सामाजिक

आर.जी.सी.आई.आर.सी., हेल्थियंस द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन

नई दिल्ली। विश्व रक्तदान दिवस के अवसर पर आयोजित विभिन्न गतिविधियों के बीच रोहिणी स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एवम् रिसर्च सेंटर द्वारा एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। मौके पर लोगों का खासा उत्साह देखने को मिला और दूसरों को जीवन देने के लिए स्वेच्छा से लगभग 58 पुरूषों और 8 महिलाओं से रक्तदान किया और लगभग 66 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया।
आरजीसीआईआरसी के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी डी.एस. नेगी ने कहा, रक्तदान से बढ़कर कोई बड़ा दान नहीं है। रक्तदान करने वाले व्यक्ति की सेहत पर इसका कोई बुरा असर नहीं होता, बल्कि रक्तदान करने से शारीरिक तौर पर लाभ ही होता है। रक्तदान से मिलें रक्त से किसी की जिन्दगी बचाया जा सकता है। उन्होंने सभी डोनर्स का अभिवादन करते हुए सर्टिफिकेट और टोकन ऑफ थैंक्स देते हुए भविष्य में ऐसे सफल और उत्साहवर्द्धक प्रतिभागिता की उम्मीद जतायी।
शिविर के दौरान लोगों को रक्तदान के फायदे बताने के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किया गया। मौके पर आर.जी.सी.आई.आर.सी. के डॉ. अमरदीप पाठक ने बताया विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान का लक्ष्य रखा है लेकिन जागरूकता की कमी के वजह से लोग स्वेच्छा से रक्तदान नहीं करते। अगर लोग रक्तदान करेंगे को वह न केवल दूसरों का जीवन बचा सकेंगे बल्कि स्वयं भी काफी स्वास्थ्य फायदे उठा सकेंगे। रक्तदान से स्ट्रोक, हार्ट अटैक, लीवर की बीमारियों व कैंसर के जोखिम कम हो सकते हैं। रक्तदान का लीवर पर अच्छा प्रभाव पड़ता है, वजन नियंत्रण रखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त 650-700 कैलोरी एक बार के रक्तदान से कम की जा सकती हैं। लोगों को अमूमन तीन महीने में एक बार रक्तदान करना चाहिए।
वहीं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अन्तर्गत घर-घर स्वास्थ्य जांच की सुविधा देने वाली अग्रणी फर्म हेल्थियंस ने भी स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया। ‘हर बूंद कीमती’ के नाम से यह आयोजन रोटरी ब्लड बैंक के सहयोग से किया गया। शिविर में हेल्थिंयस के कर्मचारियों, आसपास की कंपनियों के कर्मचारियों और अन्य लोगों ने रक्तदान कर मानवता के इस कार्य में अपना योगदान दिया। इस दौरान लोगों को रक्तदान के फायदे बताने के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किया गया।
इस मौके पर हेल्थियंस के सीईओ और संस्थापक दीपक साहनी ने रक्तदान के फायदे बताए और कहा कि रक्त का कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता है। अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ने से पहले उन्हें खुद यह लगता था कि रक्तदान से कमजोरी आती है और सेहत से जुड़े अन्य खतरे भी होते हैं। धीरे-धीरे ये भ्रम टूट गए। एक वयस्क व्यक्ति में औसतन 10 पिंट रक्त होता है और रक्तदान के समय इसमें से करीब एक पिंट लिया जाता है। रक्तदान के बाद हमारा शरीर अपनी अनोखी क्षमता का इस्तेमाल करते हुए तेजी से कम हुई कोशिकाओं और रक्त की पूर्ति कर देता है। उन्होंने लोगों से समाज के हित के लिए स्वैच्छिक रूप से रक्तदान का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि एक यूनिट खून से तीन लोगों का जीवन बचाया जा सकता है। इससे एक्सीडेंट के शिकार लोगों, किसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहे या इमरजेंसी की स्थिति में किसी व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। भविष्य में ऐसे और भी शिविर आयोजित किए जाएंगे। शिविर में 42 यूनिट रक्त जुटाया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *