बेरोजगारी की समस्या का समाधान और औद्योगिक क्रांति लाने के लिए दिल्ली पहुंची जागृति यात्रा
नई दिल्ली। 15 दिन तक चलने वाली राष्ट्रीय रेलगाड़ी यात्रा जो कि भारत के शहरों और गांवों से होते हुए 8000 किलोमीटर का सफर युवा एवं अनुभवी उद्यमियों के साथ तय कर रही है, भारत भर के युवक विभिन्न व्यावसायिक उद्यमियों से, कन्याकुमारी, बेंगलु, नालंदा, नई दिल्ली और अहमदाबाद के कई स्टॉप के बीच विशेषज्ञों के साथ बातचीत करेंगे। जागृति यात्रा भारत के टियर-2 और टियर-3 शहरों में औद्योगिक क्रांति लाकर देश में बदलाव लाने कि भरपुर कोशिस है। यात्रा के 12वें दिन ये राष्ट्रपति भवन पहुचेंगे जहां माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद यात्रियों को संबोधित करेंगे।
आशुतोष कुमा, (कार्यकारी निदेशक) ने कहा कि एमुंबई से 10वीं जागृति यात्रा की शुरुआत 24 दिसंबर को हुई। इस बार जागृति यात्रा में समाज के अलग.अलग वर्गों और विभिन्न पृष्ठभूमि से आए 500 लोगों ने भाग लिया, जिसमें 50 फीसदी महिलाएं है। उन्होंने कहा कि इस बार के यात्रा में पांच अहम संकल्प (शपथ) ले रहे हैं जो यात्रा के उद्देश्य को राष्ट्रीय एकीकरण में पुनर्निर्देशित करेगा। ‘पहला संकल्प हम उद्यम के माध्यम से भारत का निर्माण करना चाहते हैं, दूसरा हम युवाओं और महिलाओं को रोजगार सृजनकर्ता बनने के लिए सशक्त बनाना चाहते हैं। तीसरा हम भारत में राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देंगे, आगे हम भारत के छोटे शहरों और गांवों पर ध्यान देंगे, और हम इस देश के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्र निर्माता बनने के लिए सशक्त बनाएंगे।
जागृति सेवा संस्थान के अध्यक्ष शशांक मणि त्रिपाठी ने बताया, ‘इस साल हम जागृति यात्रा की 10वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। उपक्रम के माध्यम से भारत निर्माण का मिशन कभी इतना प्रासंगिक और उचित नहीं था। जैसे-जैसे हम भारत की स्वतंत्रता की 70वीं वर्षगांठ मनाने के करीब पहुंचते जा रहे हैं। वैसे-वैसे हमें अपने आंदोलन को तेज करने की जरूरत महसूस होती जा रही है। जागृति यात्रा, इससे जुड़ा जागृति नेटवर्क एंटरप्राइज का कार्यक्रम और निकट भविष्य में पूर्वांचल में स्थापित होने वाला जागृति एंटरप्राइज सेंटर अब भारत के टियर-2 और टियर-3 के शहरों में उपक्रमों के गठन या उद्यमियों को प्रेरणा देने के लिए एक समग्र कार्यक्रम चलाने को बिल्कुल तैयार है। हम भारत के सभी राज्यों में फैले अपने समर्थकों और जागृति संस्थान के 4000 से ज्यादा छात्रों को धन्यवाद देना चाहते हैं, जिनकी मदद से इस आंदोलन को सफलता मिली।’
भोपाल के एक उद्यमी, सोमैया ने कहा ‘यह एक महत्वाकांक्षी ट्रेन यात्रा है जो उद्यमी को खोज और परिवर्तन के लिए सैकड़ों युवाओं को प्रेरित करती है। इस यात्रा का हिस्सा बनने में मुझे बहुत प्रसन्नता हुई और मैंने अपने सभी वरिष्ठ और जूनियर से भी बहुत कुछ सीख लिया।’
दिल्ली सेशन के लिए हमारी अगली रोल मॉडल अंशु गुप्ता है, जो 2015 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार की विजेता रह चुकी हैं। 1998 में गूंज संस्था की स्थापना कर चुकी अंशु का मानना है कि कपड़े पहनना किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। गूंज सामाजिक बदलाव के लिए शहरी कूड़े.करकट का प्रसंस्करण करती है। संस्था का दान पुण्य में विश्वास नहीं है क्योंकि संस्था का मानना है कि किसी व्यक्ति को
दिया गया दान उसके सम्मान को चोट पहुंचाता है और उसकी गरिमा को उससे छीनता है।
उनका लक्ष्य है, काम के लिए कपड़े। लोगों को उनके प्रयास के के लिए पुरस्कार स्वरुप कपड़े-जूते-चप्पल, मसाले और अन्य
चीजें दी जाती हैं। इस दौरे के साथ यात्रियों ने महसूस किया कि एक महान विचार और अपने लक्ष्य पर केंद्रित एक व्यक्ति भी क्रांति ला सकता है। जागृति इस मैराथन के लिए आगे आई है ! जागृति का मानना है कि उद्यमिता का लोकतांत्रिकरण करके और कंक्रीट के जंगलों वाले बड़े-बड़े शहरों से उद्द्योगका रुख छोटे कस्बों और गांवों की ओर मोड़कर ही वास्तविक भारत का निर्माण किया जा सकता है। बेरोजगारी कीसमस्या का समाधान कर नई क्रांति लाई जा सकती है।