संपादकीय

जम्मू-कश्मीर अब बना धरती का स्वर्ग

-अविनाश राय खन्ना
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (भाजपा)

स्वतन्त्रता प्राप्ति के दौर में जम्मू कश्मीर भारत का अंग तो बन गया परन्तु इस प्रान्त को दिये गये विशेष दर्जे का घोर दुरुपयोग पिछले 73 वर्षों में देखने को मिला। भारतीय संसद द्वारा पारित कानूनों को जम्मू कश्मीर जनता के कल्याण के लिए पूरी तरह से लागू ही नहीं किया जाता था। केन्द्र सरकार की तरफ से भेजी गई हर वित्तीय सहायता स्थानीय राजनेताओं के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती रही, जबकि आम जनता केन्द्र की सहायता से वंचित ही रही। दूसरी तरफ पाकिस्तान की तरफ से जम्मू कश्मीर में अलगाववाद और अस्थिरता उत्पन्न करने के लिए हर सम्भव कोशिश की जाती थी। जिसके परिणामस्वरूप असंख्य सैनिकों की शहादत के साथ-साथ अनगिनत कश्मीरियों को भी जानों से हाथ धोना पड़ा। आतंकवाद इस सीमा तक पहुँच चुका था कि कश्मीरी पंडितों को अपनी मातृभूमि से उखाड़कर दर-दर की ठोकरें खाने के लिए भगा दिया गया। कश्मीरियों की सुरक्षा में लगी फौज और पुलिस को भी पाकिस्तानी आतंकियों के षड्यन्त्रों का शिकार बनाकर वास्तव में पत्थरबाजी झेलने के लिए मजबूर कर दिया गया। ऐसे दौर में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गत वर्ष 5 अगस्त को विधिवत जम्मू कश्मीर की राजनीति में आमूल-चूल परिवर्तन कर दिखाये। अनुच्छेद-370 तथा 35ए को हटाकर जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश के रूप में घोषित कर दिखाया। उस समय एक बहुत बड़े तनाव की आशंका व्यक्त की जा रही थी, परन्तु वह सब कोरी कल्पना सिद्ध हुआ। नई व्यवस्थाओं के साथ जिस प्रकार जम्मू कश्मीर के प्रशासन और लोगों ने एक वर्ष बिताया है, उसे देखकर आज वास्तविकता में जम्मू कश्मीर पृथ्वी का स्वर्ग और प्रगति के पथ पर पूरे देश के साथ कदम मिलाता हुआ प्रान्त दिखाई दे रहा है।
केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के समुचित एवं सर्वांगीण विकास के लिए विगत एक वर्ष में अनेकों महत्त्वपूर्ण कदम उठाकर यह सिद्ध कर दिया है कि केन्द्र सरकार की नीति जम्मू कश्मीर का अहित करने की नहीं थी, अपितु इसकी वित्तीय, शैक्षणिक, सामाजिक स्थितियों और सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने की थी। आज जम्मू कश्मीर भारत के अन्य प्रान्तों की तरह एक ही संविधान और समान केन्द्रीय कानूनों को लागू करने वाला गौरवशाली प्रान्त बन चुका है। आज वास्तव में यह सिद्ध हो चुका है कि जम्मू कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा है। अब जम्मू कश्मीर की अलग नागरिकता, अलग ध्वज जैसे अलगाववादी नियम समाप्त हो चुके हैं। अनुच्छेद-370 हटने से पूर्व जम्मू कश्मीर में केवल 108 केन्द्रीय कानून लागू थे, जबकि आज केन्द्र के सभी कल्याणकारी कानूनों का लाभ जम्मू कश्मीर की जनता को सुगमता से प्राप्त हो रहा है। मानवाधिकार आयोग की स्थापना, आर.टी.आई. कानून, दिव्यांगजनों को विशेष सहायता और आरक्षण आदि के कानून, व्हिसल ब्लोवर सुरक्षा कानून आदि का लाभ अब जम्मू कश्मीर के सामाजिक और राजनीतिक उत्थान में बराबर रूप से मिलना शुरू हो गया है। अब राज्य में समूचे भारत के उद्योगों और यहाँ तक कि अन्तर्राष्ट्रीय निवेश को भी आमंत्रित करना सम्भव हो गया है। विगत एक वर्ष में अन्तर्राष्ट्रीय निवेश को सुविधाजनक बनाते हुए 13,600 समझौते हुए हैं। पश्चिमी पाकिस्तान से आये शरणार्थियों को जम्मू कश्मीर की नागरिकता प्रदान की जा चुकी है। अखिल भारतीय स्तर की सेवाओं में कार्यरत अधिकारियों को अब जम्मू कश्मीर में मतदान का अधिकार भी दिया जा चुका है। भूमि अधिग्रहण कानून, भारतीय दण्ड संहिता, सफाई कर्मचारी कानून आदि सारे भारत की तरह जम्मू कश्मीर में भी लागू कर दिये गये हैं।
जम्मू कश्मीर के सरकारी कर्मचारियों को सातवाँ वेतन आयोग दे दिया गया है। अब राज्य सरकार के कर्मचारी केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की तरह अपने परिवार की चिकित्सा तथा शिक्षा सम्बन्धी भत्तों के लिए हकदार हो चुके हैं। विगत एक वर्ष में 10 हजार से अधिक सरकारी भर्तियों की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है। इसके अतिरिक्त किसानों को भी सभी केन्द्रीय सहायताओं का लाभ मिलना प्रारम्भ हो चुका है। जम्मू कश्मीर केसर जैसे बहुमूल्य उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। किश्तवाड़ में एक विशेष सैफरन पार्क की स्थापना मार्ग प्रशस्त हुआ है। सारे भारत के वृद्धजनों की तरह जम्मू कश्मीर के 1.5 लाख वृद्धजनों को भी पेंशन प्रारम्भ की गई है। भारत का पहला केवल रेल पुल रियासी जिले