हिंसा जारी रखने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा : भारत
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने तालिबान के साथ शांति वार्ता शुरू करने के अफगानिस्तान सरकार के हालिया कदम का समर्थन किया है और कहा है कि युद्धग्रस्त देश में“ शांति के विरोधियों की आवाज” को शांत करने की जरूरत है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने 28 फरवरी को हुए दूसरे काबुल प्रोसेस कॉन्फ्रेंस में शांति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए तालिबान का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था“ देश को बचाने” के लिए यह जरूरी है।
इसके बदले में उन्होंने वार्ता में शामिल होने वाले चरमपंथियों को सुरक्षा मुहैया कराने और पासपोर्ट संबंधी अन्य प्रोत्साहन देने की पेशकश भी की। गनी ने कहा कि संघर्षविराम पर सहमति बननी चाहिए और तालिबान को एक राजनीतिक समूह घोषित किया जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने अफगानिस्तान पर एक खुली चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् को बताया, “ अफगानिस्तान सरकार, शांति बहाल करने की इच्छा इस तथ्य के बावजूद जता रही है कि हथियारबंद समूहों ने खुद को और हम सबको दिखाया है कि वह सरकार के परस्पर विरोधी हैं।”
उन्होंने कल कहा, “ हथियारबंद संगठनों का हिंसा पर विराम लगाने और महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यकों समेत सभी नागरिकों के अधिकारों का संरक्षण करने वाली राष्ट्रीय शांति और सुलह प्रक्रिया में शामिल होने का आह्वान करने के अफगानिस्तान सरकार के प्रयासों को पूरा समर्थन देना उचित है।” हालांकि अकबरुद्दीन ने कहा कि हथियारबंद विरोधियों को यह स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए कि हिंसा जारी रखने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।