Tuesday, April 16, 2024
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स्वास्थ्य

साइबर नाइफ रूबिना सर्जरी के ब्रेन ट्यूमर का प्रभावी उपचार

साइबरनाइफ रेडियो सर्जरी सिस्टम को सर्जरी के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है या मस्तिष्क के कैंसरयुक्त और कैंसर रहित ट्यूमरों के प्रबंधन में दूसरे उपचारों के साथ यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह तकनीक भारत में पिछले 3.4 वर्षों से इस्तेमाल की जा रही है, इस तकनीक के द्वारा शरीर के अधिकतर कैंसरयुक्त ट्यूमरों और कैंसर-रहित ट्यूमरों का उपचार संभव है, जिसमें सम्मिलित हैं प्रोस्टेट, फेफड़े, लिवर आदि के ट्यूमर- अब सामान्यता इसका इस्तेमाल मस्तिष्क और स्पाइन के ट्यूमरों को नष्ट करने के लिए किया जा रहा है। अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस आर्टेमिस हॉस्पिटल गुरुग्राम के डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी डा. आदित्य गुप्ता का कहना है कि आधारभूत रूप से साइबर नाइफ रेडिएशन सर्जरी सर्वाधिक विकसित, नान-इनवेसिव रेडिएशन थेरेपी टूल है जो कैंसरयुक्त ट्यूमरों के साथ ही कैंसर रहित ट्यूमरों और अन्य बीमारियों के उपचार के लिए उपलब्ध है। इस थेरेपी में रेडिएशन की हाई डोज परिशुद्ध किरणों का इस्तेमाल किया जाता है, इस उपचार में न तो कोई दर्द होता है, ना ही कोई खतरा। इसके लिए अस्पताल में रूकने की जरूरत भी नहीं पड़ती है क्योंकि सेशन पूरा होते ही तुरंत अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। साइबर नाइफ रेडिएशन सर्जरी में रेडिएशन का हाई डोज सीधा आपके ट्यूमर को दिया जाता है जिसके लिए परिष्कृत इमेज गाइडेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है।
साइबर नाइफ रेडिएशन थेरेपी की सफलता दर काफी अधिक है, हालांकि, यह उन ट्यूमरों के लिए सर्वश्रेष्ठ कार्य करती है जिनका आकार लगभग 2-2.5 से.मी.होता है। हालांकि, कुछ दुर्लभ मामलों में, इसका इस्तेमाल मस्तिष्क के ट्यूमरों के उपचार के विकल्प के रूप में भी किया जाता है जिन्हें या तो मस्तिष्क में उनकी स्थिति के कारण ऑपरेशन द्वारा नहीं निकाला जा सकता या उन मरीजों के लिए, जिनकी खराब मेडिकल कंडीशन आदि के कारण ब्रेन कैंसर सर्जरी नहीं की जा सकती। इस उपचार की सफलता दर 90 प्रतिशत से अधिक हो सकती है अगर उपचार के लिए सही मरीज का चयन किया जाए। साइबर नाइफ की अगली जनरेशन-एम-6 भारत में पहले इस्तेमाल की जाने वाली की तुलना में अत्यधिक परिष्कृत है, क्योंकि इसकी कुछ असाधारण विशेषताएं हैं। इसमें रेडिएशन का अधिकतम डोज कईं अलग-अलग कोणों से सीधे ट्यूमर तक पहुंचाया जाता है, इसकी सफलता दर भी काफी अधिक है। इसके साथ ही, गहन ऊर्जा की उत्सर्जित केंद्रित किरणें कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं और ट्यूमर के विकास को नियंत्रित (ट्यूमर सिकुड़ जाता है) करती हैं। यह लक्षित कोशिकाओं को मल्टीप्लाई करने से रोकती हैं। रेडिएशन थेरेपी का उद्देश्य हानिकारक कोशिकाओं को नष्ट करना और स्वस्थ कोशिकाओं को कम से कम नुकसान पहुंचाना होता है, इसके अलावा, साइबर नाइफ सिस्टम अपने आप ही सामंजस्य बैठा लेता है और ट्यूमर का पता लगा लेता है जिससे स्वस्थ अंगों और उत्तकों तक रेडिएशन के एक्सपोजर को और कम करने में सहायता मिलती है। पारंपरिक रेडिएशन उपचार और सर्जरी की तुलना में साइबर नाइफ रेडिएशन सर्जरी के कईं लाभ हैं।
साइबर नाइफ बनाम गामा नाइफ
ब्रेन ट्यूमर या कैंसर रोगियों के लिए, गामा नाइफ उपचार सुविधाजनक या आरामदायक नहीं है। इसका सबसे प्रमुख कारण है कि गामा नाइफ के लिए इनवेसिव हेड फ्रेम की आवश्यकता पड़ती है, जिसे खोपड़ी में बोल्ट के द्वारा कसा जाता है,् इसके अतिरिक्त, उपचार की पूरी प्रक्रियाय इमेजिंग, उपचार की योजनाएं और उपचार एक ही दिन में हो जाता है। सामान्यतया, सुबह मरीज की खोपड़ी में हेड फ्रेम लगाई जाती है, इसके पश्चात् इमेजिंग स्कैन किया जाता है। इसके पश्चात् मरीज को खोपड़ी में हेड फ्रेम के साथ उपचार की योजना की प्रक्रिया के दौरान अस्पताल में इंतजार करना पड़ता है।
