लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

कहीं किडनी और दिल को बीमार न बना दे….. नमक

-डॉ. सुदीप सिंह सचदेव
नेफ्रोजिस्ट, नारायणा सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम
नमक सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि कईं शारीरिक क्रियाओं में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नमक के बिना हम जीवित नहीं रह सकते लेकिन जब इसी नमक की मात्रा हमारे शरीर में आवश्यकता से अधिक हो जाती है तो यह हमारे लिए जानलेवा हो जाता है, नमक का अधिक मात्रा में सेवन हमारे हृदय और किडनियों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है।
प्रमुख प्रकार के नमक
बाजार में कईं प्रकार के नमक मिलते हैं, जिनका रंग, टेक्सचर, स्वाद और पोषक मूल्य अलग-अलग होते हैं। लेकिन इनमें से रिफाइंड टेबल सॉल्ट, सी सॉल्ट, पिंक हिमालय सॉल्ट और सेल्टिक सॉल्ट सर्वाधिक प्रचलित हैं।
– रिफाइंड सॉल्ट
इसे टेबल सॉल्ट और कुकिंग सॉल्ट भी कहते हैं। इसे या तो नमक की खदानों या समुद्र के पानी को वाष्पीकृत करके बनाया जाता है, जब रिफाइंड सॉल्ट आप तक पहुंचता है, यह 1,200 डिग्री फेरेनहाइट पर सुखाया जाता है। अत्यधिक गर्मी नमक की प्राकृतिक रासायनिक संरचना को बदल देती है, इसे तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान इसमें एंटी-केकिंग एजेंट मिलाया जाता है, ताकि नमक जमे नहीं और आसानी से फ्लो हो सके। एंटी-केकिंग एजेंट के साथ इसमें आयोडीन भी मिलाया जाता है, ताकि आयोडीन की आपूर्ति हो सके और थायरॉइड तथा गॉइटर से बचा जा सके।
– सी सॉल्ट (सेंधा नमक)
इसका टेक्सचर रिफाइंड सॉल्ट से अलग होता है। सी सॉल्ट कम पिसा हुआ होता है, अर्थात् इसमें नमक के कण बड़े होते हैं, इसे भी समुद्र के पानी को वाष्पीकृत करके ही बनाया जाता है और आमतौर पर इसमें मिनरस्स जैसे पोटेशियम, आयरन और जिंक के अंश होते हैं। सेंधा नमक, रिफाइंड से बेहतर होता है।
– हिमालयन पिंक सॉल्ट
इसे नमक की खदान से निकाला जाता है, इसमें थोड़ी मात्रा में आयरन ऑक्साइड के अंश होते हैं, जो इसे गुलाबी रंग देता है। इसमें थोड़ी मात्रा में कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम और मैग्नेशियम भी होता है, इसमें सोडियम की मात्रा रिफाइंड नमक से थोड़ी कम होती है. पिंक सॉल्ट का सेवन, रक्त के संचरण को बढ़ाता है और कोशिकाओं के अंदर पीएच बैलेंस को स्टेबिलाइज करता है।
– ग्रे सॉल्ट
ग्रे सॉल्ट को सेल्टिक सी सॉल्ट कहते हैं। यह सुरमई रंग का होता है, इसलिए इसे ग्रे सॉल्ट कहते हैं। यह नमक नमी रोककर रखता है। यह इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन पुनः स्थापित करने में सहायता करता है। ग्रे सॉल्ट, पिंक सॉल्ट की तरह ही मांसपेशियों की ऐंठन में आराम पहुंचाता है। यह थोड़ा मंहगा होता है, क्योंकि इसे निकालने और प्रोसेस करने में काफी खर्च आता है।
– कितना जरूरी है हमारे लिए नमक
नमक क्रिस्टलीय मिनरल होता है, जो सोडियम और क्लोरीन से बना होता है। ये दोनों तत्व जीवन के लिए बहुत जरूरी है। हम उनके बिना नहीं रह सकते हैं, क्योंकि ये कईं महत्वपूर्ण बायलॉजिकल प्रक्रियाओं में योगदान देते हैं।
कोशिकाओं के अंदर और बाहर पानी की मात्रा को नियंत्रित करता है। पोषक तत्वों को कोशिकाओं के अंदर और बाहर ले जाता है। पाचन और मेटाबॉलिज्म में सहायता करता है। तंत्रिकाओं को विद्युतीय आवेगों को बाहर भोजने में सहायता करता है। किडनियों की कार्यप्रणालियों में सहायता करता है। रक्त दाब को बनाए रखता है और नियंत्रित करता है। मस्तिष्क के कार्यों में सहायता करता है।
– कितनी मात्रा में खाएं नमक
