स्वास्थ्य

फॉस्फोरस का अत्यधिक सेवन किडनी रोग का कारण

-उमेश कुमार सिंह
कुछ लोगों में किडनी की बीमारी बिना किसी लक्षण के दबे पांव आती है और कुछ किया जा सके इससे पहले ही सब कुछ खत्म करके चली जाती है, यहां काफी हद तक दोषी हम ही हैं। डायबिटीज को जानने के लिए हम शुगर टेस्ट करते-कराते रहते हैं, ब्लडप्रेशर पर नियमित निगरानी रखी जाती है। गैस के चलते भी छाती में टीस उठे, तो ह्ृदयरोग विशेषज्ञ से संपर्क करते हैं और यह आवश्यक भी है, लेकिन किडनी के मामले में ऐसा नहीं है। अधिकांश लोग न तो किडनी की गड़बडियों से वाकिफ हैं और न ही इस बात से किडनी की देखभाल कैसे की जाए? जिसे हम थोड़ी बहुत जानकारी मानते हैं वह मात्र गलत फहमियां होती हैं। मिसाल के तौर पर किडनी में स्टोन की शिकायत होने पर हर कोई यह सलाह देता नजर आता है कि बीयर पीने से स्टोन पेशाब के जरिए बाहर निकल जाते हैं, जबकि हकीकत में किडनी रोगियों के लिए बीयर का अधिक मात्रा में सेवन नुकसानदेह होता है। बीयर, सॉफ्ट ड्रिंक्स, दूध-दही इत्यादि में फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है। दरअसल, किडनी के किसी रोग से पीड़ित व्यक्ति जब अधिक मात्रा में उक्त चीजों का सेवन करता है, तो उसके रक्त में फास्फोरस अस्थियों से कैल्शियम को खींचता है, नतीजन अस्थियां कमजोर होने लगती हैं. फास्फोरस की अधिकता से त्वचा में खुजलाहट भी बढ़ जाती है।
नारायणा सुपर स्पेशेलिटी हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजिस्ट डाॅ. सुदीप सिंह सचदेव का कहना है कि हमारे देश के अधिकतम राज्यों के निवासी अन्य कारणों के अलावा कुछ भौगोलिक कारणों से भी किडनी रोगों के प्रति संवेदनशील हैं। समुद्रतटीय यानी कोस्टल एरिया में रहने वालों के किडनी रोगों से पीड़ित होते हैं, इस लिए आज जब खान-पान की आदतों-लाइफ स्टाइल में बदलाव वगैरह के चलते देश में किडनी पीड़ितों की संख्या दिन-ब दिन बढ़ रही है, तो हमें किडनी की बीमारियों, उनके लक्षणों, इलाज व बचाव इत्यादि के तरीकों को जान लेना आवश्यक है। अलग-अलग लोगों में किडनी रोगों के अलग-अलग लक्षण मिल सकते हैं। कुछ व्यक्तियों में रोग के कोई लक्षण नजर नहीं आते। बहरहाल, किडनी के समस्याग्रस्त होने पर नजर आने वाले कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार है पीठ दर्द, मूत्र त्याग के दौरान रक्त का आना। मूत्र की मात्रा और मूत्र त्याग की बारंबरता में बदलाव, खासकर रात के समय। ब्लडप्रेशर का कम ज्यादा होना। शरीर में जहां किडनियां मौजूद हैं वहा दर्द महसूस होना। मूत्र त्याग के दौरान दर्द व जलन महसूस करना. आंखें, चेहरे पांव व त्वचा के अन्य हिस्सों में वाटर रिटेंशन यानी जल जमाव के कारण सूजन सी दिखाई देना। थकान खाकर शाम के समय। डाॅ. सुदीप सिंह सचदेव का कहना है कि एक भी किडनी स्वस्थ हो, तो हमारी विभिन्न शारीरिक क्रियाएं कमोबेश सुचारू रूप से चलती रहती हैं, फिर भी किडनी के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। किसी भी तरह की गड़बड़ी के कारण लक्षण नजर आने पर तत्काल इलाज जरूरी है, अन्यथा रोग बड़ी तेजी से बढ़ता है और दोनों ही किडनियों को खराब कर देता है।

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