में निर्माणाधीन है। यह दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे पुल होगा। जम्मू से बारामूला तक 256 किलोमीटर लम्बी रेलवे लाईन पर शीघ्रता से कार्य चल रहा है। जम्मू कश्मीर से पहले की अपेक्षा काफी अधिक मात्रा में ताजे फलों तथा हस्तशिल्प सामग्री की आपूर्ति सम्भव हो सकी है। इस प्रकार जम्मू कश्मीर के इतिहास में पिछला एक वर्ष आर्थिक विकास के नये मानदण्ड स्थापित कर रहा है। केन्द्र सरकार के अनेकों विभागों के अतिरिक्त प्रधानमंत्री विकास पैकेज के नाम से 80 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक राशि जम्मू कश्मीर को दी गई है। अनेकों नये तकनीकी संस्थानों की स्थापना से जम्मू कश्मीर में शिक्षा के क्षेत्र में भी एक नई क्रांति दिखाई दे रही है। विगत एक वर्ष में 50 नये डिग्री कालेज और 25 हजार नये विद्यार्थियों के प्रबन्ध लागू किये गये हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में इस प्रान्त को 2 एम्स तथा 7 मेडिकल काॅलेज प्रदान किये गये हैं। आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत 11 लाख से अधिक कार्ड वितरित किये गये हैं, जिनसे लाखों परिवार लाभान्वित होंगे। सांस्कृतिक रूप से बच्चों और महिलाओं का भविष्य पहले से अधिक सुरक्षित होगा। जम्मू कश्मीर की बेटियों को सम्पत्ति में समान अधिकार प्राप्त हुआ, दहेज प्रथा के कानून लागू हो गये, तीन तलाक तथा बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं से मुक्ति मिली, पोक्सो कानून से बच्चों का शोषण समाप्त हुआ, अनुसूचित जाति व जन-जाति के लोगों को समूचे भारत की तरह जम्मू कश्मीर में आरक्षण का लाभ प्राप्त हुआ। प्रान्त के पहाड़ी समुदाय तथा सीमा पर रहने वाले लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिला। जम्मू कश्मीर की राजनीति ने एक क्रांतिकारी बदलाव का पहली बार दिग्दर्शन किया है। जब प्रान्त में पंचायत के चुनावों में भारी संख्या में लोगों ने स्थानीय स्तर पर अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप विकास करने का अधिकार प्राप्त करते हुए अपने सरपंचों को चुना। सरपंचों तथा सदस्यों को पुलिस सुरक्षा तथा बीमा दिया गया। जम्मू कश्मीर की राजनीति अब गाँव स्तर पर स्वतः विकास का प्रतीक बन गई है। सारे देश की तरह विद्युतीकरण का लाभ भी जम्मू कश्मीर के सुदूरवर्ती गाँवों में पहुँचना शुरू हो गया है। इस बहुआयामी विकास यात्रा के साथ-साथ प्रान्त की जनता बीते एक वर्ष में एक गजब की शांति का अनुभव कर रही है। यह शांति आतंकवाद से मुक्ति की शांति है।
अनुच्छेद-370 के चलते जिस जम्मू कश्मीर के किसी भी हिस्से में देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराना एक बहुत बड़ा विवाद बना दिया जाता था। इतिहास गवाह है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी जी को कितनी विकट विरोध की परिस्थितियों में लाल चैक पर तिरंगा ध्वज फहराने के लिए एक बहुत बड़े आन्दोलन की तरह कूच करना पड़ा। उस समय उनके साथ श्री नरेन्द्र मोदी भी उपस्थित थे। भाजपा के युवा नेता और वर्तमान केन्द्रीय राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर को भी तिरंगा फहराने के लिए सरकारी रुकावटों का सामना करना पड़ता था। तिरंगा फहराने पर राज्य सरकार तक विरोध पर उतर आती थी। उसी जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटने के एक वर्ष बाद प्रत्येक जिले में भव्य समारोह आयोजित किये गये। भाजपा का केन्द्रीय प्रभारी होने के नाते मैंने भी विगत एक वर्ष में एक-एक व्यक्ति के चेहरे पर सुख और शांति के भविष्य को अनुभव किया है। गत सप्ताह कठुआ में ऐसे ही एक समारोह में मैं स्वयं पहुँचा। कोविड-19 महामारी के चलते यह समारोह बहुत बड़े स्तर पर आयोजित नहीं किये जा सकते थे, इसलिए संख्या में छोटा परन्तु अनुभव में एक महत्त्वपूर्ण समारोह दिखाई दे रहा था। मैंने इस क्षेत्र में 110 फुट की ऊँचाई वाला तिरंगा फहराया तो मुझे एहसास हुआ कि वास्तव में अब जम्मू कश्मीर भारत का एक महत्त्वपूर्ण और गौरवशाली प्रान्त दिखाई देता है। जम्मू कश्मीर के हर जिले ही नहीं अपितु गाँव-गाँव के स्तर पर ऐसे समारोह आयोजित होने की सूचनाएँ प्राप्त हुई। विगत एक वर्ष की इन तस्वीरों को देखकर जम्मू कश्मीर का एक-एक व्यक्ति प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति कृतज्ञता के भाव से परिपूर्ण दिखाई देता है। जिन्होंने राजनीतिक हानि-लाभ की चिन्ता न करते हुए इतना बड़ा साहसिक और ऐतिहासिक कदम उठाकर जम्मू कश्मीर को वास्तविक स्वर्ग बनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिखाया है।

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