सामाजिक

अपार इंडिया फॉउन्डेशन ने सुधार गृह के नाबालिगों के लिए शुरू किया पुनर्वास कार्यक्रम, जजों ने दिखाई नेकी की राह

दिल्ली। दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (डीएसएलए) ने अपार इंडिया फाउंडेशन के साथ मिलकर दिल्ली में सुधार गृह के नाबालिग बच्चों के लिए पुनर्वास अभियान चलाया, जो किसी न किसी अपराध के चलते दिल्ली के सुरक्षा केंद्रों में कैद हैं। कुछ वरिष्ठ न्यायविदों और दिल्ली उच्च न्यायालय और सत्र न्यायालय के विख्यात न्यायाधीशों ने इस मौके पर उन बच्चों से बात की और उनका मार्गदर्शन किया।
मजनू का टीला में नाबालिगों के लिए ‘सुरक्षा स्थान’ पर आयोजित पुनर्वास अभियान में किशोरों के आजीविका के लिए ‘मोबाइल रिपेयरिंग अकादमी’ के साथ एक ‘ब्यूटी वेलनेस सेंटर’ का उद्घाटन किया गया। ये केंद्र उन बच्चों को उन्मुख प्रशिक्षण प्रदान करेंगे जो वर्तमान में पुनर्वास केंद्र में अपने दिन बिता रहे हैं।
आर.के. जैन, अध्यक्ष, अपार इंडिया फाउंडेशन ने इस मौके पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘हम यहाँ सुधार गृह के बच्चों के पुनर्वास के लिए अनुकूल माहौल बनाने व रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए प्रयासरत हैं। हम उन किशोरों को प्रशिक्षण दे रहे हैं जो पुनर्वास केंद्रों में बंद हैं। हम हमेशा मानते हैं कि समाज को उन बच्चों के प्रति करुणामयी होना चाहिए जो बेघर और कम शिक्षित हैं। यह हमारी साझा और सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपने उन्हें शिक्षित करने के लिए काम करें और उन्हें इस बात के लिए प्रेरित करें कि वे आने वाले जीवन में कोई और अपराध न करें और कानून के दायरे में रहें।’
सुधार गृह में बच्चों ने देशभक्ति और राष्ट्रवाद का आह्वान करते हुए कई सांस्कृतिक प्रदर्शन किए। बच्चों द्वारा नृत्य प्रस्तुतियां भी हुईं।
माननीय डॉ. न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर, न्यायाधीश, दिल्ली उच्च न्यायालय और चेयरपर्सन डीएचसीएलएससी, ने कहा, ‘यह जीवन की कड़वाहट को भूलने की जगह है। यहाँ आपके (बच्चों के) अनुभव आपको बाहरी दुनिया में जाने पर असीम संतुष्टि देंगे। यह एक बहुत ही विशेष अवसर है। इस पहल से बच्चों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी और बाहर निकालकर रोजगार के अवसर देगी। कड़ी मेहनत और ईमानदारी जीवन का आदर्श लक्ष्य होना चाहिए है। हम सभी गलतियाँ करते हैं। हम में से कुछ भाग्यशाली हैं लेकिन कुछ नहीं हैं। बच्चे अपनी गलतियों से सीखेंगे और सबक लेंगे और सकारात्मकता के साथ जीवन में आगे बढ़ेंगे। सही संगत में रहें, आपका भविष्य उज्ज्वल होगा। मैं आपके लिए बहुत उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।’
जिला और सत्र न्यायालय व दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के साथ अपार इंडिया फाउंडेशन की सुरभि जैन और अपार जैन भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
‘मैं यहाँ से निकलने के बाद डांस सीखना चाहता हूँ। मैं परिवार के लिए समय बिताना चाहता हूं। मुझे अफसोस होता है कि अपने जीवन के दो साल मैंने बर्बाद किया। यह कभी नहीं दोहराया जाएगा। अभी मुझे 6 महीने यहीं काटने हैं,’ सुधार गृह में 19 साल के एक नाबालिग (अमित, बदल हुआ नाम) ने कहा।
‘यह एक संवेदनशील सोच है जो न्यायमूर्ति मुरलीधर, न्यायमूर्ति सिस्तानी और न्यायमूर्ति राजीव शकधर जैसे न्यायविदों की वजह से हमें विरासत में मिली थी। हमने वेलनेस सेंटर शुरू करने के लिए शीर्ष स्टाइलिस्ट जावेद हबीब के साथ सहयोग किया है। यह पुनर्वास के बाद के जीवन को आसान और आत्मनिर्भर बनाने का एक सफल प्रयास है,’ न्यायमूर्ति व दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव कंवल जीत अरोड़ा ने कहा।
अपार इंडिया फाउंडेशन टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) के व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्रों में अग्रणी है। देशभर में अलग-अलग स्थानों पर इस संस्था ने कई सामाजिक कल्याण के अभियान चलाये हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *