शिक्षा

सही राह पर लायें मन को

– सक्सेस गुरु ए.के. मिश्रा
निदेशक, चाणक्य आईएएस एकेडमी, नई दिल्ली
लगभग हम सभी में सफल होने की असीम क्षमता है, किन्तु इस क्षमता को सफलता में बदलना सबके लिए आसान नहीं होता। बाधाएं तो कई प्रकार की हो सकती हैं, लेकिन सबसे बड़ी बाधा हमें अपनी क्षमता के ऊपर भरोसा व आत्मविश्वास की होती है। जब आत्मविश्वास की कमी होती है तब अपनी छोटी-से-छोटी कमी भी बड़ी बाधा लगती है। आइये देखें कि यह जब हमें शिकार बनाये तब क्या करें। यदि आपका लक्ष्य ऐसी समस्या से निबटना हो तो सबसे पहले इस कार्य के लिए नियमित रूप से थोड़ा समय निकालें और अपनी निजी समस्या की प्रगति के अनुसार रणनीति बनायें।
पहला कदम
मन के अंदर चलने वाला नकारात्मक विचार व द्वंद्व प्रायः आत्मविश्वास की कमी का कारण होता है। ये विचार ‘मैं यह नहीं कर पाया’, ‘मुझमें क्षमता ही नहीं है’, ‘हमेशा ऐसा ही होता है’ जैसे होते हैं, इन्हें समझने व इनकी धार कमजोर करने के लिए आप निम्नलिखित कदम उठायें।
ऐसे नकारात्मक विचारों को पहचानने की कला विकसित करें एवं वे जब भी आपके मन पर हावी हों तो उनको लिख डालें।
ऐसे नकारात्मक विचारों की निस्सारता को समझने की कला विकसित करें।
ऐसे विचारों का विश्लेषण कर उन्हें चुनौती देना सीखें, ताकि आप वास्तविकता पर आधारित अपने बारे में विचार बना सकें।
दूसरा कदम
अग्रलिखित विधि अति-प्रभावशाली है, जिसे ‘तार्किक व सतर्क दृष्टिकोण’ कहा जाता है। एक सादे कागज पर बीचो-बीच एक लकीर व दूसरी तरफ ‘तार्किक व सतर्क दृष्टिकोण’ लिखें। आप चाहें तो इन दोनों बातों के कोड बनाकर कोई एक-एक शब्द भी लिख सकते हैं, इसे निम्न प्रकार बनाया जा सकता है।
नकारात्मक व स्वत उठने वाले विचार तार्किक व सतर्क दृष्टिकोण
1. मेरा कोई भी काम ठीक नहीं।
1. गलत बात. मैंने कई काम ठीक होता।
2. सभी मेरी आलोचना करेंगे।
2. लोगों का दृष्टिकोण अलग-अलग होता है, फिर मुझे गलत समझने वाले संभवतः सारी बातों व परिस्थितियों से अवगत नहीं होगें। कुछ सही समझेंगे, कुछ गलत।
वास्तव में इस ‘कॉलम’ विधि का प्रयोग आप उन सभी परिस्थितियों में कर सकते हैं, जब आपको लगे कि आपसे कोई गलती हुई है, परेशानी हुई है, कोई बात बुरी लगी है, कोई रिश्ता बिगड़ा है या कोई अनपेक्षित निराशा मिली है। इस विधि का उद्देश्य है- जब परिस्थितिवश आप नकारात्मक सोच की स्थिति में हों और आपका आत्मविश्वास घट रहा हो जिसकी वजह से आपकी क्षमता में ऋास हुआ हो तब यत्नपूर्वक तार्किक व वास्तविकतापूर्ण विचारों द्वारा पूर्व परिस्थिति में परिवर्तन लाना। मान लीजिए आपको किसी महत्तवपूर्ण जगह पर पहुंचना है जैसे आईएएस का इंटरव्यू देने जाना है और आपको लगता है कि आप लेट हो रहे हैं. ऐसे में आप घबराने लगते हैं और दिल की धडकनें तेज होने लगती हैं। ऐसे में कई नकारात्मक विचार आयेंगे जैसे-स्वयं पर क्रोध आयेगा, अपनी योग्यता पर संदेह होने लगेगा, फिर बार-बार घुमडने वाले विचार आपके मन के तनाव को बढ़ाते जायेंगे व परिस्थिति पर नियंत्रण पाने की आपकी क्षमता घटती जायेगी।
