अपने बच्चों के हृदय को समझें बेहतर जीवन के लिए
जन्मजात हृदय की विकृतियां, वो विकृतियां हैं जो गर्भावस्था के दौरान हृदय के ठीक प्रकार से विकसित न होने के कारण होती हैं। यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि अधिकतर मामलों में जन्मजात विकृतियों का कोई ज्ञात कारण नहीं होता है और यह किसी भी गर्भावस्था में हो सकता है। एक और स्थिति है किसी भी प्रकार का ब्ल्युनेस ‘‘सायनोसिस’’, जो इस बात का संकेत है कि बहुत सारे बच्चों में हृदय से संबंधित विकृतियां पनप रही हैं और जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती है।
साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के न्युनैटल और कोनजेनाइटल हार्ट सर्जरी के सीनियर निदेशक चीफ सर्जन व हेड डॉ कुलभूषण सिंह डागर ने बताया, कई प्रकार की हृदय की जन्मजात विकृतियां, अक्सर तब हो जाती हैं जब मां कुछ निश्चित पदार्थों जैसे एंटीएपिलेप्टिक दवाईयों के संपर्क में आती है, गर्भावस्था के पहले कुछ सप्ताहों के दौरान, जब बच्चे का हृदय विकसित हो रहा होता है। अनियंत्रित डायबिटीज और गर्भावस्था के पहले कुछ महीनों में वाइरस का संक्रमण, इसके साथ ही जीवनशैली से जुड़ी कुछ आदतें जैसे धुम्रपान आदि के कारण भी गर्भस्थ शिशु में जन्मजात हृदय रोगों के मामले बढ़ जाते हैं। यहां तक कि अगर मां को जन्मजात हृदय की विकृतियां हैं या पहला बच्चा जन्मजात हृदय की विकृतियों के साथ जन्मा है, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना होती है कि अगली गर्भावस्थाएं सामान्य होंगी।
सांस फूलना, खांसी आना और सांस लेते समय घर-घर की आवाज आना ‘अस्थमैटिक अटैक’ जैसे लक्षण हृदय की विकृतियों या श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याओं जैसे एलर्जन्स के संपर्क में आने के कारण भी हो सकते हैं। हार्ट फेलियर यहृदय का प्रभावी रूप से रक्त पंप न कर पानाद्ध के कारण फेफड़ों, श्वास मार्ग और उसके आसपास फ्ल्युड जमा ‘पल्मोनरी इडेमा’ होने लगता है। इस स्थिति के कारण सांस फूलना, खांसी आना और सांस लेते समय घर-घर की आवाज आना जैसे संकेत और लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जो अस्थमा के समान हैं। ऐसा नहीं है कि सभी मरीजों में जिनमें सांस लेते समय घरघर की आवाज आए कार्डिएक डिसआर्डर हो। हालांकि इसे केवल एलर्जी से संबंधित समस्या नहीं मानना चाहिए, हृदय की गहन जांच आवश्यक है, इसमें इको भी सम्मिलित है।
उन्होंने आगे जानकारी देते हुए बताया, ‘कभी-कभी माता.पिता अपने बच्चों के हृदय का आकार बढ़ने को लेकर चिंतित रहते हैं, लेकिन एनलार्ज्ड हार्ट ‘‘कार्डियोमेगाली’’ कोई रोग नहीं है, बल्कि शरीर में पनप रही किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत है। हृदय का आकार बढ़ने से सामान्य से लेकर घातक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों में हृदय का आकार बढ़ने के सामान्य कारणों में हृदय में छेद होनाए वाल्वुलर हार्ट डिसीजए यह जन्मजात भी हो सकता है और समय के साथ भी विकसित हो सकता हैए हृदय की मांसपेशियों की बीमारी ‘कार्डियोमायोपैथी’ और हृदय के आसपास फ्ल्युड का जमावए लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम होना, थायरॉइड डिसआर्डर, पल्मोनरी हाइपरटेंशन और दुर्लभ बीमारियों जैसे अमायलायडोसिस के कारण भी हृदय का आकार बड़ा हो सकता है। बच्चे को किसी बाल हृदयरोग विशेषज्ञ को दिखाना आवश्यक है ताकि यह पता लगाया जा सके कि हृदय का आकार क्यों बढ़ रहा है और इसका प्रबंधन किस प्रकार से किया जाए।
जब बच्चे बढ़े हो रहे होते हैं उस दौरान बहुत ही कम मामलों में छाती में दर्द हृदय से संबंधित समस्याओं के कारण होता है। हालांकि इन स्वास्थ्य समस्याओं के परिणाम काफी गंभीर और जीवन के लिए घातक हो सकते हैं, इसलिए बहुत जरूरी है कि बच्चों को छाती में दर्द होने पर बाल हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
डॉ डागर ने आगे बताते हुए कहाए ‘सभी बच्चे जिन्हें ब्ल्युनेस है, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि वह कितना गंभीर है। बाल हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाना जरूरी है। इस मूल्यांकन के दौरान बच्चे की छाती का एक्स.रे लिया जाता है। सैचुरेशन और ईको एक्जामिनेशन के साथ, जीवन के पहले कुछ सप्ताहों में ब्ल्युनेस के मामलेए सामान्यता हृदय से संबंधित गंभीर विकृतियों को रेखांकित करते हैं और जीवन की शुरूआत, कभी-कभी पहले सप्ताह में ही तुरंत उपचार की आवश्यकता पड़ती है।