लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

कमर दर्द का कारण हो सकता है फैक्चर

-डा. सतनाम सिंह छाबड़ा
डायरेक्टर, न्यूरो एंड स्पाइन डिपाटमेंट
सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली

सिरदर्द के बाद कमरदर्द आज सबसे आम स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। बढ़ती उम्र के लोगों को ही नहीं युवाओं को भी यह दर्द बहुत सता रहा है। 90 प्रतिशत लोग अपने जीवन के किसी न किसी कमर दर्द से पीड़ित रहते हैं। कमर दर्द केवल रीढ़ की हड्डी या कमर की मांपेशियों की समस्या के कारण नहीं होता है बल्कि स्पाइन में फैक्चर होने से भी होता है। स्पाइन में फैक्चर चोट लगने के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस, ट्यूमर या और किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के कारण हो सकता है, जिसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। कईं बार इन फ्रैक्चर्स के बारे में पता ही नहीं चलता जब तक कि गंभीर कमर दर्द के कारण का पता लगाने के लिए विभिन्न प्रकार की जांचे नहीं कराईं जाती।
स्पाइन कम्प्रेशन फ्रैक्चर्स :
जब स्पाइन में फैक्चर ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होता है तो उसे कम्प्रेशन फैक्चर कहते हैं, इस फैक्चर के कारण स्पाइन की कशेरूका की हड्डी अपनी 15-20 प्रतिशत लंबाई खो देती है। यह फैक्चर, स्पाइन की कशेरूकाओं में कहीं भी हो सकता है. ये फैक्चर अधिकतर अपर लंबर सेग्मेंट अर्थात् स्पाइन के उपरी भाग में होते हैं।
क्रश फैक्चर :
जब कशेरूका के अगले भाग की बजाय, पूरी हड्डी टूट टूट जाती है तो इसे क्रश फैक्चर कहते हैं।
बस्र्ट फैक्चर :
इसमें केवल कशेरूका के अगले भाग में फैक्चर नहीं होता है, बल्कि कशेरूका के अगले और पिछले दोनों भागों को नुकसान पहुंचता है। यह फैक्चर एक बार होकर रूकता नहीं है, बल्कि लगातार गंभीर होता जाता है और विकृति बढ़ती जाती है, इसके कारण कईं न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी हो जाती हैं।
मल्टीपल फैक्चर :
फैक्चर होने का सबसे प्रमुख कारण ऑस्टियोपोरोसिस होता है. जब फैक्चर होता है, तब ऑस्टियोपोरोसिस एडवांस स्टेज तक पहुंच जाता है और कईं फैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है।
लक्षण :
स्पाइन कम्प्रेशन फैक्चर में निम्न में से एक या कईं लक्षण दिखाई दे सकते हैं। अचानक से कमर दर्द होना। आमतौर पर खड़े होने या चलने में दर्द तेज हो जाना। कमर के बल लेटने पर दर्द की तीव्रता कम होना। स्पाइन की गति सीमित होना। लंबाई कम हो जाना। विकृति और अपंगता।
डायग्नेसिस :
कहीं फैक्चर के कारण कमर दर्द तो नहीं हो रहा इसका पता लगाने के लिए निम्न जांचे की जाती हैं।
सीएटी स्कैन :
ये जांचने के लिए की कहीं फैक्चर के कारण आसपास की तंत्रिकाओं को कोई नुकसान तो नहीं पहुंचा है। सीएटी स्कैन में हड्डी के साथ-साथ मुलायम उतक भी दिखाई देते हैं।
एमआरआई स्कैन :
अगर डॉक्टर को संदेह हो की फैक्चर के पास की तंत्रिकाएं भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं तो एमआरआई स्कैन कराया जाता है, इस स्कैन के द्वारा मुलायम उतकों के बारे में विस्तृत जानकारी मिल जाती है। एमआरआई स्कैन, यह भी बता देता है कि फैक्चर नया है या पुराना।
न्यूक्लियर बोन स्कैन :
इस स्कैन के द्वारा यह पता लगाया जाता है कि स्कैन कब हुआ था, कईं बार बेहतर उपचार के लिए फैक्चर की उम्र जानना जरूरी होती है।
कैंसर या ट्यूमर के कारण होने वाला फैक्चर :
कईं प्रकार के कैंसर कशेरूकाओं को कमजोर बना देते हैं, जिसके कारण उनमें फैक्चर हो सकता है। यह मेटास्टैटिक कैंसर के कारण भी हो सकता है, जो शरीर के एक भाग में प्रारंभ होता है और हड्डियों और स्पाइन तक फैल जाता है।
फैक्चर ऑफ थोरैसिक एंड लंबर स्पाइन :
स्पाइनल फैक्चर की गंभीरता अलग-अलग हो सकती है. कईं फैक्चर बहुत गंभीर चोटों के कारण आते हैं जिनके लिए तुरंत उपचार की जरूरत होती है, दूसरे फैक्चर ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियों के कमजोर पड़ने से होते हैं। अधिकतर स्पाइल फैक्चर थोरैसिक (कमर के बीच वाले भाग) और लंबर स्पाइन (कमर के निचले भाग) या दोनों जहां जुड़ते (थोरेकोलंबर जंक्शन) में होते हैं।

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