लोगों की जीवन की कीमत पर जीवकोपार्जन नहीं : उच्च न्यायालय
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्यावसायिक गतिविधियों के लिए आवासीय परिसरों का इस्तेमाल करने वालों को फटकार लगाते हुए आज कहा कि लोगों के जीवन की कीमत पर जीवकोपार्जन नहीं हो सकता है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर समेत आवासीय इलाकों में बड़ी संख्या में कोचिंग संस्थानों को लेकर चिंता जाहिर करते हुए यह बात कही।
पीठ ने कहा, ‘यह बहुत असंभव स्थिति है। शहर में रह रहे लोग अपने लाभ के लिए स्वार्थी हो गए हैं। वे अपने पड़ोसियों के बारे में सोचते तक नहीं हैं। पीठ ने मालिकों से भीड़ के मुद्दे से निपटने को कहा। पीठ ने व्यावसायिक गतिविधियों को गैर-कानूनी करार दिया।