ज्यादा नमक खाने से हाई ब्लड प्रेशर हो जाता है तो कम नमक लो ब्लंड प्रेशर का कारण बन जाता है। कम या अधिक मात्रा में नमक का सेवन करने से मांसपेशियों में ऐंठन हो जाती है इसलिए जरूरी है कि उचित मात्रा में नमक का सेवन किया जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक मनुष्य को अपने जीवन के विभिन्न स्तरों पर प्रतिदिन इतनी मात्रा में नमक की आवश्यकता होती है। 0-12 महीने – एक ग्राम से कम, 1 से 3 साल – 2 ग्राम, 4 से 6 साल- 3 ग्राम, 7 से 10 साल- 4 ग्राम, 11 और उससे उपर- 5 ग्राम.।
– गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है नमक
सामान्य मात्रा में नमक का सेवन हमारे शरीर के सुचारू रूप से कार्य करने के लिये आवश्यक है लेकिन अधिक मात्रा में नमक का सेवन गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है। अत्यअधिक नमक के सेवन से उच्च रक्त चाप के अलावा स्ट्रोक, हृदय रोगों, हार्ट फेलियर और किडनी फेलियर की आशंका कईं गुना बढ़ जाती है।
– उच्च रक्तदाब
नमक उच्च, रक्तचाप का सबसे प्रमुख कारण है। अत्यधिक मात्रा में नमक का सेवन करने से उन लोगों का रक्त? चाप बढ़ जाता है जो पहले ही इस समस्या से पीडित हैं, लेकिन जिन लोगों को उच्च रक्तदाब की समस्या नहीं है उन्हें औसत से कम मात्रा में नमक का सेवन करना चाहिए इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार उपलब्ध नहीं है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सामान्य व्यक्ति भी प्रतिदिन नमक के सेवन को 13 से घटा दे तो स्ट्रोक की आशंका 22 प्रतिशत और हार्ट अटैक की आशंका 16 प्रतिशत कम हो जाएगी, लेकिन अभी तक इन बातों को लेकर विवाद है। भोजन में सोडियम की मात्रा कम करना और पोटेशियम का सेवन बढ़ाना उच्च रक्तचाप से बचने का सबसे कारगर तरीका है।
– कार्डियोवॉस्यूरकलर डिसीज
लंबे समय तक अधिक मात्रा में नमक का सेवन करने से उच्च रक्तदाब की समस्या हो जाती है और रक्त नलिकाएं संकरी हो जाती हैं, प्रमुख अंगों तक रक्त का प्रवाह घट जाता है। इससे हृदय को पूरे शरीर में रक्त को पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे रक्तदाब और बढ़ जाता है। बढ़े हुए रक्तदाब के कारण, हृदय पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, इससे हृदय के बाएं पंपिंग चैम्बर का आकार बढ़ सकता है और हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। उच्च रक्तदाब से धमनियों की दीवारों को भी नुकसान पहुंचता है, इनमें वसा जमने लगती है, जिससे हृदय रोग हो जाता है और हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बहुत बढ़ जाता है। अनुसंधानों में यह बात भी सामने आई है कि लंबे समय में सोडियम का सेवन घटाने से कार्डियोवॉस्यूह बालर डिसीजेज और मृत्यु की आशंका कम हो जाती है।
– किडनी से संबंधित समस्याएं
नमक का अधिक मात्रा में सेवन किडनी स्टोन और किडनी से संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ा देता है। अगर आप नमक का अधिक मात्रा में सेवन करेंगे, आपकी किडनियों को इलेक्ट्रोलाइट्स और फ्लुयड्स का संतुलन बनाने में अधिक मेहनत करनी पड़ेगी, अत्यधिक मात्रा में नमक का सेवन आपके रक्त में इलेक्ट्रोलाइट और फ्लुयड के संतुलन को गड़बड़ा देता है। आपकी किडनियां कम मात्रा में यूरीन को बाहर निकालती हैं और बचा हुआ बॉडी वॉटर रक्त प्रवाह में मिल जाता है, रक्त में फ्लुयड की मात्रा बढ़ा देता है। इससे आपके हृदय को अधिक रक्त पंप करना पड़ता है और अधिक मेहनत करनी पड़ती है, इससे रक्त नलियों में दाब बढ़ जाता है। समय बीतने के साथ, इससे रक्त नलिकाएं कड़ी और क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जो आपके सभी अंगो तक रक्त पहुंचाती हैं, जिनमें किडनियां भी शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *