अनुभव करते हैं। हमें यह समझने की भी आवश्यकता है कि स्क्रिजोफ्रेनिया से पीडिउ़त व्यक्ति को इससे भी कहीं अधिक अनुभव होता है
जैसे आक्रामकता, संदेह और भयभीत होना ये भी सिजोफ्रेनिया के लक्षण हैं। मानसिक बीमारी से उबर चुके विजय कुमार बतातें है कि ‘‘लेाग मुझसे बात नही करना चाहते थे और मुझे देखकर दूर भागते थे पास नही आना चाहते थे। इससे मुक्ति के लिए परिवार के लोगो ने कभी तांत्रिक तो कभी ग्रामीण चिकित्सकों को दिखाया पर कोई परिणाम नही आया। परन्तु मेरे जैसे लोगो को समय पर दवाई, उचित परामर्श और हमारी पसंद का काम मिले तो जिंदगी को आसानी से जिया जा सकता है।’’

  • लाॅकडाउन में मानसिक बीमारी पर जागरुकता

संबध हैल्थ फाउंडेशन की और से कोविड-19 महामारी के बीच मानसिक बीमारियों पर जागरुकता के लिए 1 मई से 31 मई 2020 तक ‘‘मानसिक बीमारियों के समाधान पर जागरुकता’ ’कार्यक्रम चलाया जा रहा है। मानसिक रोग जागकता माह के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। और मानसिक बीमारी पर लोगों की धारणा जानने और ऐसे लोगों की मदद कैसे की जाये इस पर कार्य कर रहे है।
उन्होने बताया कि गुरुग्राम के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में कालेज, उच्च शिक्षण संस्थाअेां के विद्यार्थियों के साथ वेबिनार और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरुकता संबधी कई कार्यक्रम चलाए जा रहे है। जिसमें मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य कल्याण, कोविड-19 के बारे में उचित परामर्श व इसमें वे कैसे व्यस्त व मस्त रहे इस पर केंद्रित किया जा रहा है। खासकर टेलीफोन, वीडियो कॉलिंग, वर्चुअल पीयर सपोर्ट गतिविधियों के माध्यम से अपने लाभार्थियों (मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों का) की सहायता कर रहे हैं।
इस दौरान अधिकतर लोगों जो घरों में ही रह रहे है, जिसके कारण लेाग मानसिक तनाव महसूस कर रहे है। इसलिए इन्हे मानसिक रुप से जागरुक करने के लिए कई तरह के आनलाइन सेशन किये जा रहे है।

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