संपादकीयस्वास्थ्य

रक्त दान करें और दुनिया को जीवंत बनाये रखें

गुरुग्राम। गुरुग्राम में जितनी भी ब्लड बैंक हैं उनमे ब्लड और ब्लड प्रोडक्ट की भारी कमी हो गयी है, जिससे रेगुलर ब्लड ट्रांसफ्यूजन वाले मरीजों के साथ-साथ थैलेसीमिया, एनीमिया और ब्लड की बीमारियों वाले मरीजों के इलाज में बाधा आ रही है। पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम के ट्रांसफ्यूजन सर्विस के हेड और कंसल्टेंट डॉ वरुण कपूर ने लोगों से कोविड की वैक्सीन लगाने से पहले रक्तदान करने का अनुरोध किया है। कोविड वैक्सीन लगवाने से पहले रक्तदान करने के लिए इसलिए अनुरोध किया है क्योंकि वैक्सीन लगवाने के 14 दिन बाद तक कोई रक्तदान नहीं कर पायेगा।
डब्ल्यूएचओ ने अनुमान लगाया है कि किसी देश को अपनी आबादी के 1 प्रतिशत के बराबर ब्लड यूनिट की जरुरत होती है। डब्लूएचओ के इस स्टैण्डर्ड को शायद भारत पूरा नहीं कर पाता है, यहां तक कि महामारी के शुरू होने से पहले भी भारत में ब्लड यूनिट्स की कमी (NACO के अनुसार भारत को हर साल 13.5 मिलियन ब्लड यूनिट की जरुरत पड़ती है जबकि ब्लड डोनेशन केवल 11 मिलियन ही हो पाता है) थी। इसके अलावा गुरुग्राम में अधिकांश ब्लड डोनर 18 से 45 साल की आयु वर्ग के हैं और वयस्कों के लिए वैक्सीन लगवाने से पहले इस कमी से निपटने के लिए उपाय किए जाने चाहिए।
डॉ वरुण ने कहा, ‘रक्तदान करने में गिरावट क्यों आई है इसका कारण हम सभी जानते हैं। पहले की तरह नई उभरती संक्रामक बीमारियों से लोग कोविड-19 के संक्रमण के डर से भीड़-भाड़ वाले हॉस्पिटल्स या ब्लड कलेक्शन कैम्प में जाने से कतराते हैं। पिछले एक साल से लॉकडाउन दिशानिर्देशों में काफी हद तक कॉलेजों और ऑफिसों के साथ-साथ लोकप्रिय साइटों को बंद कर दिया, इन साइटों पर रक्तदान अभियान आयोजित किया जाता रहा है। इन सबसे भी जरूरी चीज यह है कि अभी बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है और वैक्सीन लगवाने के 14 दिनों के बाद ही लोग रक्तदान करने में सक्षम हो सकते है। इसके परिणामस्वरूप ब्लड की कमी हो सकती है, जिससे इमरजेंसी सर्जरी को रोकना पड़ सकता है। इसलिए हम ब्लड डोनर से वैक्सीन लगवाने से पहले रक्तदान करने का अनुरोध करते हैं। कई हॉस्पिटल्स सुरक्षित रक्तदान सुनिश्चित करने के लिए ब्लड डोनर के लिए पिकअप और ड्रॉप की व्यवस्था भी कर रहे हैं।’
मार्च 2020 में शुरू हुए राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन के बाद से एकत्र किए गए ब्लड यूनिट्स और ब्लड कैम्प की संख्या में भी बहुत ज्यादा गिरावट आई है। एनबीटीसी (नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल) की सलाह के अनुसार ब्लड डोनेशन सर्विसेस को एहतियात के साथ जारी रखने की सिफारिश की गई है। फिर भी यह देखा गया है कि 45 साल से ऊपर के लोग जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज लगवा ली है। वे भी बाहर नहीं आ रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि रक्तदान करने से वैक्सीन का असर कम हो जाता है।
डॉ. वरुण ने आगे कहा, ‘वैक्सीन लगवाने के बाद या उससे पहले रक्तदान को लेकर कई सारी अफवाह और मिथक प्रचलित हैं। चूंकि आपका शरीर लगातार एंटीबॉडी बना रहा होता है और उन्हें परिपूर्ण करने में सक्षम रहता है, इसलिए रक्त दान करने से आपके कोविड-19 वैक्सीन शॉट का प्रभाव कम नहीं होता है। जब आप कोविड-19 वैक्सीन लगवाते हैं, तो आपका इम्युनिटी सिस्टम प्लाज्मा कोशिकाओं का उत्पादन करके प्रतिक्रिया करता है, यह एक बड़े कारखाने के रूप में कार्य करता हैं और यह लगातार एंटीबॉडी बनाता हैं। शरीर में लगभग पाँच लीटर खून होता है। जब आप रक्तदान करते हैं, तो केवल 450 मिलीलीटर ही दान दिया जाता है। खून की यह मात्रा वैक्सीन शॉट की प्रभावशीलता पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकता है।

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