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आईसीएसआई ने ‘काॅर्पोरेट रिश्वतखोरी विरोधी कोड’ और ‘माॅडल गवर्नेंस कोड’ का निर्माण किया

दिल्ली, शबनम । इंस्टीट्यूट आॅफ कंपनी सेक्रेटरीज आॅफ इंडिया ने काॅर्पोरेट सेक्टर का एक सर्वे किया। इस सर्वे में यह देखा गया कि स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में निजी क्षेत्र के पास भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए एक सुविकसित नीति का अभाव है तथा उनके संस्थानों में रिश्वत फल-फूल रही है। इस पृष्ठभूमि में आईसीएसआई इस सेक्टर में रिश्वत की रोकथाम के लिए एक ‘काॅर्पोरेट रिश्वतखोरी विरोधी कोड’ (द कोड) का सुझाव दे रहा है। यह कोड भारत में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थागत अभियान होगा। निजी क्षेत्र को स्वेच्छा से ‘काॅर्पोरेट रिश्वतखोरी विरोधी कोड’ अपनाने की प्रेरणा देने के लिए इंस्टीट्यूट निजी क्षेत्र में जागरुकता बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
‘काॅर्पोरेट रिश्वतखोरी विरोधी कोड’ में क्रियान्वयन और दिशा-निर्देषों के अनुदेशों के लिए नौ खंड हैं, जिनमें उपहार, आतिथ्य एवं खर्चों, खरीद प्राप्ति नीति तथा मोर्चा लेने की प्रक्रिया के लिए दिशानिर्देषों पर माॅडल नीतियां हैं। इस कोड में रिश्वतखोरी तथा तृतीय पक्ष को प्रसन्न करने के लिए ‘सुविधा भुगतान’ की रोकथाम के लिए काॅर्पोरेट इकाईयों को एक प्रक्रियाबद्ध दृष्टिकोण का प्रारूप दिया गया है।
आईसीएसआई के प्रेसिडेंट, सीएस (डाॅ.) श्याम अग्रवाल ने बताया, ‘‘इंस्टीट्यूट ने ‘द कोड’ की पृष्ठभूमि बताते हुए एक किताब भी प्रकाशित की है, जिसमें भारत में भ्रष्टाचार विरोधी उपायों तथा संस्थागत तंत्र से संबंधित कानूनों को रेखांकित किया गया है। यूएनसीएसी, ओईसीडी, जी20 आदि के तहत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रिश्वतखोरी विरोधी अभ्यास एवं प्रचलन तथा अमेरिका और यूनाईटेड किंगडम के महत्वपूर्ण कानूनों की जानकारी भी दी गई है। भारत से भ्रष्टाचार के उन्मूलन में सरकार के तत्कालिक तथा प्रस्तावित प्रयासों पर इसमें एक विशेष अध्याय है। अंतिम अध्याय में सर्वे की विस्तृत रिपोर्ट एवं अवलोकन हैं।’’ यह प्रकाशन हाल ही में आईसीएसआई के स्वर्ण जयंती वर्षोत्सव के दौरान न्याय, कानून एवं काॅर्पोरेट मामलों के लिए माननीय केंद्रीय राज्यमंत्री, श्री पी. पी. चौधरी द्वारा जारी किया गया।
आईसीएसआई के अध्यक्ष, सीएस (डाॅ.) श्याम अग्रवाल ने कहा, ‘‘मैं भारत के माननीय प्रधानमंत्री एवं वित्तमंत्री से मिले प्रोत्साहन से काफी उत्साहित हूं। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में हमारे कार्य एवं इसके दूरगामी प्रभावों की सराहना की।’’
आईसीएसआई में परिषद सदस्य एवं सरकार द्वारा नामांकित, श्री गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा, ‘‘हमारा विश्वास है कि काॅर्पोरेट भ्रष्टाचार विरोधी कोड निजी क्षेत्र को अपने संस्थानों में रिश्वतखोरी विरोधी प्रक्रिया स्थापित करने में मदद करेगा। वो इसके क्रियान्वयन के लिए मानव संसाधन को प्रशिक्षित करने तथा जागरुकता बढ़ाने में समर्थ हो सकेंगे, ताकि पूरी प्रणाली में नैतिक अभ्यासों का समावेश हो सके। आम तौर पर कानून लागू करने से पहले उसकी तैयारी एवं उसे स्वैच्छिक रूप से अपनाए जाने की प्रक्रिया सदैव देश एवं अन्य हितधारकों के लिए अच्छी होती है। इस प्रक्रिया से किसी भी कानून को बेहतर रूप में समझने तथा क्रियान्वित करने में मदद मिलती है।’’
