फिल्म समीक्षा – ‘‘पटाखा’’
फिल्म के कलाकार : सुनील ग्रोवर, सान्या मल्होत्रा, राधिका मदान, विजय राज, अभिषेक दुहान, नमित दास
फिल्म के निर्देशक : विशाल भारद्वाज
फिल्म की अवधि : 2 घंटा 16 मिनट
रेटिंग : 3/5
निर्माता-निर्देशक विशाल भारद्वाज ने ‘ओमकारा’, ‘मकबूल’, ‘कमीने’, ‘हैदर’ या ‘रंगून, जैसी अच्छी फिल्में बनाई हैं। फिल्म ‘‘पटाखा’’ की कहानी मशहूर लेखक चरण सिंह पथिक की 6 पेज की शाॅर्ट स्टोरी ‘दो बहनें’ के ऊपर आधारित है।
फिल्म की कहानी : फिल्म पटाखा की कहानी राजस्थान के एक गांव की है, जहां शशि भूषण (विजय राज) अपनी दो बेटियां बड़की (राधिका मदान) और छुटकी (सान्या मल्होत्रा) के साथ रहता है। दोनों हमेशा एक-दूसरे से लड़ती रहती हैं। गाली-गलौज के बीच कभी मिट्टी, तो कभी गोबर से झगड़ा करती हैं। जब भी इन दोनों बहनों के बीच लड़ाई होती है उसका कारण डिप्पर (सुनील ग्रोवर) ही होता है। वो दोनों को एक-दूसरे के खिलाफ हमेशा भड़काता है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब बड़की अपने बॉयफ्रेंड जगन (नमित दास) और छुटकी अपने बॉयफ्रेंड विष्णु (अभिषेक दुहान) के साथ भाग शादी से पहल भाग जाती हैं। विष्णु और जगन सगे भाई हैं इसलिए दोनों बहनें शादी के बाद एक ही घर में पहंुचती हैं। हमेशा एक-दूसरे से लड़ने झगड़ने वाली दोनों बहनें शादी के बाद कैसे एक साथ रहती हैं……….यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
फिल्म में विशाल भारद्वाज ने गांव के ठेठ देहातीपन को बड़ी ही खूबसूरती से दर्शाया है। फिल्म कलाकारों का संवाद पूरी तरह से देहाती है इसलिए कुछ भी बनावटी नहीं लगता है। अभिषेक दुहान, सानंद वर्मा और नमित दास अपने रोल में एकदम फिट बैठते हैं। सान्या मल्होत्रा और राधिका मदान ने अच्छा काम किया है। विजय राज का रोल भी बढ़िया है। वहीं डिप्पर का किरदार सुनील ग्रोवर ने बेहतरीन तरीके से निभाया है क्योंकि वो हमेशा से ही अपने अदाकारी से अपना लोहा मनवाते आए हैं।
फिल्म क्यों देखें : हमेशा की तरह विशाल भारद्वाज एक अलग तरह कि कहानी लेकर आए हैं। फिल्म को एक बार देखा जा सकता है।