इसकी तुलना में, साइबर नाइफ हाई-डोज रेडिएशन थेरेपी, परिशुद्ध वितरण के लिए नान-इनवेसिव, रियल-टाइम मोशन ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी है। भारी हेड फ्रेम के स्थान पर साइबर नाइफ में उपचार के दौरान केवल मुलायम मेश मॉस्क का इस्तेमाल किया जाता है। साइबर नाइफ से उपचार कहीं अधिक फ्लेक्सिबल है। उपचार के कईं दिनों पहले इमेजिंग की जाती है, जिससे रेडिएशन कैंसर रोग विशेषज्ञ को मरीज की स्थिति और आवश्यकता के अनुसार उपचार योजना तैयार करने का समय मिल जाता है। एक बार जब उचित योजना बन जाती है, मरीज को उपचार के लिए बुलाया जाता है। एडवांस ट्यूमर ट्रैकिंग तकनीक का इस्तेमाल कर, साइबर नाइफ सिस्टम द्वारा या तो एक बार में ही हाई डोज उपचार दिया जाता है या छोटे-छोटे डोज (पांच डोज तक) दिये जाते हैं, इसमें 2-5 दिन का समय लगता है। इसके साइड-इफेक्ट्स कम होते हैं, अधिकतर मरीज उसी दिन घर लौटकर अपने सामान्य कार्य कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, क्लीनिकल स्टडीज में यह सामने आया है कि मरीज जिन्हें मस्तिष्क, सिर, गर्दन और स्पाइन में कैंसरयुक्त या कैंसर रहित ट्यूमर है। बेहतर परिणाम मिलते हैं जब एक हाई डोज देने के स्थान पर 2-5 छोटे डोज कुछ दिनों में दिये जाएं। साइबर नाइफ उपचार के दौरान मरीज को कुछ नहीं करना होता है, सिर्फ आराम से लेटे रहने के अलावा, इस दौरान जितना कम हिलेंगे डुलेंगे उतना बेहतर रहेगा। सामान्यता उपचार, चार से पांच सेशन में पूरा होता है, जिसमें लगभग एक सप्ताह का समय लगता है। साइबर नाइफ के द्वारा उपचार कराना बहुत महंगा भी नहीं है और इसमें लगभग दूसरी सर्जरियों जितना ही खर्च आता है।
उपचार के बाद के साइड इफेक्ट्स
अधिकतर मरीजों में कोई साइड इफेक्ट्स दिखाई नहीं देते हैं और वो उपचार के तुरंत बाद अपने दैनिक कार्य कर सकते हैं, कुछ सामान्य कार्यों को करने में थोड़ी समस्या आ सकती है। उपचार के पहले अपने न्यूरोसर्जन से सभी संभावित साइड इफेक्ट्स के बारे में चर्चा करें, क्योंकि आपके मस्तिष्क या स्पाइन में ट्यूमर की स्थिति और प्रकार के आधार पर ये अलग-अलग हो सकते हैं। साइड इफेक्ट्स जो अस्थायी होते हैं, उनमें सम्मिलित है हल्का सिरदर्द, जी मचलाना आदि। सबसे महत्वपूर्ण है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपमें किस प्रकार के ट्यूमर का डायग्नोज हुआ है, यह प्राइमरी ट्यूमर है या कैंसर है जो शरीर के दूसरे भाग से आपके मस्तिष्क में मेटास्टैसाइज्ड हो गया है। सबसे जरूरी है कि इसका जल्दी से जल्दी डायग्नोज किया जाए और सर्वश्रेष्ठ उपचार विकल्पों का पता लगाया जाए, लेकिन विकल्प जैसे साइबर नाइफ रेडिएशन सर्जरी न केवल इनवेसिव हेड और बॉडी फ्रेम्स से मुक्ति देते हैं बल्कि बार-बार होने वाले ट्यूमर के उपचार के विकल्प भी सुझाते हैं, जिन्हें पहले कभी लाइलाज माना जाता था या जिन तक पहुंच संभव नहीं थी। साइबर नाइफ की रोबोटिक आर्म उन ट्यूमरों तक पहुंच सकती है जिनका पारंपरिक सर्जरी के द्वारा ऑपरेशन संभव नहीं था, इन ट्यूमरों तक भी रेडिएशन की हाई डोज किरणें कईं कोणों से सीधे पहुंच जाती हैं कैंसरयुक्त कोशिकाओं को मारने के लिए।
साइबर नाइफ ब्रेन कैंसर उपचार संक्षेप में
इस प्रक्रिया में चीरा या कट नहीं लगाए जाते (नान-इनवेसिव), इसलिए एनेसथीसिया की जरूरत नहीं पड़ती है। रोबोटिक आर्म की फ्लेक्सिबिलिटी के कारण रेडिएशन की कईं किरणें, कईं कोणों से सीधे कैंसरयुक्त कोशिकाओं पर आक्रमण करती हैं, इसके कारण आसपास की कोशिकाओं/उत्तकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। साइबर नाइफ रेडियो सर्जिकल उपचारों को कम अंतराल में 3-5 सीटिंग में दिया जा सकता है, इसमें साइड इफेक्ट्स कम से कम होते हैं और आप उपचार के एक या दो घंटे में नियमित गतिविधियां कर सकते हैं। यह आउट पेशेंट आधार (अस्पताल में रूकने की आवश्यकता नहीं) पर किया जाता है।

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