सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालन से 90 प्रतिशत ओरल कैंसर में हो सकेगी कमी
विश्व कैंसर दिवस पर विशेष
नई दिल्ली। देश में ओरल कैंसर जिस तरह से महामारी के रुप में फैल रहा है, यदि समय रहते उचित कदम नही उठाए गए तो अकेले भारत में अगले तीन साल में करीब 9 लाख जिंदगियां काल के ग्रास में समाहित हो जांएगी। यही नही ओरल कैंसर के जनक तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर पूर्णतया प्रतिबंध नही लगा तो इन लाखेां लोगों की मौत के अलावा 17 लाख से अधिक लोगों को यह जानलेवा बीमारी जकड़ लेगी। इन सबको बचाया जा सकता है बशर्ते सर्वोच्च न्यायालय के 23 सितंबर-2016 के निर्णय की राज्य सरकारें सख्ती से पालना करें। इस वर्ल्ड कैंसर दिवस पर हम सबको सकारात्मक रुप से इसे पालना कराने की दिशा में कदम उठाने की जरुरत है, इसी से लाखों लोगों की जिंदगी को बचाया जा सकेगा।
इंडियन कांउसिल मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार साल 2020 तक 17.3 लाख लोगों को जानलेवा बीमारी कैंसर जकड़ लेगी। जिससे 8.8 लाख लोग कैंसर की वजह से अपनी जान गंवा चुके होंगे। इससे न केवल लाखों परिवार प्रभावित होंगे बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी किए गए सर्वे रिपोर्ट में सामने आये हैं। इस सर्वे के मुताबिक वर्ष-2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है बल्कि इसकी जीडीपी में भी गिरावट दर्ज की गई है। कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में भारत ने कुल कार्यक्षमता में 6.7 बिलियन की कमी दर्ज की गई। जो कि हमारी आर्थिक विकास दर का 0.36 प्रतिशत है।
दुनियाभर में एड्स, मलेरिया और टीबी से ज्यादा कैंसर पीडितों की मौत हो जाती है। वहीं मौत के दस प्रमुख कारणों में से कैंसर प्रमुख है। यह स्थिति पब्लिक हैल्थ के लिए एक बड़ी चुनौति उभरकर सामने आई है। इससे के लिए पूरी तरह से तंबाकू पर प्रतिबंध हो तभी कैंसर को रोका जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की प्रभावी रूप से हो पालना
गौरतलब है कि 23 सितंबर-2016 को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन्स पैंक में तम्बाकू जनित पदार्थों (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही कोर्ट ने एफएसएसएआई की 2.3.4 के तहत खाद्य वस्तुओं के साथ तंबाकू और निकोटीन युक्त पादर्थों की बिक्री प्रतिबंध को पूर्णतया लागू करने के निर्देश दिए थे। इस आदेश की राज्य सरकारों ने अभी तक प्रभावी रूप से पालना नहीं की जिस कारण आज भी इनकी बिक्री खुलेआम हो रही है। इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों में निरंतर इजाफा हो रहा है। सर्वे के मुताबिक तम्बाकू जनित पदार्थों की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर रोग से ग्रसित हो रहे हैं। राज्य सरकारों को चाहिए कि देश में ही नहीं बल्कि विश्वभर में महामारी की तरह फैल रहे कैंसर रोग से बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट की निर्देशों की प्रभावी रूप से पालना करें।
पांच ब्रिक्स देशों में गंभीर चितंन का विषय
कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक केवल इन पांच ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, साउथ अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर का 25 फीसदी योगदान है। वहींए 2012 में कैंसर से संबंधित मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है जिसके तहत करीब 46.3 बिलियन डालर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।
वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) के संस्थापक एंव टाटा मैमोरियल अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डाॅ. पंकज चतुर्वेदी ने बताया कि तंबाकू के इस्तेमाल को कम करने के लिए राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सख्ती से पालना करवानी चाहिए। जब हमें पता है कि 90 प्रतिशत मुंह के कैंसर का कारक तंबाकू उत्पाद है, इस स्थिति में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित कराने में क्या रोक है। प्रतिबंध की पालना सुनिश्चत करनी चाहिए ताकि प्रतिवर्ष तंबाकू से होने वाली दस लाख मौतों को बचाया जा सके।
इसके अलावा स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने से भी कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। ऐसा होने से कैंसर के ईलाज पर पर खर्च हो रहे भारी भरकम बजट के बोझ को कम कर देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सकता है। संबध हैल्थ फांउडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ ने कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (जीएटीएस) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लेाग तंबाकू का उपभोग करते है। जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरु करतें है। इनमें से अधिकतर की मौत को तंबाकू पर प्रतिबंध करके बचाया जा सकता है। पूर्व रेल मंत्री व सांसद दिनेश त्रिवेदी ने बताया कि युवाओं को अपने आत्मविश्वास को हमेशा साथ रखना चाहिए न कि किसी ब्रांडेड सिगरेट के पैकेट को। अधिकतर युवा सिगरेट इत्यादि का सेवन करते हंै लेकिन आप अपने स्वस्थ जीवनशैली को चुनंे न कि कैंसर को।