बाल दिवस के मौके पर बच्चों के साथ हैप्पीनेस की स्पेशल क्लास में शामिल हुए उपमुख्यमंत्री सिसोदिया
नई दिल्ली। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के स्कूलों के बच्चों की हैपीनेस क्लास में शामिल होकर इस बार बाल दिवस अनोखे तरीके से मनाया। उन्होंने कहा कि बाल दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि हमारे अभिभावक और अध्यापक अपनी भूमिका के बारे में विचार कर सकें। श्री सिसोदिया ने बच्चों से जाना कि लॉकडाउन के दौरान हैपीनेस क्लासेज ने किस तरह से उनकी भावनाओं पर सकारात्मक प्रभाव डाला। इस ऑनलाइन हैपिनेस स्पेशल क्लास का संचालन बच्चों ने स्वयं किया।
श्री सिसोदिया ने कहा कि दो साल पहले हैपीनेस क्लासेज शुरू हुई थीं। कोरोना महामारी के दौरान भी यह जारी रहीं, जो कि छात्रों के लिए बहुत मुश्किल समय था। उन्होने कहा कि जिस तरह से हमारे छात्र हैपीनेस क्लासेज को अनोखे तरीकों से अभिभावकों और दोस्तों के साथ साझा करते हैं, ऐसे में हमारे छात्रों को हैपीनेस करिकुलम का टीचर बनते देख बहुत खुशी होती है। बच्चों ने उपमुख्यमंत्री के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि मार्च से स्कूल बंद होने के बाद हैपीनेस क्लासेज से उनके रोजाना के जीवन में बहुत से सकारात्मक बदलाव लाए।
एसकेवी, विनोद नगर पश्चिम की छात्रा हर्षिता रावत ने कहा कि वह रोज अपनी मां और बहन के साथ तीन मिनट मेडिटेशन करती है। उसने कहा कि लॉकडाउन के दौरान घर पर रहते हुए हैपीनेस क्लासेज सबसे बड़ी प्रेरणा का स्रोत थीं। इसने मुझे सिखाया कि घर पर लॉकडाउन का मुश्किल समय जल्द ही गुजर जाएगा और मैं दोबारा से अपने दोस्तों से मिल सकूंगी। मैंने यह भी सीखा कि हमें अपने रिश्तों को सम्मान देना चाहिए और अपनी भौतकवादी जरुरतों के ऊपर सोचना चाहिए, खासतौर से जब कई रिश्तेदारों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं।
एक अन्य छात्र पीयूष गुरुरानी ने कहा कि माइंडफुल क्लासेज ने मुझे निराशा के दौर से दूर करके मेरे मन को शांत करने में बहुत मदद की। इसने लॉकडाउन का बोरडम खत्म करने में मदद की। बीपीएस केवी के छात्र गुरमीत धंजल ने कहा कि लॉकडाउन ने मुझे माइंडफुलनेस को अपनाना सिखाया। क्लास में जिन कहानियों को हम सुनते थे, उनसे हमने किसी भी तरह की चिंता और तनाव से दूर रहना सीखा। जिस समय अपने स्कूल की कमी सबसे ज्यादा महसूस होती थी, उस दौरान इन क्लासेज ने सभी क्लासमेट्स और टीचर्स को जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई।
स्पेशल हैप्पीनेस क्लास का संचालन बीपीएसकेवी, देवली की गुलशपा और जीसीएसवी, द्वारका के निखिल ने किया। एक अन्य स्टूडेंट गुरमीत ने छात्रों और अध्यापकों के लिए माइंडफुल क्लास के निर्देश दिए। सभी ने निर्देशों को सुनते हुए अपने मन को शांत करने के लिए मेडिटेशन किया।
इसके बाद कहानी सुनाने का सत्र चला जिसमें छात्रों ने किसी स्थिति विशेष पर कहानियां पढ़ी और उन पर चर्चा की। इसका मकसद था कि लोग अपने विचार साझा करे कि किसी मुश्किल दौर में वे कैसे प्रतिक्रिया करेंगे। इस दौरान चर्चा हुई कि कैसे अपनी गलती को स्वीकार करें और इस पर कोई कैसे प्रतिक्रिया दे।
बीपीएस केवी की कक्षा 6 की छात्रा तपस्या शर्मा ने कहा कि गलती करना एक सामान्य सी बात है, इसलिए अपनी गलती स्वीकार करके हमें उसका समाधान खोजना चाहिए।
इस दौरान छात्रों ने भौतिकता और पारिवारिक मूल्यों तथा रिश्तों को लेकर भी चर्चा की। कई स्टूडेंट्स ने अपने जीवन से जुड़े अनुभवों तथा स्थितियों पर चर्चा की। अंत में सभी बच्चों को तरह-तरह की भाव भंगिमा बनाकर यह बताने के लिए कहा गया कि वह कैसा महसूस कर रहे हैं। इसके बाद एक बार फिर माइंडफूलनेस का सेशन हुआ।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में जुलाई 2018 में नर्सरी से आठवीं कक्षा तक हैप्पीनेस करिकुलम लागू किया गया था। इसके अंतर्गत माइंडफूलनेस, कहानी सुनाना, गतिविधियों तथा अभिव्यक्ति पर जोर दिया जाता है। इन कक्षाओं को काफी खुला और संवाद केंद्रित बनाया जाता है। लॉकडाउन के दौरान भी स्टूडेंट्स ने इन कक्षाओं में हिस्सा लिया तथा खुद ही अपने परिवारों और मित्रों को भी इसका अभ्यास कराया।