सामाजिक

आजाद फाउंडेशन के पहले अंतरराष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस में गरीब महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की दिशा में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा

नई दिल्ली। महिलाओं के लिए और गैर-पारंपरिक आजीविका के क्षेत्र में ज्ञान के प्रसार में अग्रणी संगठन आजाद फाउंडेशन ने ‘हाशिए पर रह रहे लोगों के लिए गैर पारपंरिक आजीविका निर्माण’ के विषय पर भारत में पहले अंतरराष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस का आयोजन किया है। आज शुरू हुआ यह तीन दिवसीय कार्यक्रम 19 जनवरी तक चलेगा और इसमें भारत में गरीब महिलाओं के लिए आजीविका की व्यवस्था के मुद्दे पर गंभीर चिंतन होगा।
आजाद फाउंडेशन के मुताबिक गैर-पारंपरिक आजीविका के क्षेत्र में महिलाओं को रोजगार देने का व्यापक विकल्प है। इस दौरान नेपाल व अफ्रीका के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र समेत पूरे भारत की ऐसी महिलाओ ने अपने अनुभव साझा किए, जिनके जीवन मेें गैर-पारंपरिक (एनटीएल) विकल्पों के तहत रोजगार मिलने से बड़ा बदलाव आया है।
इस मौके पर आजाद फाउंडेशन की संस्थापक व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर मीनू वडेरा ने कहा, “गैर-पारंपरिक आजीविका के विषय पर आयोजित पहले अंतरराष्ट्रीय काॅन्फ्रेेंस में दुनियाभर के कार्यबल में लैंगिक भेदभाव का मुद्दा उठा और एशिया व विेशेष रूप से भारत में इस मामले में समता लाने पर जोर दिया गया। सीएसओ व प्रैक्टिशनर गैर-पारंपरिक आजीविका के क्षेत्र में गरीब महिलाओं को जोड़ने की क्षमता प्रदर्शित कर रहे हैं। भारत में मुख्यरूप से कार्यबल में महिलाओं की सहभागिता की स्थिति चिंताजनक है। यहां कार्यबल में केवल 27 फीसद महिलाएं हैं।“
उन्होंने आगे कहा, “भारत में गरीब महिलाओं के रहन-सहन और घर पर उनके कामकाज के माहौल के साथ इस बात को लेकर भी पहले से धारणा बनी हुई है कि महिलाएं किस तरह के काम कर सकती हैं, इन सभी कारणों से महिलाएं बाहर निकलकर रोजगारपरक काम नहीं कर पाती हैं। इस काॅन्फ्रेंस के जरिये हमारा लक्ष्य है कि भारत के नीति निर्माता गरीब महिलाओं को सम्मानजनक रोजगार देने के क्षेत्र में एनटीएल की क्षमता को समझें और उसका संज्ञान लें।“
गरीब महिलाओं के लिए गैर-पारंपरिक आजीविका से जुड़े मसलों पर आजाद फाउंडेशन अनवरत काम कर रहा है। आजाद फाउंडेशन और सखा के फ्लैगशिप प्रोग्राम वुमेन ऑन व्हील्स के तहत 1600 से ज्यादा गरीब महिलाओं को परिवहन उद्योग में सफलतापूवर्क बतौर चालक रोजगार के योग्य बनाया है। इनमें डीटीसी की पहली महिला चालक भी शामिल है। इस अवसर पर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के सेण्टर फाॅर इकोनाॅमिक स्टडीज एंड प्लानिंग में इकोनाॅमिक्स प्रोफेसर व डेवलपमेंट इकोनाॅमिस्ट जयंती घोष, नेपाल की यूएन वुमेन रेप्रेजेंटेटिव वेनी कुसुमा, अमेरिका के विन विन स्ट्रेटेजीज की सीईओ मारिसा वेसले, अफ्रीकन वीमेंस डेवलपमेंट फंड की सीईओ थियो सेवा, पीजीटीआई की रिसर्च डायरेक्टर व अमेरिका व भारत की ट्रेड्स वुमेन सुसान मोइर, जिंबाब्वे के वीमेंस रिसोर्स सेण्टर एंड नेटवर्क की सह संस्थापक होप चिगुद, फिलीपींस के एएसपीबीएई की प्रेसीडेंट जल्मीनारनी हिजाजी अर्सयाद जैसी हस्तियां उपस्थित रहीं। वक्ताओं ने एशिया में गरीब महिलाओं की स्थिति और भारतीय बाजार की वर्तमान परिस्थितियों पर चर्चा की।
इस तरह के कार्यक्रमों से लाभान्वित हुई महिलाओं के साथ आयोजित रोचक सत्र में लोगों ने गरीब महिलाओं को सक्षम बनाने में शिक्षा की भूमिका और इसके महत्व को समझा। इस सत्र में इस बात पर भी चर्चा हुई कि महिलाओं को गैर-पारंपरिक रोजगार की दिशा में क्यों सोचना चाहिए और इस क्षेत्र में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए क्या किया जा सकता है।
इस काॅन्फ्रेंस में आजाद और सखा द्वारा पिछले 10 साल में जुटाए गए अनुभवों की झलक मिली और इसके माध्यम से ऐसे विशेषज्ञ एक मंच पर आए जो नीतियों को प्रभावित करते हैं। सभी ने एक साथ मिलकर इस दिशा में संभव कदमों पर चर्चा की।

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