लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

अस्थमा : गर्मी में भी रखें सावधानी

गर्मियों में अस्थमा के मामलों में थोड़ी कमी आ जाती है, इसलिये कईं लोग थोड़े से आसवाधान हो जाते हैं, अपनी दवाईयां समय पर नहीं लेते और जरूरी सावधानी नहीं रखते, लेकिन ऐसा नहीं है कि गर्मियों में अस्थमा के ट्रिगर वातावरण में उपस्थित नहीं रहते बल्कि कुछ ट्रिगरों जैसे वायु प्रदूषण, पराग कण, धूल आदि की उपस्थति अन्य मौसमों की तुलना में बढ़ जाती है। गर्मी और उमस भी अस्थमा के ट्रिगर का कार्य करती है, इसलिये जरूरी है कि इस मौसम में भी पूरी सावधानी रखी जाये ताकि अस्थमा अटैक का खतरा नहीं रहे। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मई माह में विश्व अस्थमा दिवस मनाने का निर्णय लिया।
क्या है अस्थमा
अस्थमा श्वसन मार्ग से संबंधित एक रोग है, इससे पीड़ित व्याक्ति के लिये सांस लेना कठिन हो जाता है क्यों कि जो नलिकाएं फेफडों तक ऑक्सीजन ले जाती है वह फूल जाती हैं। सांस की नलियां वायु में अस्थमा के ट्रिगर (एक एलर्जन) के संपर्क में आने के कारण फू ल जाती हैं। नई दिल्ली स्थित सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रेस्परेटेरी मेडिसीन, सलाहकार डॉ. अनंत गुप्ता का कहना है कि अस्थमा का कोई स्थायी इलाज नहीं है, जिससे इसे जड़ से समाप्त किया जा सके। डॉक्टर की सलाह से नियमित दवाओं का सेवन और इसके ट्रिगर (कारकों) से बचने के लिए जरूरी उपाय अपनाकर इसे नियंत्रित रखा जा सकता है। अस्थमा तब तक ही नियंत्रण में रहता है, जब तक रोगी आवश्यक सावधानियां बरत रहा है।
अस्थमा के कारक

  • पर्यावरण प्रदूषण
  • अनुवांशिक कारण
  • एलर्जी
  • मानसिक तनाव
    अस्थमा के लक्षण
    कईं अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि गर्म और उमस भरी हवा में सांस लेने के चार मिनिट में ही अस्थमा के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। अस्थमा के लक्षण व्यक्ति विशेष के अनुसार बदल सकते हैं। वैसे सामान्य रूप से अस्थमा के निम्न लक्षण दिखाई देते हैं –
  • छाती में जकड़न
  • रात में और सुबह कफ की शिकायत होना
  • श्वास नली में हवा का प्रवाह निर्बाध रूप से न होना
  • सांस लेने में कठिनाई या सांस उखड़ना
  • सांस लेते हुए घरघर की आवाज करना
  • खांसी
    प्रारंभ में ये लक्षण मौसम में बदलाव या अत्यूधिक गर्मी या अत्यधिक सर्दी में दिखाई देते हैं, लेकिन अगर इनका ठीक प्रकार से उपचार न कराया जाये तो यह अधिक गंभीर हो जाते हैं और पूरे वर्ष दिखाई देते हैं।
    इन बातों का भी रखें ध्यान
  • जिन चीजों से एलर्जी हो उनसे दूर रहें।
  • कड़े व्यायाम की बजाए हल्का योग करें।
  • मैदे और सूजी से बने खाद्य पदार्थों को खाने से बचें।
  • वायु प्रदूषण, धूल, सिगरेट का धुआं और पालतू जानवरों के फर और मृत त्वचा के संपर्क से खुद को बचाएं।
  • अत्यधिक शारीरिक श्रम और भावनात्मक तनाव से दूर रहें, ये अस्थमा के ट्रिगर का काम करते हैं।
  • एस्प्रिन भी अस्थमा के ट्रिगर का काम करता है।
    गर्मियों में अस्थमा के मामलों में कमी
    डॉ. अनंत गुप्ता का कहना है कि गर्मियां अस्थमा के नियंत्रण के लिये एक बेहतर मौसम माना जाता है। इस मौसम में अधिकतर रोगी बेहतर अनुभव करते हैं और उन्हें इन दिनों अस्थमा अटैक भी नहीं आता है। कारण हैं-
  • गर्म मौसम लक्षणों को कम करने में सहायता करता है।
  • गर्मियों में अधिक समय घर से बाहर बीतता है जिसके कारण शारीरिक सक्रियता बढ़ जाती है और इंडोर एलर्जन का एक्सपोजर कम होता है, दोनों अस्थमा के रोगियों के लिये लाभदायक है।
  • इसके अतिरिक्त कोल्डय और फ्लु, जो खतरनाक अस्थंमा अटैक के प्रमुख कारण हैं, गर्मियों में इनकी चपेट में आने की आशंका कम होती है।
    सर्दियों में ठंडी हवाओं के कारण सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं इससे भी अस्थमा अटैक का खतरा कईं गुना बढ़ जाता है, गर्मियों में यह समस्या भी नहीं होती है।
    लेकिन अक्सर यह भी देखा जाता है कि इस मौसम में अस्थमा के रोगी थोड़े लापरवाह हो जाते हैं क्योंकि वो गर्मियों में अपनी अस्थमा की दवाईयां लेना बंद कर देते हैं, इसलिये यह आवश्यक है कि अस्थमा के रोगियों को गर्मी के मौसम में लापरवाही नहीं करना चाहिए। समय पर दवाई लेना चाहिए और अस्थमा के ट्रिगरों से भी बचना चाहिए ताकि उनके लिये सर्दी के मौसम का सामना करना कठिन न हो जिन दिनों अधिकतर अटैक आते हैं।
    गर्मियों में अस्थिमा अटैक से बचने के टिप्स
    डॉ. अनंत गुप्ता के अनुसार गर्मियों में मिलने वाले कुछ निश्चित फल और सब्जियां भी अस्थमा अटैक कर सकती हैं जैसे नाशपति, तरबूज, खरबूज, सेब या दूसरे ताजे फल और सब्जियों से ये समस्याएं हो सकती हैं। एक सामान्य, समाधान यह है कि हमें ऐसे भोजन से बचना चाहिए और अगर सांस लेने में समस्या हो तो, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

इसके अलावा इन बातों का भी ध्यान रखें।

  • अगर गर्मियों में किन्हीं चीजों से एलर्जी बढ़ जाती है तो उसके लिये डॉक्टर से दवाई लें।
  • ऐसे स्थानों पर जाने से बचें जहां वायु प्रदूषण हो।
  • अगर कोई लक्षण दिखाई न दें तब भी डॉक्टर द्वारा सुझाई दवाईयां समय पर लें।
  • डॉक्टर से परामर्श लिये बिना उपचार में बदलाव न करें।
  • धूप में बाहर निकलने से पहले अपनी दवाई और इनहेलर साथ लेकर जाएं।
  • क्लोरीन की गंध से एलर्जी है तो स्विलमिंग पूल न जाएं।
  • रात में खिड़कियां खोलकर ना सोएं एलर्जी और अस्थमा के लक्षणों से बचने के लिये एअर कंडीशन का प्रयोग करें।
  • अस्थमा मैनेजमेंट के लिये, रोगियों को संभावित अस्थमा ट्रिगर्स से बचना चाहिए और सुझाए गये उपचार को जारी रखना चाहिए।

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