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हमने कोर्ट को गुमराह नहीं किया है, बल्कि हमारी दलील को कोर्ट ने गलत समझा : मोदी सरकार

दिल्ली। मोदी सरकार ने राफेल सौदे को लेकर मचे घमासान के बीच अपने बचाव में सफाई पेश की है और कहा कि हमने कोर्ट को गुमराह नहीं किया है, बल्कि हमारी दलील को कोर्ट ने गलत समझा। केंद्र ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख कर राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष न्यायालय के फैसले में उस पैराग्राफ में संशोधन की मांग की है जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के बारे में संदर्भ है। सरकार ने कहा है कि उसके नोट की अलग-अलग व्याख्या के कारण विवाद पैदा हो गया है।
केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि फैसले के पैराग्राफ 25 में दो वाक्य लगता है कि उस नोट पर आधारित है जिसे उसने मुहरबंद लिफाफे में मूल्य विवरण के साथ जमा किया था लेकिन अदालत द्वारा इस्तेमाल किये गए शब्द से अलग मतलब निकाला जा रहा है।
केंद्र ने साफ कर दिया कि वह यह नहीं कह रहा कि कैग रिपोर्ट का पीएसी ने परीक्षण किया था या संपादित हिस्से को संसद के सामने रखा गया, उसने स्पष्ट किया कि नोट में कहा गया है कि सरकार कैग के साथ मूल्य विवरण को साझा कर चुकी है।
याचिका में कहा गया है कि उक्त नोट मोटे अक्षरों में लिखा गया है। इसमें मोटे अक्षरों में लिखे गए वाक्य में कहा गया है कि सरकार मूल्य विवरणों को कैग के साथ साझा कर चुकी है. कैग की रिपोर्ट का पीएसी परीक्षण कर रही है। रिपोर्ट का संपादित हिस्सा संसद में रखा गया और यह सबके सामने है।
वाक्य के दूसरे हिस्से में पीएसी के संबंध में है, इसमें कहा गया है कि कैग की रिपोर्ट का पीएसी परीक्षण कर रही है। फैसले में ‘इज’ की जगह ‘हैज बीन’ का इस्तेमाल हुआ है। केंद्र ने शीर्ष अदालत के आदेश में आवश्यक संशोधन की मांग करते हुए कहा कि इसी तरह फैसले में यह कथन है कि रिपोर्ट का संपादित हिस्सा संसद के सामने रखा गया।

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