ध्यान रहे कि अब आप जिस मनःस्थिति से गुजर रहें हैं वह सीधे इन उठ रहे विचारों की वजह से है, लेकिन आपका उद्देश्य होना चाहिए और होगा भी तुरंत परिस्थिति पर काबू पाना व सही कदम उठाना, साथ-ही-साथ मन का संतुलन व आत्मविश्वास बनाये रखना। अब आपका अगला कदम क्या होगा? यदि आपने पहले अभ्यास द्वारा ऊपर लिखित पद्धति अपनाना सीख लिया है तो एसे समय में आप इसे बगैर कागज के भी कर सकते हैं।
मनः स्थिति
मानव मस्तिष्क विश्व का सबसे बड़ा कंप्यूटर है, यहां तक कि यह अद्यतन पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में बहुत ज्यादा शक्तिशाली है। जिस प्रकार एक कंप्यूटर बिना सॉफ्टवेयर के काम नहीं कर सकता है और विभिन्न परिणामों के लिए इसे विशेष सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है, वैसे ही हमारा मस्तिष्क भी बिना सॉफ्टवेयर के काम नहीं करता. हम लोगों को इच्छित परिणाम प्राप्त करने तथा अपने जीवन में विकास करते रहने के लिए प्रतिदिन मानव सॉफ्टवेयर, उसके रख रखाव और अभिवृद्धिकरण की आवश्यकता होती है। हमारी प्रगति, शांति एवं प्रसन्नता हमारे सॉफ्टवेयर के स्तर पर निर्भर करती है।
मानव सॉफ्टवेयर अवचेतन मन में संरक्षित होता है, इस लिए अपने सॉफ्टवेयर में किसी प्रकार के परिवर्तन और परिवर्द्धन के लिए हमें यह जानने की जरूरत है कि अवचेतन मन तक कैसे पहुंचा जाए। हमारा मस्तिष्क विभिन्न कार्यो को सम्पादित करने में हमारी सहायता के लिए विद्युत ऊर्जा निरूसृत करता है, जिसे मस्तिष्क तरंग आवृत्तियां कहते हैं। ये आवृतियां 0 से 21 के बीच में बदलती रहती हैं और उन कार्यों पर निर्भर करती हैं, जिनको हम कर रहे होते हैं। कार्य जितना जटिल होगा, उतनी ही ज्यादा मस्तिष्क-शक्ति और उतनी ही तीव्र मस्तिष्क तरंग आवृत्तियों की आवश्यकता होगी।
अब इस क्षण आप इस महत्वपूर्ण काम, मन की धारा को बदलने, में सक्षम हैं अर्थात् आप अपने मन में उठने वाले विचारों की जगह तार्किक, समस्या सुलझाने वाले, आत्मबल बढ़ाने वाले विचारों को लाने में समर्थ हैं। लगभग उसी तरह जैसे पौराणिक, धार्मिक फिल्मों में तीरों से तीरों को हवा में मारा जाता है। ‘या स्टार वार्स’ ध्यान रहे कि इस विधि या पद्धति का उद्देश्य मन को यथार्थ से परे दिलासा दिलाना नहीं है, बल्कि यथार्थ को स्वीकार कर कार्य करना है, लेकिन नकारात्मक विचारों का तांता इस यथार्थ को अतिरंजना के बादल से ढंक देता है। यदि आपके विचार तार्किक व यथार्थ से भरे हुए नहीं होंगे तो वे सही दिशा की तरफ आपको कदापि नहीं ले जा पायेंगे।
किसी परिस्थिति में मान लीजिए किसी ‘नकारात्मक सोच’ के बदले में ‘यथार्थवादी, तार्किक विचार’ आप तत्क्षण न सोच पायें. ऐसी परिस्थिति में आप कुछ देर या कुछ दिन के लिए प्रयास करना छोड़ दें और बाद में इस पर वापस आयें। इस अंतराल में पूरी संभावना है कि आपको सिक्के का दूसरा पहलू नजर आ जाये। यदि आप दो-तीन महीनों तक उपरोक्त ‘कॉलम’ विधि का लगातार अभ्यास करें तो आपमें शीघ्र व प्रभावशाली ढंग से परिस्थितियों पर काबू पाने की कला विकसित हो जायेगी। आवश्यकता पडने पर आप अपने शुभचिन्तकों की राय लेना न भूलें-किसी परिस्थिति में वे किस तरह से सोचेंगे, संभव है दूसरा दृष्टिकोण आपको अपनी राय बनाने में सहायक हो।

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