राष्ट्रीय

सरेआम ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते व महिला सवाली के साथ बेहूदगी करते आरटीवी बस के चालक

नजफगढ़, दिल्ली (अनीता गुलेरिया)। नजफगढ़ इलाके के श्याम विहार में पालम रोड पर चलने वाली आरटीवी बस के चालको द्वारा आए दिन बढ़ती बेहूदगी, जिसमें इनकी औरतों के साथ सरेआम हाथापाई, गाली-गलौच, बदतमीजी इतनी हद तक बढ़ गई है बीते मंगलवार DL-IV C-2195 गाड़ी के ड्राइवर ने लेडीज सवारी के लिए स्टॉप पर बस नहीं रोकी और बस के कंडक्टर द्वारा स्कूल की बच्चियों के साथ अभद्र भाषा और स्कूली छात्रा के अगले हिस्से पर हाथ रखते हुए जबरदस्ती पीछे को धकेलने का प्रयास किया बस में सवार लेडीज मीडिया कर्मी ने इस बात के लिए यदि टोका तो कंडक्टर ने मीडिया कर्मी से भी बेहूदगी दिखाते हुए बदतमीजी करते हुए बस के मालिक की धमकी दे डाली। उधर ड्राइवर और कंडक्टर दोनों ने बदतमीजी दिखाते हुए पहले तो ड्राइवर ने बस में स्पीकर को पूरी तरह तेज आवाज के साथ चला दिया और कंडक्टर ने उस मीडिया-कर्मी से अलग-अलग तरीके से बेहूदगी भरी हरकतें जारी रखी, उसकी बदतमीजी को सहन करते हुए लेडीज मीडिया कर्मी जैसे ही बस से उतरने लगी, तो बस कंडक्टर ने तुझे तो मै फिर किसी और दिन देख लूंगा। धमकी देते हुए दरवाजे पर हाथ लगाकर रास्ता रोकने की कोशिश की और अपने मुंह से पुलिस कंप्लेंट करने को कहा हम जैसे लोगों का पुलिस कुछ नहीं कर सकती। इस तरह आए दिन सड़कों पर गाड़ी को चलाते हुए सरेआम ट्रैफिक के नियमों की धज्जियां उड़ाते और सवारियों के साथ बदतमीजी से पेश आते इन बस चालको की कंप्लेंट पर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस कोई ध्यान न देते हुए आखिर ढंग से कार्रवाई क्यो नहीं करती। इस सब का दोषी ट्रैफिक पुलिस नहीं तो और कौन है…..? अब देखना यह है इस लेडीज मीडिया कर्मी से की गई बदतमीजी और उसके द्वारा बनाए गए वीडियो के सबूतों के आधार पर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस कोई एक्शन लेती है या नहीं। यदि कोई एक्शन नहीं करना है तो इसका कारण बताएं दिल्ली पुलिस। हम सब मीडिया कर्मी दिल्ली के ट्रांसपोर्ट मंत्री कैलाश गहलोत जिसे पूछना चाहेंगे आखिर नजफगढ़ के लोगों के वोट के दम पर विधायक बने मंत्रीजी आखिर दिल्ली ट्रांसपोर्ट से यहां की जनता को अब तक वंचित क्यों रखा गया है। क्यों दिल्ली के अंदर स्कूल के समय स्कूली छात्राओं के लिए बस-सर्विस की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है, और दिल्ली के स्कूली छात्राएं इन जैसे बदमाश चालको से प्रताड़ित होने को मजबूर हैं। सरकार बेटियों को सुविधाएं देने के नाम पर बड़े-बड़े भाषण और झूठे दावे क्यों करती हैं, आखिर यह सुविधाएं धरातल पर कब उतरेंगी।

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