लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वस्थ रहना ज़रूरी है

रोजमर्रा की जिंदगी में बढ़ती व्यस्तता के कारण व्यक्ति अपना ख्याल नहीं रख पाता है। खानपान को लेकर भी अक्सर लापरवाही बरता है। परिणामस्वरूप उसके लिए शारीरिक समस्याएं बढ़ जाती हैं। पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों में बेलंस बनाने के चलते व्यक्ति की लाइफ में तनाव घर कर जाता है। जिससे उसकी कार्य-क्षमता की रफ्तार धीमी पड़ जाती है। इसलिए आज सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है व्यक्ति का स्वस्थ रहना। यह तभी संभव है जब व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को अच्छे ढंग से मेन्टेन करें। स्वस्थ व्यक्ति हर काम बड़ी फुर्ती और पूर्णता से करने में सक्षम होता है। इन सभी समस्याओं को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ल्ड हेल्थ डे की थीम “यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज: एव्रीवन, एव्रीवेयर” रखी है।
आइये जानते हैं कि किस प्रकार व्यक्ति का स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन प्रभावित हो रहा है और इससे कैसे राहत पाई जा सकती है:
आज बदले लाइफस्टाइल के कारण व्यक्ति की दिनचर्या बहुत ज्यादा डिस्टर्ब हो गई है। संतुलित खानपान की जगह जंक फूड लोगों की पसंदीदा डिश बन गया है। यह आसानी से हर जगह उपलब्ध हो जाता है। इसलिए आज युवा इनका बड़ी मात्रा में सेवन करते हैं। लेकिन इस इजिली अवेलवल जंक फूड़ में तले और ज्यादा मसालेदार लवण जैसे बर्गर, चाइनीज फूड आदि शामिल हैं। जंक फूड का नेगेटिव असर हमारी इम्युनिटी सिस्टम की फंक्शन क्षमता पर पड़ता है। इसके अलावा कुछ लोग जरूरत से ज्यादा भोजन करते है। ज्यादा भोजन ठीक से पच नहीं पाता है। जिसका पाचन-क्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस स्थिति में फालतू भोजन शरीर के चारों तरफ वसा के रूप में इकट्ठा हो जाता है। इससे लोगों में मोटापा और डायबिटीज जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं।
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी जिसमें शरीर में शुगर लेवल बढ़ जाता है। लापरवाही बरतने पर इसके कारण अंधापन, हार्ट अटैक और लकवा जैसी गंभीर समस्याएं हो जाती हैं। इसके अलावा युवाओं के बीच एल्कोहल और स्मोंकिंग का इस्तेमाल भी ट्रेंड में है। एल्कोहल और स्मोकिंग का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। आज ई-सिगरेट भी उपलब्ध है। माना कि इससे वायु प्रदूषण कम होगा लेकिन इससे कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है।
समाधान:
जहां तक संभव हो शरीर की इम्यूनिटी सिस्टम को स्वस्थ रखने के लिए जंक फूड़ से दूरी बनाना ही बेहतर है। इसकी जगह संतुलित आहार जैसे हरी पत्तेदार एवं ताजा सब्जियों का इस्तेमाल करें। भोजन के साथ सलाद अवश्य लें। इससे जहां शरीर में पानी की पूर्ति होगी वहीं पाचन-क्रिया भी दूरूस्त होगी। अगर आप अपनी डाइट को तय नहीं कर पा रहे हैं तो किसी डाइटीशियन द्वारा तैयार डाइट चार्ट का अनुसरण करें। इससे डाइट नियंत्रित करने में भी बहुत मदद मिलेगी। मोटापे के लिए आप वसा वाले फूड के इस्तेमाल से बचें। भूख लगने पर भोजन अवश्य करें लेकिन जरूरत से ज्यादा खाना न खाएं। डायबिटीज के लिए आप शुगर लेवल कम करने वाले शुगर फ्री फूड आइट्म्स का इस्तेमाल करें।
वजन ज्यादा बढ़ने पर शरीर कई प्रकार की बीमारियां का घर बन जाता है। इसमें मुख्यता डायबिटीज, हाइपरटेंशन, स्ट्रोक, हृदय संबधी समस्याएं और किसी प्रकार की फिजिकल इंजरी की ठीक होने की प्रक्रिया का धीमा पड़ना आदि शामिल हैं।
डॉ. अमन दुआ, सीनियर कंसलटेंट इन जॉइंट रिप्लेसमेंट यूनिट, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट बताते हैं कि वजन ज्यादा होने के कारण अगर व्यक्ति को किसी प्रकार की चोट लगती है तो उसकी मूवमेंट्स कम हो जाती हैं जिसकी वजह से उसके वजन में वृद्धि होने की सम्भावना बढ़ जाती है। इस स्थिति में यही सलाह दी जाती है कि किसी भी प्रकार की इंजरी के दौरान अपनी शारीरिक मूवमेंट्स को कम न करें। ध्यान रखें कि ऐसी कंडीशन में जिमिंग या भारी वजन न उठायें। योग की ब्रीथिंग एक्सरसाइज, मेडिटेशन, स्ट्रेचिंग का सहारा लेकर खुद को स्वस्थ रख सकते हैं।
डॉ. शमशेर द्विवेदी, चेयरमैन इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस, पीएसआरआई, नई दिल्ली के मुताबिक, बदलती जीवनशैली, स्ट्रेस, हाई कोलेस्ट्रॉल स्ट्रोक होने की सम्भावना को कई गुना बढ़ा देते हैं। स्ट्रोक के लक्षण शरीर के विभिन्न हिस्सों में दिखाई देते हैं जो बोलने में कठिनाई, हाथ या चेहरे में कमजोरी, लकवा और चक्कर आने का कारण बन सकते हैं आगे चलकर इससे व्यक्ति को विकलांगता, मस्तिष्क क्षति और मृत्यु होने का जोखिम भी बढ़ सकता है। इस कंडीशन में रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए सोडियम और सैचुरेटेड फैट का सेवन कम करना जरूरी है। रोजाना पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जियां खाएं। व्यायाम खुद को स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा तरीका है क्योंकि यह दिल का दौरा, मधुमेह के जोखिम, तनाव कम करने और मोटापे को रोकने में आपकी मदद कर सकता है। संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए विगरस व्यायाम महत्वपूर्ण है और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में आपकी सहायता कर सकता है।
डॉ. श्वेता क्लिनिकल डायरेक्टर और सीनियर कंसल्टेंट – फर्टिलिटी सॉल्यूशंस, मेडिकवर फर्टिलिटी के मुताबिक,  ‘अधिक वजन वाली या मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में गर्भवती होने की संभावना कम हो जाती है। उन्हें फिजिकली फिट महिलाओं की तुलना में गर्भ धारण करने के लिए एक वर्ष से अधिक समय लग सकता है। इसके अलावा एक ओबीस महिला को गर्भपात होने की संभावना भी दोगुनी होती है। रिसर्च साबित करती है कि मोटापा भी इन समस्याओं के लिए जिम्मेवार हो सकता है लेकिन इनफर्टिलिटी का महत्वपूर्ण कारण वजन का जरूत से ज्यादा बढ़ना या कम होना है। इसलिए एक स्वस्थ जीवनशैली जियें। यह न केवल आपकी फर्टिलिटी दर में सुधार करती है बल्कि आपको फिट भी रखती है।
अगर आप इन सभी बातों का ध्यान रखेंगे तो आप हमेशा स्वस्थ रहेंगे और एक स्वस्थ जीवन जियेंगे।

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