सैर सपाटा

पर्यटन क्षेत्र में अब बॉर्डर पर्यटन की नई अवधारणा

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
पर्यटन क्षेत्र में अब बॉर्डर पर्यटन की नई अवधारणा ने जन्म लिया है। इससे सैलानियों के लिए पर्यटन के नए रोमांच जुड़ने जा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो से गुजरात में नाडाबेट बॉर्डर प्रोजेक्ट का तेजी से विकास किया गया। अब राजस्थान की जैसलमेर सीमा पर तनोट-बबलियान टूरिज्म प्रोजेक्ट की चर्चा चल पड़ी है। स्वर्ण नगरी के नाम से विख्यात जैसलमेर की भारत – पाक सीमा को एक नया पर्यटन केंद्र विकसित करने की दिशा में पहल चर्चा में आईं हैं। पर्यटन के क्षेत्र में इस चर्चा की वजह बनी जिला कलेक्टर आशीष मोदी द्वारा गुजरात सीमा के नाडाबेट बॉर्डर टूरिज्म प्रोजेक्ट का पिछले दिनों सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों तथा राज्य सरकार के अधिकारियों की टीम के साथ निरीक्षण करना। उनकी योजना जैसलमेर सीमा पर तनोट-बबलियान टूरिज्म प्रोजेक्ट लाने का है, जिससे सीमा पर्यटन की राज्य में एक नई अवधारणा का उदय हुआ है। उनकी सोच है कि भारत पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर पर तनोट-बबलियान पर्यटन परिपथ (टूरिज्म प्रोजेक्ट) को इसी तरह से विकसित करेंगे ताकि ज्यादा के ज्यादा पर्यटक जैसलमेर स्थित भारत-पाक बार्डर पर आ सकें और पर्यटन का लुत्फ उठा सकें।
जैसलमेर बॉर्डर पर्यटन विकास का मजबूत आधार है। यहां भारत-पाक सीमा तनोट से करीब 20 किमी. पर स्पस्ट नजर आती है जहां एक छोटी सी आउट पोस्ट बनी है। इस सुनसान इलाके में केवल सीमा सुरक्षा बल के जवान ऊंटों पर सीमा की सुरक्षा करते दिखाई देते हैं। सीमा पर ऐतिहासिक तनोट माता का विख्यात मन्दिर और युद्ध संग्रहालय दर्शनीय हैं। पर्यटक बीएसएफ की अनुमति से यहां केमल सफारी का मजा ले सकते हैं और आउट पोस्ट तक जा कर मुख्य सीमा रेखा को देख सकते है।
तनोट में तनोट राय का मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि 1965 के भारत – पाक युद्ध के दौरान यहां तीन हजार बम गिराए थे। करीब 450 बम से ऐसे निकले जो फटे ही नहीं। ये बम भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर के साथ बने एक संग्रहालय में रख दिए गए हैं। मंदिर के प्रार्थना हाॅल में दीवारों पर मंदिर व पाकिस्तान द्वारा बम बरसाने की घटनाएं लिखी गई हैं तथा यहां दर्शन करने के लिए आने वाले अतिविशिष्ट व्यक्तियों के फोटो भी दर्शाये गये हैं। बमों से मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ। इसे माता की चमत्कारिक शक्ति मान कर माता के प्रति विश्वास और भी प्रगाढ़ हो गया और श्रद्धा के साथ पूजी जाने लगी और सीमा सुरक्षा बल की आराध्य देवी बन गई। मन्दिर की समस्त व्यवस्थाएं संभालने का जिम्मा सीमा सुरक्षा बल के पास है और मंदिर में हर साल हजारों सैलानी आते हैं। युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की स्मृति में एवं विजय को यादगार बनाने के लिए सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने यहां एक विजय स्तम्भ का निर्माण कराया। प्रति वर्ष विजय दिवस 16 दिसम्बर को इस स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी जाती है। युद्ध के दौरान माता के चमत्कारों को देखकर पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान नतमस्तक हो गयाा एवं माता के दर्शन के लिए भारत सरकार से अनुमति मांगी और करीब ढाई साल बाद उसे दर्शन की अनुमति मिली। इसके बाद शाहनवाज खान ने माता की प्रतिमा के दर्शन किए और मंदिर चांदी का छत्र भी चढ़ाया, जो आज भी मंदिर में है।
तनोट के अंतिम राजा भाटी तनुराव ने तनोट गढ़ की विक्रम संवत् 447 में नींव रखी एवं विक्रम संवत् 888 में तनोट दुर्ग एवं मंदिर की प्रतिष्ठा कराई। तनोट माता का मंदिर देश-विदेश में अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। तनोट माताजी के गर्भगृह में स्थापित प्रतिमा के पीछे चांदी की पतरी से सजावट की गई है। प्रतिमा के ऊपर चांदी का गुम्बद छतरीनुमा बनाया गया है। सभा कक्ष कई स्तंभो पर टिका है। मंदिर के बाहर एक धुनी बनाई गयी है। इस मंदिर के पास ही श्री वीरेश्वर महादेव का एक मंदिर भी बना है। गर्भगृह में श्यामवर्ण के शिवलिंग के साथ पिछे के भाग में शंकर पार्वती एवं परिवार की प्रतिमाएं बनाई गई है। मंदिर के बाहर एक नन्दी प्रतिमा बनी है तथा इस मंदिर के सभा कक्ष के प्रवेश द्वार के दोनों तरफ पीतवर्ण की सिंह प्रतिमाएं बनाई गई है। मंदिर परिसर एक अहाते से घिरा है। मंदिर में ठण्डे जल के लिए एक प्याऊ, श्रद्धालुओं के लिए भोजनशाला एवं ठहरने के लिए स्थान बनाये गये हैं। मंदिर के आहते की दीवार के साथ एक बड़ा सिंह द्वार बनाया गया है। तनोट माता को आवड माता भी कहा जाता है। यहां आश्विन और चैत्र के नवरात्रा में मेले आयोजित किए जाते हैं।
अभी तनोट माता दर्शन को आने वाले पर्यटक माता के दर्शन करऔर वार म्यूजियम देख कर एक ही दिन में वापस लौट जाते हैं। बॉर्डर पर्यटन विकसित होने पर इन सुविधाओं का भी विकास होगा और पर्यटक यहां रात्रि विश्राम भी कर सकेंगे। तनोट, जैसलमेर से करीब 120 किमी. दूरी पर स्थित है। सड़क अच्छी होने से आवागमन सुविधाजनक हो गया है।
बॉर्डर पर्यटन विकसित होने पर सैलानियों के लिए एक ओर नया पर्यटन गन्तव्य होगा। इस से विश्व के पर्यटन मानचित्र पर बॉर्डर पर्यटन की नई पहचान बनेगी। तनोट में अधिक पर्यटक आने से रंगत बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी विकसित होंगे।
ज्ञातव्य है कि जैसलमेर पहले से ही अपने रेतीले धोरों के आकर्षण, ऐतिहासिक सोनार किला, शिल्प एवं स्थापत्य कला में बेमिसाल भव्य जैन एवं हिन्दू मंदिर और विशाल हवेलियां, महलों, छतरियों, झील, आकल वुड फॉसिल पार्क, मरू उद्यान, केमल सफारी, के साथ – साथ विविध साहसिक गतिविधियों, रेतीले परिवेश में रात्रि कैंप और लोक संस्कृति से मानसून को छोड़ कर साल भर विश्व के सैलानियों को आकर्षित करता है। जैसलमेर में उत्कृष्ट आरामदायक स्टार्स होटल्स की कमी नहीं हैं और हर बजट के होटल्स उपलब्ध हैं। हर प्रकार के स्वादिष्ठ व्यंजनों के साथ राजस्थानी व्यंजनों का पर्यटक खूब लुत्फ उठाते हैं।
राजस्थान के श्री गंगानगर से लगती भारत – पाक सीमा को भी सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों से अनुमति प्राप्त कर देखा जा सकता है।

