लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

ब्रेन एन्यूरिज्म एक साइलेंट किलर भी

-उमेश कुमार सिंह
बहुत से शोध अनुसंधानों से यह बात सामने आई है कि औरतों में पुरूषों की तुलना में दोगुनी तेजी से ब्रेन एन्यूरिज्म हो रहा है। हाल ही में आए आंकड़े बताते है कि एन्यूरिज्म की जल्द जांच धूम्रपान करने वालों, शराब पीने वाली युवा महिलाओं में अधिक खतरनाक साबित हो सकता है, वो लोग जिन्हें उच्च रक्तचाप या परिवार में पहले से किसी को ब्रेन एन्यूरिज्म हो। इस क्षेत्र में मृत्युदर की संख्या काफी देखी जा रही है। सर्वे के अनुसार महिलाओं में पुरूषों की तुलना में अधिक ब्रेन एन्यूरिज्म देखा गया है जिससे हमारे सामने सवाल यह है कि आखिर महिलाओं में इसका खतरा अधिक क्यों देखा जा रहा है? महिलाओं के पूर्व और पोस्ट मेनोपॉज सामान्यतः उनके युवावस्था के हार्बर एन्यूरिज्म के जोड़ का प्रभाव होते है। कई शोध से यह भी पता चला है कि इसके एक कारणों में एस्ट्रोजन भी काफी हद तक जिम्मेदार है। हालांकि अभी तक इसका कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। केवल इसका मात्र एक ही कारण परिक्षण के बाद निकलकर आता है और वे है एस्ट्रोजन और एन्यूरिज्म का साफ तौर से एक दुसरे से जुड़ा संबंध का होना। बहुत से मरीज लगभग 30 प्रतिशत के करीब इससे बच नहीं पाते है। साथ ही 50 प्रतिशत से अधिक मरीज बिना उपचार के एक महीने से अधिक बच नहीं पाते हैं चूंकि एन्यूरिज्म में रक्त बहाव दोबारा शुरू हो जाता है। धूम्रपान करने वाली युवा महिलाओं को जांच के बारे में अपने डॉक्टरों से पूछना चाहिए। यदि उसे उच्च रक्तचाप या परिवार में पहले किसी को हो रखा हो तो उसे जांच की सलाह दी जाती है। एमआरआई से छिपे हुए ब्रेन एन्यूरिज्म का पता लगाया जा सकता है।

">साइलेंट किलर के लक्षण

गुरुग्राम स्थित आर्टेमिस हॉस्पिटल के अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस विभाग के डायेक्टर डा. विपुल गुप्ता का कहना है अधिकांश ब्रेन एन्यूरिज्म के कारण का कोई लक्षण नहीं होता है और इसे केवल आमतौर पर असंबंधित, स्थिति आने पर, अन्य परीक्षण के दौरान ही इसका पता लगाया जा सकता है। अन्य ब्रेन एन्यूरिज्म के लक्षणों में शामिल हैंः-सिरदर्द के साथ जी मचलना या उल्टी, गर्दन में अकड़न, मांसपेशियों में कमजोरी, शरीर के किसी भी भाग को चलाने में कठिनाई, स्तब्ध हो जाना या शरीर के किसी भी भाग में घटी हुई अनुभूति, दृष्टि परिवर्तन व नेत्र के पलक का लटकना, सुस्ती, दौरा पड़ना, बोलने में परेशानी होना आदि। इसके अतिरिक्त ऐसे ही बहुत से लक्षण है जो आपकी रक्तवाहिनी परत को कमजोर करते रहते है जिससे ब्रेन एन्यूरिज्म का खतरा बढ़ता रहता है। ब्रेन एन्यूरिज्म पुरूषों की तुलना में महिलाओं में होना बहुत ही सामान्य है। साथ ही यह कभी भी किसी को भी हो जाता है और तो और कई बार तो यह पैदायशी में हो सकता है। लगभग आधे से ज्यादा सभी एन्यूरिज्म के मामले बिगाड़ जाते है।

उपचार

डा. विपुल गुप्ता के अनुसार एन्यूरिज्म का उपचार पारंपरिक विधि सर्जरी द्वारा ही किया जाता है। सर्जरी ऐसी पुरानी तकनीक है जिसमें दिमाग में शल्य चिकित्सा करके नष्ट हुई नस में क्लिप लगाकर रक्तस्त्राव को रोका जाता था. इस प्रक्रिया में अधिक शल्य प्रक्रिया की जाती थी और रक्तस्राव भी बहुत अधिक होता था व ट्रौमा भी होता था लेकिन वही इंडोवैस्कुलर तकनीक में चिकित्सक पैरों में छोटा सा छेद कर कैथेटर के विशिष्ट प्रकार की क्वायल को कथित नष्ट नस तक पहुंचाया जाता है जो कि रक्तस्राव को बंद कर देती है। लेकिन अब मिनिमल इनवेसिव दृष्टिकोण मौजूद है जिसमें न्यूरोइंटरवेंशस्टि या इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजिस्ट, एन्यूरिज्म के इलाज इंडोवैस्कुलर तकनीक द्वारा मसलन पैर की रक्त वाहिका के माध्यम से की जाती है और ओपन सर्जरी को नजरांदाज किया जाता है। एक माइक्रोकैथेटरस (एक बहुत ही पतली ट्यूब) पैर रक्त वाहिनियों के माध्यम से मस्तिष्क एन्यूरिज्म में रखा गया है। फिर एन्यूरिज्म को विशेष क्वॉयल के उपयोग द्वारा रोक जाता है।
इस प्रक्रिया को क्वॉलिंग कहते है जिससे न्यूनतम खतरें पर बेहतर परिणाम उभरकर आया है।
कई विशेषज्ञों का यह कहना है कि क्वॉलिंग सर्जरी से इस इलाज का बेहतर विकल्प है। हालांकि इस उपचार की सही जानकारी ना होने के कारण ही हमारे देश में कई तादाद में व्यक्ति इसे झेल रहा है और इस तकनीकी का फायदा भी नहीं उठा पा रहा है। अब आधुनिक इंटरर्वेन्शनल के साथ इंडोवैस्कुलर तकनीक 3डी चित्र और अन्य विकसित तकनीकी का इस्तेमाल कर रही है जिससे अब मरीजों को कम खतरें और परेशानी के साथ .साथ बेहतर परिणाम मिल रहे है।

बचाव

डा. विपुल गुप्ता का कहना है कि रक्तचाप इसका इकलौता सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है, 50 प्रतिशत मामले ब्लॉकेज के कारण होते हैं। इसलिए अपना रक्तचाप हमेशा नियंत्रण में रखे और धुम्रपान और अल्को्हल का सेवन बिल्कुल न करें।
अनुसंधानों में यह बात सामने आई है कि मस्तिष्क के लिए स्वस्थ भोजन में सम्मिलित होना चाहिए जैसे फल, सब्जियां मछलियां (सेलमन, टुना, मैकरेल, हेरिंग या ट्राउट, जो ओमेगा 3 फैटी एसिड्स से भरपूर होती हैं)। साबुत अनाज, उच्च फायबर युक्त भोजन, दूध और दुग्ध उत्पाद वसा रहित और कम वसा (1 प्रतिशत) वाले उत्पाद।

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