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क्लोव डेंटल ने अपनी 19 वीं लीडरशिप काॅन्क्लेव में 300 वें क्लिनिक के लाॅन्च की घोषणा की

नई दिल्ली। डेंटल एवं ओरल बीमारियां तेजी से मौन बीमारियों के रूप में बढ़ रही हैं। अगले पाँच सालों में ये मोटापे एवं दिल की बीमारियों को भी पीछे छोड़ देंगी। यह बात सोमवार को भारत की सबसे बड़ी डेंटल केयर चेन, क्लोव डेंटल के विषेशज्ञों ने बताई। देश में ओरल केयर के लिए गुणवत्ता युक्त सेवा एवं बुनियादी सुविधाएं मजबूत करने की अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता मजबूत करते हुए क्लोव डेंटल ने अपने 300 वें क्लिनिक के लाॅन्च की घोषणा भी की। यह 12 राज्यों में मौजूद इस 7 वर्श पुराने संस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
इस पुणे स्थित क्लिनिक का उद्घाटन, चेयरमैन श्री लुई शाकिनोस्कीय सीईओ, श्री अमरिंदर सिंह एवं सीसीओ, ले. जनरल डाॅ. विमल अरोड़ा ने 350 डेंटिस्टों की मौजूदगी में किया।
इस समारोह का आयोजन 19 वीं लीडरषिप काॅन्क्लेव में किया गया, जहां 350 से अधिक डेंटिस्ट तथा क्लोव का नेतृत्व एक दूसरे से विचार विमर्श करने एवं सीखने के उद्देश्य से एकत्रित हुए थे। इस फाॅर्मेट की काॅन्क्लेव कंपनी की शुरुआत से ही प्रशिक्षण, शिक्षा एवं ज्ञान साझा करने के इसके उद्देश्य के अनुरूप आयोजित होती रही हैं।
श्री सिंह ने कहा, ‘‘हमारे सामने दोहरी चुनौती है। पहली अज्ञानता एवं दूसरी अनुपलब्धता। जहां ओरल केयर की अज्ञानता तता इसको नजरंदाज करना एक गंभीर समस्या है, वहीं बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण यह और ज्यादा गंभीर हो जाती है। भारत में बड़ी संख्या में डेंटिस्ट हैं, लेकिन यहां का बुनियादी ढांचा बहुत अपर्याप्त है। गुणवत्ता रहित एवं अस्वच्छ क्लिनिक्स के कारण समस्या और ज्यादा गंभीर हो जाती है। क्लोव डेंटल इस समस्याओं के समाधान के लिए काम कर रहा है और गुणवत्तायुक्त, विश्वस्तरीय डेंटल केयर आसपास के लोगों तक पहुंचाने के लिए समर्पित है।’’
डाॅ. अरोड़ा ने कहा, ‘‘डेंटिस्ट्री की एक बड़ी समस्या गुणवत्तायुक्त बुनियादी ढांचे की कमी एवं डेंटल ग्रेजुएट्स को अपर्याप्त प्रशिक्षण है। डब्लूएचओ ने डेंटिस्ट व जनसंख्या का अनुपात 1ः7500 अनुमोदित किया है, लेकिन हमारे देश में यह अनुपात 1ः10271 है। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। हमारे अत्याधुनिक क्लीनिक सर्वश्रेष्ठ वैश्विक मापदंडों पर आधारित हैं और यह भारत में डेंटिस्ट्री के मापदंडों में काफी सुधार कर देंगे।’’
तम्बाकू से जुड़े कैंसर 2020 तक कैंसर के कुल भार में 30 प्रतिशत का योगदान देंगे। भारतीय उपमहाद्वीप होंठ एवं ओरल कैविटी के कैंसर में दुनिया में एक तिहाई योगदान देता है। मुंह और जीभ के कैंसर, मिलकर फेफड़ों के कैंसर से ज्यादा होते हैं। क्लोव डेंटल की यात्रा काफी उल्लेखनीय रही है और इसने बंटे हुए ओरल केयर उद्योग में गुणवत्ता एवं मानकीकरण लाने के लिए बहुत मेहनत की है।
सिंह ने कहा, ‘‘हम प्रतिमाह 30,000 मरीजों को संभालते हैं। हमारे क्लिनिक्स में अत्याधुनिक उपकरण एवं टेक्नाॅलाॅजी उपलब्ध है, तथा हम हाईजीन, क्लिनिकल सुरक्षा, पारदर्शिता, नैतिकता एवं कस्टमर सर्विस के सर्वोच्च मापदंड प्रदान करते हैं। हमारा चार चरणों का प्रोटोकाॅल सुनिश्चित करता है कि मरीज के संपर्क में आने वाला हर उपकरण एवं सतह अच्छी तरह से स्टरलाईज किए गए हों।’’
डाॅ. अरोड़ा ने कहा, ‘‘आॅपरेशंस, टेक्नाॅलाॅजी, निवेश एवं नैतिकता में सटीकता द्वारा हमने अपने प्रमुख मूल्यों का अनुपालन करने पर अत्यधिक बल दिया है। ये मूल्य, विश्वास, सम्मान एवं अखंडता के हैं। क्लिनिकल गुणवत्ता, हाईजीन एवं सेवा में उत्कृश्टता द्वारा मरीजों का भरोसाय उदारता, सहयोग, अधिकार एवं गोपनीयता द्वारा ग्राहकों, टीम के सदस्यों, वेंडर्स एवं सपोर्ट स्टाफ का सम्मानय नैतिकता, ईमानदारी, लर्निंग में अखंडता क्लोव के वातावरण एवं संस्कृति के स्तंभ हैं। क्लोव डेंटल उद्योग का नेतृत्वकर्ता है और हर सप्ताह एवं हर माह बड़ी संख्या में भारतीयों को विश्वस्तरीय डेंटल केयर उपलब्ध कराता है।

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