Tuesday, April 16, 2024
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योग से बढ़ती है हड्डियों, रीढ़ और मांसपेशियों की मजबूती

नई दिल्ली। भारत की करीब 5000 साल पुरानी पद्धति योग से हाइपरटेंशन, स्ट्रोक, दिल के दौरे, और मधुमेह जैसे जानलेवा गैरसंचारी रोगों (एनसीडी) का खतरा घटता है जबकि हड्डियों, रीढ़ एवं मांसपेशियों की सेहत में सुधार आता है और व्यक्ति की सक्रियता बढ़ती है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि योग विभिन्न बीमारियों की रोकथाम तथा चिकित्सा में कारगर है।
नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डा. राजू वैश्य ने बताया कि योग से हड्डियों केे निर्माण में मदद मिलती है तथा आर्थराइटिस एवं ऑस्टियोपोरोसिस सहित कई मस्कुलोस्केलेटल (हड्डियों एवं मांसपेशियों की) समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है। लेकिन अगर योग को सही तरीके एवं समुचित सावधानी के साथ नहीं किया जाए तो मांसपेशियों में खिंचाव, लिगामेंट के फटने और अन्य अधिक गंभीर नुकसान होने का भी खतरा हो सकता है।
इंडियन कार्टिलेज सोसायटी तथा आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. राजू वैश्य ने कहा कि योग के नियमित अभ्यास से हड्डियां मजबूत और स्वस्थ बनती हैं। इससे शारीरिक पोस्चर में सुधार होता है तथा स्पाइनल कार्ड को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। योग की मदद से पीठ दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। योग मांसपेशियों को लचीला बना देता है, हड्डियों में रक्त संचरण को बेहतर बनाता है तथा कैल्शियम होमोस्टेसिस को बनाए रखने में मदद करता है और इस प्रकार यह ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करता है।
डा. राजू वैश्य के अनुसार समग्र स्वास्थ्य की दृष्टि ‘‘योग के अनेक लाभ है जिनमें रीढ़ को स्वस्थ्य बनाए रखने तथा हड्डियों को मजबूत बनाए रखने जैसे लाभ प्रमुख हैं। सात से आठ सप्ताह तक योग करने के बाद ही हमारे शरीर का लचीलापन 35 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। कई योगाभ्यासों एवं योग मुद्राओं से शरीर के संतुलन में सुधार होता है और इसके कारण बुजुर्ग लोगों के चलने-फिरने के दौरान गिरने की आशंका काफी कम हो जाती है।
योग रीढ़ की सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है। नई दिल्ली स्थित फोर्टिस एस्कार्ट्स हार्ट इंस्टीच्यूट एंड रिसर्च सेंटर के के वरिष्ठ स्पाइन सर्जन डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा, ’’हालांकि कोई भी उपचार विधि हर किसी को फायदा नहीं पहुंचाती लेकिन योग के साथ ऐसे कई पहलू जुड़े हैं जिसके कारण योग को पीठ दर्द एवं गर्दन दर्द के इलाज में रामबाण माना जाता है। अनेक अध्ययनों से पता चलता है कि आठ सप्ताह तक हर सप्ताह कम से कम दो बार भी योग करें तो रीढ़ की ताकत, उसके लचीलेपन एवं झटके को सहने की शक्ति में काफी वृद्धि होती है जो कमर दर्द एवं गर्दन दर्द के मरीजों के पुनर्वास के लिए महत्वपूर्ण होता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि सावधानीपूर्वक एवं कम जोर लगाकर किए जाने वाले योगाभ्यास आर्थराइटिस से ग्रस्त लोगों के लिए सुरक्षित उपचार विधि है और इन योगाभ्यासों से आर्थराइटिस बढ़ती नहीं है बल्कि योग से आर्थराइटिस में फायदा ही होता है। लेकिन आपको सावधानी के साथ योगाभ्यास करना चाहिए। जर्नल आॅफ रुमेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक, योगाभ्यास करने वाले आर्थराइटिस के मरीजों को योग से काफी अधिक शारीरिक एवं मानसिक लाभ होता है। जो लोग सप्ताह में तीन बार योगाभ्यास करते हैं उन्हें योग नहीं करने वाले मरीजों की तुलना में दर्द के स्तर, शारीरिक उर्जा, मूड एवं शारीरिक स्वास्थ्य में काफी सुधार होता है और योग से होने वाले फायदे कई महीने तक बने रहते हैं।
नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर चाइल्ड एंड पैरेंट मेंटल वेलविइंग के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. राजेश कुमार ने कहा कि योग डिप्रेशन रोकने तथा मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में भी कारगर है। योग न केवल आपको तनाव मुक्त करता है बल्कि यह आपके मानसिक सेहत को भी बनाए रखता है। नियमित रूप से योग करने पर अनिद्रा, डिप्रेशन एवं एंक्जाइटी के मरीजों को काफी फायदे होते हैं।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में शारीरिक गतिविधि (2018-2030) के संबंध में ग्लोबल एक्शन प्लान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि 5000 हजार साल पुरानी पद्धति कृ योग सभी उम्र के लोगों को शारीरिक रूप से सक्रिय रखने तथा उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए बहुत ही मूल्यवान उपाय है।
भारत की प्राचीन विद्या – योग आज दुनिया भर में तेजी से लोकप्रिय हो रही है और दुनिया भर के चिकित्सा विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों ने अनुसंधानों में योग के चिकित्सकीय लाभों की पुष्टि की है।

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