लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

डेंगू से क्यों डरना चाहिये? (क्योंकि यह जानलेवा हो सकता है)

-सुश्री कंचन नाइकावाड़ी
प्रिवेंटिव हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट (इंडस हेल्थ प्लस)

डेंगू, यह शब्द व्यक्ति को भय से भर देता है और क्यों नहीं? इसका प्रभाव मृत्यु का कारण बन सकता है या जीवन भर रह सकता है। कई लोग जानते हैं कि डेंगू से थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया (प्लेटलेट काउंट की कमी) होता है, लेकिन कितनों को पता है कि आगे चलकर इससे क्या होता है?
डेंगू के वायरस से प्लेटलेट्स नष्ट होते हैं और उनकी संख्या घट जाती है। प्लेटलेट्स से खून गाढ़ा होता है और रक्त की हानि नहीं होती है। प्लेटलेट्स कम होने पर खून को बहने से रोकना कठिन हो जाता है। प्लेटलेट्स के अलावा यह वायरस त्वचा, म्यूकोसा, हृदय, मस्तिष्क, आँख, आदि की कोशिकाओं को भी क्षति पहुँचाता है। इस क्षति से कोशिकाएं मर जाती हैं या टूट जाती हैं। परिणामस्वरूप शरीर के विभिन्न भागों में खून बहता है या तरल संग्रहित होने लगता है।
यह वायरस हृदय की मांसपेशियों को प्रभावित करता है और चोटिल होने पर वे ठीक से काम नहीं कर पाती हैं और हृदय की पम्पिंग धीमी हो जाती है। कई मामलों में यह चोट एक वर्ष में ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ मामलों में स्थिति सुधर नहीं पाती है। और व्यक्ति को धीमी पम्पिंग के साथ ही शेष जीवन बिताना पड़ता है। यह हृदय के इलेक्ट्रिकल सर्किट्स को भी प्रभावित करता है, जिससे रिदम डिसऑर्डर (असामान्य धड़कन) हो जाता है।
इसी प्रकार, यह किडनी को भी प्रभावित करता है और वे खराब हो जाती हैं। कई बार स्थिति अपने-आप सामान्य हो जाती है, लेकिन किडनी पर प्रभाव जानलेवा हो सकता है। अन्य समस्याओं में आँख प्रभावित होने पर दृष्टिहीनता और प्रोग्रेसिव पैरालिसिस (जीबी सिंड्रोम) शामिल हैं। यह वायरस प्लैसेंटा को भेदकर भ्रूण तक पहुँच सकता है। इसलिये गर्भवती महिलाओं को अत्यंत सावधान रहना चाहिये।
यहाँ कुछ संकेत, लक्षण और रोकथाम के सुझाव दिये गये हैं, जो आपके काम आ सकते हैं:

  • 3 से 7 दिन तक बुखार रहना।
  • तेज सिरदर्द और आँखों में दर्द होना।
  • मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द।
  • भूख नहीं लगना।
  • उल्टी होना और डायरिया।
  • त्वचा पर चकत्ते।
  • रक्त बहना, आमतौर पर नाक या मसूड़ों से।
  • डेंगू की रोकथाम के उपाय :
  1. कपड़े : त्वचा को खुला न रखें, लंबी पैन्ट्स, लंबी आस्तीन के शर्ट और मोजे पहनें, ढंके हुए पैर जूतों या मोजों तक जाने चाहिये और टोपी पहनें।
  2. मच्छर निरोधक : डाइथाइल्टोल्युमाइड (डीईईटी) की कम से कम 10 प्रतिशत या अधिक सांद्रता वाले निरोधक का उपयोग करें, ऐसा लंबी अवधि की जरूरत पर किया जा सकता है। छोटे बच्चों पर डीईईटी का उपयोग न करें।
  3. मच्छरदानी और जाली : कीटनाशक वाली जालियाँ अधिक प्रभावी होती हैं, अन्यथा मच्छर जाली से सटे व्यक्ति को काट सकता है।
  4. दरवाजों और खिड़कियों पर जाली : सही बनावट वाली जाली लगाने से मच्छर बाहर रहते हैं।
  5. सुगंध से बचें : खूब सुगंध वाले साबुन या परफ्यूम मच्छरों को आकर्षित कर सकते हैं।
  6. कैम्पिंग गियर : कपड़ों, जूतों और कैम्पिंग गियर पर परमेथ्रिन का उपयोग करें, या ऐसे कपड़े खरीदें, जिन पर पहले से उपयोग किया गया हो।
  7. समय : सुबह, शाम और शाम की शुरूआत में घर से बाहर न रहें।
  8. रूका हुआ पानी : एडीस मच्छर स्वच्छ, ठहरे हुए जल में प्रजनन करता है। इस पर ध्यान देने और ठहरे हुए पानी को हटाने से जोखिम कम हो सकता है।

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