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‘देश की आर्थिक स्थिरता और कोरोना प्रभाव’ पर चर्चा

नई दिल्ली। नारद संचार द्वारा १६ मई को ‘देश की आर्थिक स्थिरता पर कोरोना प्रभाव’ विषय पर मीडिया संवाद का आयोजन वेबिनार द्वारा किया गया। जिसमे श्री गोपाल कृष्ण अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता (आर्थिक विषय) ने मीडिया से चर्चा करते हुए लॉकडाउन ४.० और एमएसएमई के लिए बिना गारंटी वाले लोन विषय पर व्यापक चर्चा की।
वार्ता करते हुए उन्होंने बताया कि सरकार का मुख्य ध्यान घरेलू उत्पादन पर है क्यूँकि इस क्षेत्र मे स्वतंत्रता के बाद से हि कम ध्यान दिया गया जिसके कारण घरेलू क्षेत्र में उत्पादन कार्य बहुत ही खराब रहा। इस क्षेत्र मे भूमि सुधार कि भी बात करी गयी है जिसमें राज्य सरकारों की बहुत अहम भूमिका है जिसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी हाल ही में श्रम कानूनों में बदलाव कर एक विशेष पहल की है।
उपरोक्त बातों कि साथ इन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने विशेष तौर पे जनसंख्या एवं मांग तथा घरेलू मांग को ध्यान मे रखकर मुख्य रूप से चार बातों पर जोर दिया है- जिसमें भूमि सुधार, श्रम कानूनों में बदलाव करके पूँजी निर्माण की पहल की है जिसे लघु, माध्यम एवं सूषम उद्योगों के द्वारा अधिक से अधिक उत्पादन कार्य आसानी से किया जा सके।
साथ ही इन्होंने यह भी बताया कि घरेलू उत्पादन के क्षेत्र में आ रही कठिनाईयों को सरकार ने काफी हद तक दूर करने का प्रयास किया है जिसे कि अनौपचारिक से औपचारिक अर्थव्यवस्थाको अपनाकर इस क्षेत्र में आ रही पूँजी सम्बन्धी कठनाईयों को दूर किया जा सके। हालाँकि इस क्षेत्र में सरकार ने काफी हद तक पहल की है।
राज्यों मे लॉकडाउन के कारण देशभर से लाखों मजदूरों के घर की ओर वापसी को लेकर पूछे गये एक सवाल पर उन्होंने कहा कि इन मजदूरों को शिविरों में भोजन आदि के प्रबंध का पैसा केन्द्र द्वारा मुहैया कराया जा रहा है। ट्रेनों के परिचालन में 85 प्रतिशत व्यय केन्द्र सरकार वहन कर रही है। गांवों में इन श्रमिकों को मनरेगा के तहत पंचायत के माध्यम से पैसा दिया जा रहा है।
ऐसे मजदूरों की संख्या के बारे में उन्होंने कहा कि करीब चार से साढ़े चार करोड़ श्रमिक लौटे हैं या लौट रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन मजदूरों के जल्द ही वापस उन्हीं राज्यों पर काम पर लौटने की आशा कम है पर फिर भी अर्थव्यवस्था खोलने के लिए पर्याप्त संख्या में मजदूर अपने कार्यक्षेत्र में उपस्थित हैं। एक सवाल पर अग्रवाल ने कहा कि सरकार श्रमिकों को वेतन के एवज में कोई सब्सिडी या मदद नहीं दे रही है लेकिन 90 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी यदि 15 हजार रुपए से कम वेतन पर हैं, तो उनके भविष्य निधि खातों में नियोक्ता एवं कर्मचारी दोनों का योगदान केन्द्र सरकार देगी।श्री अग्रवाल ने कहा कि मोदी सरकार उन 93% मजदूरों के लिये चिंतन कर रही है जो फिलहाल अनोपचारिक सेक्टर में कार्य रहे हैं । इनके औपचारिक सेक्टर में आने से सोशल सिक्यरिटी जैसे लाभ इनको मिलेंगे ।
सरकार ने एकाग्रता के साथ स्टार्ट अप्स ईको सिस्टम को बढ़ावा देने के बारे में कदम बढ़ाये हैं। आर्टिफीशियल इन्टेलीजेंस, हाईटैक्नोलॉजी आधारित समाधान वाले चौथी पीढ़ी के उद्यमों को बढ़ावा दिया जाएगा। एक सवाल पर उन्होंने साफ कहा कि इस समय होटल एवं पर्यटन उद्योग को फिलहाल कोई पैकेज नहीं दिया जा रहा है।लॉकडाउन के बारे में एक सवाल पर अग्रवाल ने कहा कि जिस वक्त लॉकडाउन की घोषणा हुई थी, उस समय देश में एक भी पीपीई किट, मास्क आदि नहीं बनते थे लेकिन आज 800 से अधिक इकाइयों में इनका निर्माण हो रहा है।
474 प्रयोगशालाओं में एक लाख टेस्ट करने की प्रतिदिन की क्षमता निर्मित हुई है। देश में 50 हजार वेंटीलेटर हैं और 80 हजार अन्य वेंटीलेटरों की खरीद की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। 4500 से अधिक कोविड अस्पतालों में लाखों बेड उपलब्ध हैं। भाजपा प्रवक्ता ने माना कि प्रवासी श्रमिकों के घर वापसी के कारण कोरोना संक्रमण की त्रासदी बढ़ेगी लेकिन आज रिकवरी की दर 34 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है और देश में इससे निपटने के लिए ढांचागत सुविधायें भी मजबूत हो गयीं हैं।
सरकार बहुत दिनों को देश को बंद करके नहीं रख सकती है। इसलिए लॉकडाउन को खोलना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने आठ से 10 लाख करोड़ रुपए का ऋण बाजार में सुलभ कराया है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए ऋण में मूलधन एवं ब्याज पर जोखिम की जिम्मेदारी केन्द्र ने स्वयं उठायी है। इससे इस क्षेत्र में तेजी आने की उम्मीद है। एस॰एम॰ई॰, एनबीएफसी को ऋण देने से बैंक को क्रेडिट रिस्क से ना जूझना पड़े इसके लिये 100% क्रेडिट रिस्क केंद्र सरकार ने बैंक क्रेडिट रिस्क अपने पास रखने फैसला किया है। इस निर्णय से एसएमई, एनबीएफसी को ऋण मिलना आसान होगा।
अग्रवाल ने कहा कि अमेरिका और जापान की सैकड़ों कंपनियों ने चीन से अपनी विनिर्माण इकाइयों को विकेन्द्रीकृत कर भारत में भी उत्पादन करने की इच्छा व्यक्त की है लेकिन इसके लिए उनकी शर्तें हैं। सरकार इस बारे में आवश्यक सुधार करेगी। स्थानीयता को बढ़ावा देने के लिए तीसरे स्तर की सप्लाई चेन को मजबूत करना होगा। उन्होंने यह भी साफ किया कि स्थानीयकरण के अभियान में विदेशी उत्पादों के बहिष्कार का निर्णय लेने की कोई गुजाइश नहीं है।
इस मीडिया संवाद को सोशल मीडिया के द्वारा विभिन्न राज्यों मे रह रहे लोगो से जोड़ कर उनकी राय और प्रतिक्रिया दोनो ली गयी।

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