इन 7 कारणों से महाभारत के युद्ध में अर्जुन के हाथों मारा गया दानवीर कर्ण
महाभारत का महायुद्ध 18 दिनों तक चला इस युद्ध में सतरहवें दिन कौरवों के सेनापति कर्ण को वीरगति प्राप्त हुई जब अर्जुन ने निहत्थे कर्ण पर दिव्यास्त्र का प्रयोग कर दिया। अर्जुन के दिव्यास्त्र से कर्ण की मृत्यु हो गई लेकिन यह पूरा सत्य नहीं है। दरअसल इसके पीछे 7 ऐसे कारण हैं जो नहीं होते तो कर्ण का अर्जुन के हाथों मरना असंभव होता।
कर्ण दानवीर था लेकिन जीवन भर भाग्य ने उनके साथ कंजूसी दिखाई। जन्म के साथ ही मां का साथ छूट गया। मां ने बदनामी के डर से कर्ण को जन्म लेने के साथ ही बक्से में बंद करके गंगा में प्रवाहित कर दिया। इससे कर्ण को अपनी वास्तविकता का ज्ञान नहीं हो पाया और यह उसके लिए मृत्यु का कारण बन गया। गुरु परशुराम जी ने कर्ण को शाप दे दिया कि तुम मेरी दी हुई शिक्षा उस समय भूल जाओगे जब तुम्हें इसकी सबसे ज्यादा जरुरत होगी। शाप की वजह यह थी कि कर्ण ने क्षत्रियों के समान साहस का परिचय दिया था जिससे गुरु परशुराम क्रोधित हो गए क्योंकि उन्होंने क्षत्रियों को ज्ञान न देने की प्रतिज्ञा ली हुई थी। और सत्य भी यही था कि कर्ण एक क्षत्रिय थे और वास्तविकता का बोध नहीं होने की वजह से खुद को सूत पुत्र बताया था।