श्री गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने आगे कहा, ‘‘इंस्टीट्यूट आॅफ कंपनी सेक्रेटरीज आॅफ इंडिया (आईसीएसआई) ने हमेशा से काॅर्पोरेट सेक्टर को व्यापारिक परिवेश में सुधार करने में सहायता की है। इससे पूर्व इंस्टीट्यूट के परामर्श काॅर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी ‘काॅर्पोरेट गवर्नेंस वाॅल्युनटरी गाईडलाईंस 2009’ में आधारभूत तत्व के रूप में उपयोग किए गए और उन्हें ‘कंपनीज एक्ट, 2013’ में अनिवार्य बना दिया गया। इसके अलावा इंस्टीट्यूट ने काॅर्पोरेट सेक्टर में प्रचलित सेक्रेटरियल कार्यों के मानकीकरण के लिए सेक्रेटरियल मानक जारी किए। बाद में कंपनीज एक्ट, 2013 के तहत कुछ सेक्रेटरियल मानकों का अनुपालन अनिवार्य बना दिया गया।’’
आईसीएसआई के अध्यक्ष, सीएस (डाॅ.) श्याम अग्रवाल ने ग्राम पंचायत की बैठकों के लिए भी माॅडल गवर्नेंस कोड की जानकारी दी। सीएस (डाॅ.) श्याम अग्रवाल ने ग्राम पंचायत की बैठकों के लिए माॅडल गवर्नेंस कोड की संक्षिप्त रूपरेखा देते हुए कहा, ‘‘आईसीएसआई के लक्ष्य एवं उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए हम, ‘’वैश्विक दृष्टिकोण रखने, स्थानीय स्तर पर काम करने तथा सभी के लिए शासन और सभी के द्वारा शासन‘’ में यकीन करते हैं।’’
हम सभी जानते हैं कि ग्राम पंचायत स्वशासन की स्थानीय इकाई है, जो अपने क्षेत्र में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने एवं आर्थिक विकास की दिशा में काम करती है। पारदर्शिता एवं शासन किसी भी संस्थान के लिए सफलता के मूल हैं। पंचायत बैठकों में प्रभावशाली निर्णय लेने की कला सरकार के सुशासन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण उत्प्रेरक का कार्य करती है। पंचायतों के निर्णय लेने की प्रक्रिया में सुशासन के सिद्धांतों को शामिल किया जाना चाहिए।
उपरोक्त को देखते हुए आईसीएसआई ने पंचायत की बैठकों के आयोजन एवं संचालन में मानक अभ्यास सुनिश्चित करने के लिए ‘ग्राम पंचायतों की बैठकों के लिए माॅडल गवर्नेंस कोड’ जारी किया। यह गवर्नेंस कोड ग्राम पंचायतों की बैठकों व उनसे जुड़े मामलों के आयोजन व संचालन के लिए निर्धारित सिद्धांतों का प्रारूप तय करता है। ग्राम पंचायत की बैठकों के शासन के संबंध में मौलिक सिद्धांत संबंधित राज्यों के कानूनों में तय किए गए हैं। यह गवर्नेंस कोड ग्राम पंचायतों के कार्य में बेहतर शासन सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के कानूनों में मदद करेगा।
‘‘ग्राम पंचायत की बैठकों के लिए माॅडल गवर्नेंस कोड का प्रकाशन हाल ही में न्याय, कानून एवं काॅर्पोरेट मामलों के लिए माननीय केंद्रीय राज्यमंत्री, श्री पी. पी. चौधरी द्वारा जारी किया गया। चूंकि गवर्नेंस कोड का लक्ष्य सेक्रेटरियल अभ्यासों के मानकीकरण द्वारा सुशासन संभव बनाना है, इसलिए इसकी शुरुआत से:-
– झगड़ों में कमी आएगी।
– प्रणाली व प्रक्रियाएं दिशाबद्ध होंगी।
– पंचायत की कार्यप्रणाली पर सख्त नियंत्रण व अनुशासन सुनिश्चित होगा।
– बैठकों के आयोजन व संचालन में एक समान तथा मानक अभ्यास संभव होंगे।
– बैठक के रिकाॅर्ड एवं अन्य संबंधित दस्तावेजो/जानकारी का उचित रखरखाव सुनिश्चित होगा।
– बैठक के रिकाॅर्ड में संशोधन की घटनाओं को पहचाना जा सकेगा।
– बैठकों के प्रशासन में प्रोफेशनलिज्म का विकास किया जा सकेगा।

 

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