  • नाडाबेट बॉर्डर, गुजरात

गुजरात के बनासकांठा जिले में नाडाबेट बॉर्डर पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। यहां करीब 125 करोड़ रुपए की लागत से भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बनासकांठा के सीमावर्ती नडाबेट में सीमा दर्शन प्रोजेक्ट विकसित किया गया है। गुजरात राज्य के पर्यटन विभाग ने इसके कार्य को अंजाम दिया है। यहां भी तनोट माता की तरह नडेश्वरी माता का मंदिर दर्शनीय है। इसके समीप विश्राम स्थल बनाया गया है। पहले चरण में 23 करोड़ रुपए से नडेश्वरी मंदिर से सीमा दर्शन के लिए जीरो पॉइंट तक जाने के रास्ते पर ‘टी’ जंक्शन के निकट यात्री सुविधाएं भी अलग-अलग चार चरणों विकसित की गई हैं। यहां दूसरे चरण के 32 करोड़ के कार्यों में अजय प्रहरी स्मारक, परेड ग्राउंड, प्रदर्शनी सेंटर और सीमा सुरक्षा की विशिष्ट प्रतिकृति वाले गेट का कार्य लगभग अंतिम चरण में चल रहे हैं। नाडा बेट में एक हथियार प्रदर्शन और फोटो गैलरी में बंदूकें, टैंक और अन्य परिष्कृत उपकरण शामिल हैं जो सीमा और अंतर्देशीय स्थानों को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। ऊंटों के सम्मान में और उनकी विशेषज्ञता और शिष्य को प्रदर्शित करने के लिए, आगंतुकों के लिए एक ऊंट शो प्रस्तुत किया जाता है यहां आने वाले पर्यटक हमारे सुरक्षा बलों के पराक्रम, राष्ट्रप्रेम की भावना के इतिहास से गौरवान्वित होंगे। पर्यटन की गतिविधियों के बढने से स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

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