महिलाएं अपना सेहत का रखें ख्याल
महिलाओं की शारीरिक बनावट जटिल होती है, मासिक चक्र प्रारंभ होने से मीनोपॉज तक उनका शरीर कईं बदलावों से गुजरता है, ऐसे में उन्हें अपनी सेहत का ख्याल छोटी उम्र से ही रखना शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि अच्छी आदतें जितनी जल्दी डाली जाएं उतना ही बेहतर रहता है। लेकिन महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि वे कभी अपनी प्राथमिकता खुद नहीं होती हैं। वे या तो परिवार और बच्चों को प्राथतिकता देती हैं या करियर को, सबसे पहले उन्हें अपनी प्राथमिकताएं स्वयं तय करनी होंगी जिसमें सबसे उपर स्वयं को रखना होगा तभी वह अपने परिवार की देखभाल भी कर पाएंगी और करियर में नई ऊंचाईयां भी छू पाएंगी।
संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें
संतुलित और पोषक भोजन का सेवन, जिसमें हरी सब्जिंयों, साबुत अनाज, दालें, दूध व दुग्ध उत्पाद, अंडे और फल शामिल हों, बहुत जरूरी है। रोज नियत समय पर ही भोजन करें। डाइटिंग कभी ना करें क्योंकि इससे शरीर में ऊर्जा का स्तर गिर जाता है और आप ऊर्जा पाने के लिये बिना सोचे-समझे एम्पटी कैलोरी वाली चीजें खाने लगती हैं। पोषक भोजन न केवल हमारे रोग प्रतिरोधक तंत्र को शक्तिशाली बनाकर रोगों से लडने की क्षमता प्रदान करता है, बल्कि हमें कईं रोगों की चपेट में आने से भी बचाता है। नई दिल्ली स्थित बी.एल.के सुपर स्पेशैलिटी हॉस्पिटल के क्लीनिकल न्यूट्रीशनिस्ट डाॅ. मेघा जैना का कहना है कि फॉस्ट फूड का सेवन न करें, इनमें खाद्य रंग, कृत्रिम स्विटनर्स और दूसरी कईं ऐसी चीजें होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। इनमें कैलोरी की मात्रा तो बहुत होती है, लेकिन पोषकता बिल्कुल नहीं होती, जो महिलाएं नियमित रूप से फॉस्ट फूड खाती हैं उनमें मोटापा और मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने की आशंका बढ़ जाती है।
पूरी नींद लें
रात में पूरी नींद लें, ताकि आपका शरीर रिचार्ज हो सके और आप अपने दिन का बेहतर इस्तेमाल कर सकें। रात में पूरी नींद न लेने से मेटाबॉलिज्म कमजोर हो जाता है और पाचन तंत्र संबंधी गड़बडियां हो जाती हैं, जिससे मोटापा बढ़ता है। नींद पूरी न होने से मस्तिष्क अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाता जिससे उत्पादकता प्रभावित होती है। गैजेट्स के बढ़ते चलन ने अनिद्रा की समस्या बढ़ा दी है, सोने से एक घंटा पहले गैजेट्स का प्रयोग बंद कर दें स्क्रीन को लगातार घूरना आपकी इंटरनल क्लॉक को गड़बड़ कर देता है।
– तनाव न पालें, शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग करें, मानसिक शांति के लिए ध्यान करें।
– शरीर के संकेतों को पहचानें।
– उम्र के साथ होने वाले शारीरिक बदलावों की अनदेखी न करें।
बढ़ती उम्र का प्रभाव न केवल बाहरी तौर पर बल्कि आंतरिक रूप से भी दिखाई देने लगता है। उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं जिससे उनकी कैलोरी जलाने की क्षमता प्रभावित होती है यह समस्या उन लोगों में ओर बढ़ जाती है जो शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होते हैं। अगर आप उम्र बढने के साथ कैलोरी का सेवन कम नहीं करेंगे तो मोटापा बढ़ेगा, जिससे आप कईं बीमारियों की आसान शिकार हो जाएंगी. हल्का और सुपाच्य भोजन करें, शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। 40 साल की उम्र पार करने के बाद हर साल अपना हेल्थ चेकअप जरूर कराएं।
वजन न बढ़ने दें
मोटापा सिर्फ सुंदरता पर ग्रहण ही नहीं लगाता यह कईं बीमारियों की वजह भी बन जाता है. सुंदर और स्वस्थ्य रहने के लिए वजन को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है। जिन महिलाओं का वजन अधिक होता है उन्हें चलने, सांस लेने और बैठने में परेशानी होती है। मोटापे से दूर रहकर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियों और जोड़ों के दर्द जैसी कईं बीमारियों से बचा जा सकता है।
