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ईपीएफओ मुख्यालय पर देश भर से आए बुजुर्ग पेंशनर्स ने किया भारी प्रदर्शन और घेराव

नई दिल्ली। ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति के आह्वान पर ईपीएस-95 के पेंशन धारक ने शुक्रवार को देश की राजधानी दिल्ली में ईपीएफओ ऑफिस का घेराव कर आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया। ऑल इंडिया ईपीएस-95 पेंशनर्स संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने बताया कि ईपीएस-95 के 60 से 80 वर्ष के बुजुर्ग पेंशनधारक नई दिल्ली में भीकाजी कामाजी प्लेस स्थित ईपीएफओ के हेड ऑफिस पर एकत्र हुए। इस अवसर पर ईपीएफओ की सांकेतिक शव यात्रा भी निकाली गई। 31 मार्च 2017 को ईपीएफओ कार्यालय की अंतरिम एडवाइजरी कमिटी के पत्र को भी आग के हवाले किया गया। इसी कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल में लाने से रोका था और पेंशनर्स को उनकी वास्तविक सैलरी पर पेंशन लेने से महरूम किया था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ की याचिका को खारिज करते हुए 1 अप्रैल को केरल हाईकोर्ट के उसे फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें ईपीएस-95 के पेंशनर्स को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से बढ़ी हुई पेंशन देने का आदेश दिया गया था। बुजुर्ग पेंशन धारक हाई पावर्ड मॉनिटरिंग कमिटी की रिपोर्ट की होली जलाएंगे, जिसने कमरतोड़ महंगाई के जमाने में बुजुर्गों को केवल 2000 रुपये पेंशन देने की सिफारिश की है।
राउत ने कहा जिन पेंशन धारकों ने अपने पूरे जीवन भर हर महीने की कमाई से 417, 541 और 1250 रुपये पेंशन फंड में जमा कराए और जिसका मूल्य करीब 20 लाख रुपये बैठता है, उन्हें रिपोर्ट में केवल 2000 रुपये पेंशन देने की सिफारिश करने से पेंशनधारकों में ईपीएफओ के प्रति रोष चरम सीमा पर है।
उन्होंने बताया कि पेंशनधारक 2013 की कोशियारी समिति की सिफारिशों के अनुसार 7500 रुपये मासिक पेंशन, उस पर 5000 रुपये महंगाई भत्ते और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार वास्तविक वेतन पर उच्चतम पेंशन की मांग कर रहे हैं। पेंशनधारकों का यह भी कहना है कि जिन रिटायर्ड कर्मचारियों को ईपीएफ योजना में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें पेंशन योजना में लाया जाए या 5000 रुपये की राशि पेंशन के तौर पर दी जाए।
कमांडर अशोक राउत ने बताया कि पेंशन धारकों के मामले में एक्सपर्ट कमिटी और कोशियारी समिति की रिपोर्ट सरकार के पास थी, लेकिन इसके बावजूद जनवरी 2018 में एक दूसरी हाई इंपावर्ड मॉनिटरिंग कमिटी का गठन किया गया। इस रिपोर्ट में पेंशन धारकों को इस महंगाई के जमाने में 2000 रुपये मासिक पेंशन देने की सिफारिश की गई, जो पूरी तरह अमानवीय, अन्याय और भेदभावपूर्ण है।
लगातार उत्पीड़न, शोषण और नाइंसाफी झेल रहे ईपीएस-95 के पेंशनर्स ने अपनी मांगों के समर्थन में काफी लंबा संघर्ष किया है। इसी वर्ष 15 जुलाई को देश भर के ईपीएफ ऑफिस पर पेंशनर्स ने जोरदार धरना-प्रदर्शन किया था। दक्षिण भारत में बेंगलुरु और कडप्पा और उत्तर भारत में देहरादून, मेरठ और आगरा में 12 जुलाई को ईपीएफ पेंशनरों ने ईपीएफ दफ्तरों पर प्रदर्शन किए थे। इससे पहले देश भर के लाखों ईपीएफ पेंशनर्स ने मुंडन आंदोलन, अर्ध नग्न आंदोलन, भिक्षा मांगो आंदोलन, ताला ठोंको आंदोलन, रेल रोको आंदोलन और भूख हड़ताल आदि बहुत से आंदोलन किए, लेकिन इसका सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा। लाखों पेंशनधारक राष्ट्रपति को भी इच्छामृत्यु की अनुमति देने के लिए पत्र लिख चुके हैं। एनएसी के हेडक्वॉर्टर महाराष्ट्र के बुलडाणा में पिछले साल 24 दिसंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल भी की थी।27 फरवरी 2019 को जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन के बाद पीएमओ तक मोर्चा निकाला था।
राउत ने बताया कि देश की करीब 186 इंडस्ट्रीज में कार्यरत 65 लाख पेंशनर्स पहले कॉरपोरेट सेक्टर, चीनी मिलों, निजी और सरकारी इंडस्ट्रीज में नौकरी करते थे। अब जीवन की सांझ में सम्मानपूर्ण ढंग से गुजारे लायक पेंशन न मिलने से वह अपनी मौत से पहले ही रोज तिल-तिल कर मर रहे हैं।
68 वर्षीय पेंशनर सोभा ताई आरस जो बुड़ाना (महाराष्ट्र) कि है उन्होंने बताया, “ईपीएस-95 के पेंशनरों को अपनी रोजी-रोटी चलाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रति महीने अपनी सैलरी में निश्चित राशि ईपीएफओ को देने के बावजूद हमें रिटायरमेंट के बाद गुजारे लायक पेंशन भी नहीं मिल रही है। महंगाई के जमाने में इतने 2000 रुपल्ली में अपना घर चलाने की बात तो सोची भी नहीं जा सकती। आखिर हमारा गुनाह क्या है, जो हमें इतना परेशान किया जा रहा है। सच तो यही है कि एसी दफ्तरों में बैठने वाले गरीबों की परेशानी नहीं समझ सकते।“
24अगस्त नांदेड़ (महाराष्ट्र) में CWC ki  कमेटी की बैठक और 25 को राष्ट्रीय अधिवेशन होगा

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