सामाजिक

देशभर में 37 लाख एनएसएस स्वयं सेवक चलाएंगे प्लेज फॉर लाइफ-टोबेको फ्री यूथ अभियान

नई दिल्ली। राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) ने तंबाकू सेवन के कारण होने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिए प्लेज फॉर लाइफ-टोबैको फ्री यूथ ’अभियान शुरू किया है। इस कार्यशाला का शुभारंभ युवा मामलों के खेल मंत्रालय के एनएसएस निदेशक एन राजा ने की। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारियों और स्वयंसेवकों को तंबाकू के सेवन से होने वाली परेशानियों और बीमारियों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) की तकनीकी सहायता से एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक डॉ. परमिंदर सहगल द्वारा दी गई थी।
इस मौके पर युवा मामलों के मंत्रालय के एनएसएस के निदेशक एन. राजा ने कहा, “अगर हम चाहते हैं कि लोग स्वस्थ और खुश रहें इसके लिए जरुरी है कि हमारी भावी पीढ़ी को तंबाकू से बचाना बहुत महत्वपूर्ण है। देश भर के एनएसएस स्वयंसेवक राष्ट्र के लिए काम करते हैं। लगभग 37 लाख स्वयंसेवक हैं जो स्वास्थ्य, स्वच्छता, आपदा प्रबंधन आदि सामाजिक मुद्दों पर काम करते हैं। ये तंबाकू का उपयोग करने से खुद को रोककर और दूसरों को ऐसा न करने के लिए प्रेरित करके लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाने में सकारात्मक भूमिका निभाएंगे। ”
कार्यशाला के दौरान, वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) के संरक्षक डॉ. वेदांत काबरा, निदेशक, कैंसर केयर, मणिपाल हॉस्पिटल्स द्वारका ने प्रतिभागियों को तंबाकू सेवन के विनाशकारी प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि तम्बाकू के कारण मुंह के कैंसर से पीड़ित बहुत सारे युवा मरीज उनके पास इलाज के लिए आते हैं। इस मौके पर कैंसर से बचे कुछ लोगों और उनके परिवारों ने भी बीमारी की कठिनाइयों और पीड़ा को साझा किया। परिवारों की दुर्दशा और उनके जीवन में आए व्यवधान से एनएसएस प्रतिभागी काफी परेशान थे।
उन्होंने कहा कि तम्बाकू के सेवन से 90 प्रतिशत मुंह व फेफड़े का कैंसर हो जाता है, जो परिवार के लिए जानलेवा और आर्थिक तबाही का बड़ा कारण बन जाता है। यह दुर्भाग्य है कि 50 प्रतिशत से अधिक मुंह के कैंसर पीड़ित जो सर्जरी करा भी लेते हैं वे एक वर्ष से अधिक जीवित नहीं रह पाते। इस बीमारी की रोकथाम ही बेहतर इलाज है। एनएसएस युवाओं को तंबाकू की लत से बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। ”

प्रतिवर्ष 19 हजार की मौत

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (2017) के अनुसार, दिल्ली में 25 लाख (17.8 प्रतिशत) से अधिक लोग धूम्रपान और चबाने के रूप में तम्बाकू का उपयोग करते हैं, जबकि तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के कारण सालाना 19,000 से अधिक तम्बाकू उपयोगकर्ताओं की मौत हो जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में हर दिन 81 बच्चे तम्बाकू की लत के शिकार हो रहे हैं।
इस दौरान कार्यशाला में सभी प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे कभी भी तंबाकू को छूएंगे भी नहीं और परिवार, दोस्तों और अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने वर्ष 2019-20 के लिए प्लेज फॉर लाइफ अभियान के तहत एक कार्य योजना विकसित की है, जिसमें छात्र, एनएसएस स्वयंसेवक तंबाकू विरोधी गतिविधियों, तंबाकू, विशेष शिविरों, वाद-विवाद एंव निबंध प्रतियोगिताओं, नुक्कड़ नाटकों आदि जैसे तंबाकू विरोधी गतिविधियों का संचालन करेंगे।
संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी अरविंद माथुर ने कहा, “एनएसएस द्वारा हमारी युवा पीढ़ियों को व्यसनों से बचाने का यह सामाजिक कारण एक बड़ी पहल है। दिल्ली विश्वविद्यालय में कुल 63 एनएसएस इकाइयां हैं जिनमें लगभग 7500 स्वयंसेवक हैं। इन स्वयंसेवकों की ऊर्जा निश्चित रूप से तम्बाकू के कारण होने वाली मौतों की संख्या को कम करेगी, जो दुनिया भर में ज्ञात मौत का एकमात्र सबसे रोका जाने योग्य कारण है।
इस कार्यशाला में एनएसएस के स्वंयसेवक, दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंद्ध महाविद्यालय के एसएसएस के कार्यक्रम अधिकारी, दिल्ली पुलिस के अधिकारी, एसएचएफ के दिल्ली प्रोजेक्ट मैनेजर डा. सोमिल रस्तौगी, कार्डिनेटर प्रमोद कुमार, जमना प्रसाद इत्यादि भी उपस्थित रहे।

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