आदिवासी परंपराओं, रीति-रिवाजों का सम्मान संवैधानिक दायित्व : वेंकैया
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने आदिवासी समाज की परंपराओं और रीति-रिवाजों के सम्मान को संवैधानिक दायित्व बताते हुए मंगलवार को कहा कि दुनिया भर के जनजातीय समूह विविधता में एकता के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। श्री नायडु ने यहां संविधान एवं आदिवासी विषय पर आयोजित एक व्याख्यान में कहा कि विश्व का हर आदिवासी समुदाय विभिन्न रूपों में प्रकृति की पूजा करता है। ये पूजा पद्धतियां अलग हो सकती हैं, लेकिन प्रकृति के प्रति उनकी आस्था एक ही है। विविधता में एकता का इससे बड़ा उदाहरण संभव नहीं है। आधुनिक समय में जब दुनिया प्रकृति के अनुकूल स्थायी विकास के रास्ते तलाश रही है तो आदिवासी समुदाय इसके गुर सिखा सकते हैं। उन्होंने कहा, आधुनिक समाज को आदिवासी समुदायों को पिछड़ा मान लेने की भ्रांति त्यागनी होगी। इन समुदायों की जीवंत और समृद्ध परम्परा है जिनका आदर करना होगा। ऐसा करना न केवल सामाजिक-नागरिक शिष्टाचार है, बल्कि हमारा संवैधानिक दायित्व भी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आदिवासी समाज के कल्याण के लिये कई कदम उठाये हैं। इसके लिए निजी क्षेत्र को भी आगे आना चाहिए।