न्यूट्रीशनिस्ट
डाॅ. मेघा जैना के अनुसार संतुलित और पोषक भोजन पुरुष और महिलाओं दोनों की आवश्यकता होती है। नौ साल की उम्र तक बच्चों के पोषक तत्वों की आवश्यकताएं समान होती हैं। यौवनावस्थाा शुरू होते ही सब चीजें बदल जाती हैं। महिलाओं को अपने जीवन में मासिक धर्म, मातृत्व, स्तनपान, मेनोपॉज जैसे कईं स्तरों से गुजरना पड़ता है इसलिए उनकी पोषक आवश्यकताएं पुरुषों से अलग होती हैं. महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम कैलारी लेकिन अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। उनके लिए आयरन, कैल्शियम, मैग्नेशियम, विटामिन के, फोलेट, विटामिन डी और ओमेगा 3 फैटी एसिड्स युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन आवश्यक है।
गायनोकोलॉजिस्ट
नई दिल्ली स्थित इंदिरा आईवीएफ हास्पिटल के गायनोकोलॉजिस्ट एवं आई वी एफ एक्स पर्ट डॉ.सागरिका अग्रवाल का कहना है कि महिलाओं के जीवन के तीन महत्वपूर्ण चरण होते हैं मासिक चक्र प्रारंभ होना, गर्भावस्था और मीनोपॉज। आधुनिक जीवनशैली और जीवन में तनाव के बढ़ते स्तर के कारण ये तीनों चरण गड़बड़ा गए हैं. मासिक चक्र की अनियमितता, बांझपन और प्रीमैच्योर मीनोपॉज महिलाओं के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. प्रीमैच्योचर मोनोपॉज के कारण न केवल बांझपन और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ रहा है, बल्कि यह महिलाओं को हार्ट अटैक का भी आसान शिकार बना रहा है। मीनोपॉज से एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है जो महिलाओं में हार्ट अटैक के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करता है। लेकिन मीनोपॉज के कारण अंडाशय काम करना बंद कर देता है और एस्ट्रोजन का निर्माण होना बंद हो जाता है। मोटापे, डायबिटीज, हार्मोन असंतुलन और तनाव के बढ़ते स्तर के कारण महिलाओं में बांझपन की समस्या लगातार बढ़ रही है। हर पांच में से एक महिला का मासिक चक्र नियमित नहीं है। मासिक चक्र की अनियमितताओं को नजरअंदाज न करें, तुरंत उपचार कराएं। अगर आपके परिवार में स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास है तो युवावस्था से ही नियमित रूप से जांच कराएं. नियमित समय पर पोषक और संतुलित भोजन का सेवन करें, पूरी नींद लें, नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और तनाव न पालें। गर्भ निरोधक तरीकों का इस्तेमाल करने में सावधानी बरतें अगर कुछ आसामान्यता दिखे तो तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें।
फिजिशियन
नई दिल्ली स्थित सरोज सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट‘ इंटरनल मेडिसिन’ डॉ. गिरीश मनवानी का कहना है कि शारीरिक सक्रियता की कमी, तनाव के बढ़ते स्तर, अनिद्रा, जंक फूड का सेवन और गैजेट्स के बढ़ते चलन से भारत की शहरी महिलाओं में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इनमें टाइप टू डायबिटीज, हृदय रोग, कैंसर, उच्च रक्तदाब, अवसाद प्रमुख हैं। जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां न केवल महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि उन्हें मृत्यु का आसान शिकार भी बना रही हैं। स्वस्थ्य और अनुशासित जीवनशैली द्वारा न केवल इनसे बचा जा सकता है बल्कि अगर आप अपनी खराब जीवनशैली और किन्हीं अन्य कारणों से इनकी चपेट में आ जाएं तो अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाकर इन्हें नियंत्रित भी किया जा सकता है।
-प्रेमा राय