स्वास्थ्य

आँख है तो जहान है

विश्व दृष्टि दिवस इस वर्ष 12 अक्टूबर को मनाया जारहा है। यह दिवस धुंधली दृष्टि, अंधापन के साथ-साथ दृष्टि संबंधित समस्याओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है। भारत में नेत्र रोगों के प्रति आज भी सजगता और सतर्कता नहीं है और यही कारण है कि घर-घर में बच्चे से बुजुर्ग तक नेत्र रोगी मिल जायेंगे। आँखों के स्वास्थ्य को बनाए रखना केवल एक व्यक्ति का ही कर्तव्य नहीं है बल्कि यह समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। विश्व दृष्टि दिवस विजन 2020 एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2020 तक टालने योग्य अंधेपन को समाप्त करना हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के अनुसार, विश्वभर में लगभग 285 मिलियन लोग नेत्रहीन हैं। विश्वभर में करीब 39 लाख लोग आँख की बीमारी से परेशान हैं जिनमें से 15 लाख लोग भारतीय हैं। शारीरिक, सामाजिक, मानसिक तथा आर्थिक चुनौतियों के कारण उनकी स्थिति सचमुच दयनीय है क्योंकि अक्षम लोग अपने आप से कुछ नहीं कर सकते और उन्हें दूसरों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। भारत में करीब करीब 3.5 मिलियन लोग ऐसे है जो नेत्रहीन है। हर साल भारत में 30,000 नए मरीज ऐसे जन्म लेतें है जो जन्म से ही नहीं देख सकते है। दृष्टि दोष के प्रमुख कारणों में असंशोधित अपवर्तक कमियां 43 प्रतिशत और मोतियाबिंद 33 प्रतिशत हैं। अधिकांश अंधेपन यानि लगभग 80 प्रतिशत का बचाव उपचार या रोकथाम से किया जा सकता है।
आंखों की देखभाल बाल्यकाल से ही की जानी चाहिए। किसी भी बच्चे की आंखों की पहली बार जांच पांच साल के होने तक हो जानी चाहिए। इस उम्र में अगर बच्चे की आंखों में किसी प्रकार का बहंगापन, आंखों का छोटी-बड़ी होना या और भी कोई परेशानी रहती है तो वह इसी अवस्था में ठीक हो जाती हैं। इसी तरह किशोर और युवा अवस्था में भी आंखों की नियमित जांच जरूरी है। आंखों की समस्या से आज का युवा ज्यादा परेशान हैं क्योंकि वह अपना ज्यादतर समय कंप्यूटर, मोबाइल फोन, रंगीन टीवी, वीडियो गेम और टैबलेट पर बिताते हैं। उनकी यह बेपरवाही और लापरवाही उन्हें असमय आँखों का दुश्मन बना देती है और यह दंश उन्हें ताउम्र झेलना पड़ता है।
यह देखा गया है कि 15 से 40 साल तक के स्वस्थ इंसान में आंखों की समस्या नहीं होती। इस दौरान कोई खास बीमारी ही आंखों की समस्या के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। लेकिन 40 साल की उम्र के बाद से आंखों में समस्याएं आनी शुरू हो जाती हैं। अगर आप 60 साल से ऊपर के हैं तो कम समय के अंतराल पर नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं और डॉक्टरों के निर्देशानुसार चश्मे का लेंस बदलवाएं। आज जहां उम्र के साथ आंखों की बीमारियों में वृद्धि हुई है। अधिक उम्र में होने वाली आंखों की समस्याएं हैं ग्लाउकोमा, कैटरैक्ट आदि और ज्यादातर स्थानों पर इनका ईलाज आसानी से उपलब्ध है। हमारा आंखें अनमोल हैं और इनसे हम यह खूबसूरत दुनिया देखते हैं, लेकिन आंखों के प्रति हमारी थोड़ी सी भी लापरवाही हमें अंधेपन का शिकार भी बना सकती है। हममें से बहुत से ऐसे लोग हैं, जो आंखों की समस्याओं के शुरूआती लक्षणों को अनदेखा कर देते हैं और धीरे-धीरे उनमें यह समस्याएं गंभीर रूप ले लेती है। आंखों की देखभाल को भी प्राथमिकता दें।
प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ और जयपुर आई एंड डेंटल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ अमित गुप्ता के अनुसार अपनी आँखों की सुरक्षा हमारी खुद की जिम्मेदारी है। यह सत्य हैं कि आँख है तो जहान है। आंखें स्वस्थ न हों तो संसार की सारी खूबसूरती बेमानी लगती हैं। फिर भी हम अपनी आंखों का पर्याप्त खयाल नहीं रख पाते। डॉ गुप्ता के अनुसार हम अपने खान पान का ध्यान रखकर अपनी आँखों को सही सलामत रख सकते है। अच्छी और निरोगी दृष्टि के लिए स्वस्थ आहार का सेवन जरुरी है। अपने संतुलित आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, अंडे, फलियों एवं गाजर को अधिक से अधिक मात्रा में शामिल करें। धूम्रपान का त्याग कर हम दृष्टि से संबंधित कई तरह की समस्याओं से छुटकारा पा सकते है। यदि आप कार्यस्थल पर खतरनाक या संकटपूर्ण पदार्थों से काम करते हैं, तो आंखों की रक्षा करने के लिए सुरक्षा चश्मा अवश्य पहनना चाहिए। यदि आप लंबी अवधि तक कंप्यूटर पर काम करते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि आप बीच-बीच में उठेंगे और आँखों का सूखापन कम करने के लिए आँखों को अधिक से अधिक बार झपकें। टेलीविजन देखने या कंप्यूटर, लेपटॉप और स्मार्ट मोबाइल पर काम करते हुए एंटी ग्लेयर चश्मा पहनने से आँखों की अपेक्षाकृत सुरक्षा की जा सकती है। मंद और धीमे प्रकाश में न पढ़े। यह आँखों को होने वाली परेशानियों के प्रमुख कारणों में से एक है। इसी के साथ आँखों के बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अपनी आँखों की नियमित जांच कराएं।

-बाल मुकुन्द ओझा

 

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