राष्ट्रीय

दिल्ली वाईएचएआई में वित्तीय घोटालों की संसद में गूंज

नई दिल्ली। यूथ हॉस्टल असोसिएशन ऑफ इंडिया (वाईएचएआई) के हॉस्टल के ट्रैकिंग अभियान में महाराष्ट्र के युवा ट्रैकर सुमित की मौत के बाद वाईएचएआई में वित्तीय घोटालों, गड़बड़ियों, गबन और अस्त-व्यस्त प्रबंधन का मामला गरमा गया है। वाईएचएआई में वित्तीय घोटालों और वरिष्ठ पदाधिकारी के पद के दुरुपयोग का मामला लोकसभा में उठाया गया। संस्थान के नेशनल चेयरमैन वेंकट नारायण पर निजी आर्थिक हितों को बढ़ावा देने, अनावश्यक हवाई यात्रा में लाखों खर्च करने, दार्जिलिंग हॉस्टल की खरीद में घोटाला करने, तमिलनाडु स्टेट वाईएचएआई से ऊटी यूथ हॉस्टल, जिससे चेयरमैन के घरेलू कारोबारी हित जुड़े हैं, में अवैध रूप से फंड ट्रांसफर के आरोप लगाए गए हैं।
यही नहीं, मैसुरु हॉस्टल के निर्माण में करोड़ों की राशि का गबन करने का आरोप वाईएचएआई के मौजूदा नेशनल चेयरमैन और उनकी टीम पर लगाया गया है। मैसुरु में 2016 में 6.5 करोड़ की लागत से अधिक में हॉस्टल का निर्माण किया था। चेयरमैन पर आरोप है कि उन्होंने और उनकी टीम ने हॉस्टल के निर्माण में करोड़ों की राशि खुर्द-बुर्द की या अपनी जेब के हवाले कर ली। इस हॉस्टल के लिए जमीन सरकार ने दी थी। हॉस्टल का मूल बजट 3 करोड़ रुपये का था, मगर चेयरमैन ने वाईएचएआई के नेशनल ट्रेजरार एमआर मनोज जौहरी के साथ मिलकर इस हॉस्टल के निर्माण पर 6.5 करोड़ रुपये खर्च किए। हॉस्टल बनाने का काम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दिया गया था, पर इसका पेमेंट एक प्रॉपराइटरी फर्म को किया गया था, जो वित्तीय नियमों का सरासर उल्लंघन है।
संसद में इस संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि वाईएचएआई के ट्रैकिंग अभियान के दौरान ट्रैकर की मौत या इससे जुड़ी कोई जानकारी सरकार के पास नहीं है।
वाईएचएआई के लाइफ मेंबर्स ने इस संबंध में संस्थान के नेशनल प्रेसिडेंट को पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि वाईएचएआई दिल्ली की संस्था है, वेंकट चेन्नै में रहते हैं। वेंकट महीने में चार बार चेन्नई जाते और वहां से वापस दिल्ली लौटते हैं। अगर मोटा अनुमान लगाया जाए तो नेशनल चेयरमैन की दिल्ली से चेन्नई की हवाई यात्राओँ पर सालाना 4.5 लाख से 6 लाख रुपये खर्च होते हैं। यह खर्चा बहुत विशाल है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता क्येंकि वाईएचएआई एक एनजीओ है और कोई कॉरपोरेट संस्था नहीं है। यह जांच होनी चाहिए कि किन कारणों या किस इमरजेंसी में श्री वेंकट दिल्ली से चेन्नै गए और उनके इस दौरे से वाईएचएआई के खजाने पर बोझ पड़ने के अलावा संस्थान को इतना लाभ हुआ।
वाईएचआई के नैशनल चेयरमेन पर संस्थान में की जाने वाली भर्तियों में भेदभाव करने और एक क्षेत्र विशेष के लोगों को तरजीह देने का आरोप लगाया गया है। उनका कहना है कि संस्थान में की जाने वाली भर्तियों के लिए नियम-कायदों की जमकर धज्जियां उड़ाई जाती हैं। इस संबंध में वाईएचएआई के नेशनल काउंसिल या नेशनल एक्जिक्यूटिव को भेजे गए पत्र में चेयरमैन पर वित्तीय गड़बड़ियों, जैसे दार्जिलिंग यूथ हॉस्टल की खरीद में घोटाले, बेंगलुरु यूथ हॉस्टल को आनन-फानन में बंद करने और तमिलनाडु स्टेट वाईएचएआई से ऊटी यूथ हॉस्टल, जिससे चेयरमैन के कारोबारी हित जुड़े हैं, में फंड का ट्रांसफर के मामले में जांच की मांग की गई है। पत्र में लिखा है कि अपने मनमाने रवैये का विरोध करने वालों के खिलाफ चेयरमैन गलत ढंग से वाईएचएआई की मानहानि का केस दर्ज करा देते हैं। पत्र में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से चेयरमैन के घोटालों की जांच कराने और नियंत्रक और महालेखापरीक्षक से चेयरमैन के उन तमाम वित्तीय फैसलों का ऑडिट कराने की मांग की गई है, जिससे वाईएचएआई के खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *