झुंझुनू के ओमप्रकाश ने एशियन खेल में दिलाया स्वर्ण पदक
– रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू। बजरंगलाल ताखर के बाद रेतीले धोरों से एक और नौकायन के खिलाड़ी ने शेखावाटी का नाम रोशन किया है। झुंझुनूं के बुडाना निवासी ओमप्रकाश कृष्णियां ने आज एशियन गेम्स के नौकायन में गोल्ड जीता है। चार खिलाड़ियों की भारतीय टीम ने जब यह गोल्ड जीता तो उसके साथ ही झुंझुनू में खुशी का माहौल देखा गया। माता-पिता तो इसे एक सपना बता रहे है। झुंझुनू के बुडाना निवासी ओमप्रकाश कृष्णियां ने आज ना केवल देश का मान बढ़ाया है। बल्कि राजस्थान की वीर धरा को एक बार फिर गौरवान्वित होने का मौका दिया है। ओमप्रकाश ने जर्काता में चल रहे एशियन गेम्स में भारत के लिए नौकायन प्रतियोगिता में गोल्ड जीता है। क्वाडरपल स्कल्स प्रतियोगिता में आज सुबह भारतीय टीम ने गोल्ड जीता। जिसमें ओमप्रकाश के अलावा तीन सदस्य भी थे। इसकी जानकारी जब परिवार को लगी तब से ही घर में दिवाली जैसा माहौल है। बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है तो वहीं मिठाई खाने और खिलाने का दौर भी चल रहा है। पिता बताते है उन्हें इस दिन का बेसब्री से इंतजार था। वहीं मां कहती है कि आज जैसा काम उसके बेटे ने किया है। वैसी उपलब्धि हर बेटा हासिल कर देश का नाम रोशन करें।
इधर भाई की इस खुशी पर बहन प्रमिला भी फूले नहीं समा रही है। साथ ही कह रही है कि रक्षाबंधन के दो दिन पहले उसके भाई ने जो उसे उपहार दिया है वो उसे जिंदगीभर नहीं भूल सकेगी। प्रमिला ने बताया कि कल भी ओमप्रकाश डबल के मुकाबले में महज दो सैकंड से पिछड़ गया और भारत के हाथ से मैडल निकल गया। लेकिन इसके बाद उसने फोन पर बातचीत कर भाई का हौंसला बढ़ाया और उसने वादा किया था कि आज मैडल जीतेगा। जिसे पूरा किया है। ओमप्रकाश की पत्नी सरोज हो या फिर परिवार व गांव के अन्य महिलाएं। सभी ओमप्रकाश को एक आदर्श के रूप में देखती है। सरोज ने बताया कि उनके पति लगातार मेहनत कर रहे है। जिसके दम पर वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में तो कई बार गोल्ड जीत चुके है। लेकिन अब एशियन गेम्स में जीतने पर उन्होंने बेहद बड़ी खुशी दी है। वहीं अन्य महिलाओं का कहना है कि जब भी ओमप्रकाश गांव आता है तो खेलों को लेकर युवाओं को ट्रेनिंग देता है। ताकि खेलों में गांव की प्रतिभाएं पूरे देश का नाम रोशन कर सके।
ओमप्रकाश की इस उपलब्धि पर उनके भाई जयप्रकाश बताते है कि ओमप्रकाश ने सेना में भर्ती होने से पहले कभी नौकायन की तरफ देखा तक भी नहीं था। लेकिन इसके बाद जब अवसर मिला तो नौकायन में हाथ आजमाए। 2010 में सेना में भर्ती होने वाला 27 वर्षीय ओमप्रकाश 2012 में नौकायन की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया और आज वह एशियन गेम्स में गोल्ड जीत पाया है। वहीं ग्रामीण और युवा साथी उसके गांव लौटने का इंतजार कर रहे है। ताकि उसका जोरदार स्वागत किया जाए। बजरंग ताखर के बाद अब ओमप्रकाश की उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि जिस रेगिस्तानी धोरों में में पानी की डूबकी लगाने की नहीं सोचने वाले हमारे युवा नौकायन जैसे खेलों में विदेशी धरती पर तिरंगा लहरा रहे हैं। ओमप्रकाश भी अपना आदर्श बजरंग ताखर को मानते है। साथ ही कहते है कि उन्हें खुशी है कि आज उन्होंने देश के लिए गोल्ड जीता है। साथ ही आगे भी इसी तरह के प्रदर्शन की बात कहते है।
विजेता टीत का सदस्य ओमप्रकाश राजस्थान में झुंझुनू जिले के बुडाना गांव का रहने वाला है। उनके पिता का नाम शिशपाल कृष्णिया है। उनका जन्म 10 मार्च 1991 को हुआ था। ओमप्रकाश 08 अप्रैल 2010 को सेना की 07 राजरिफ में भर्ती हुये थे। ओमप्रकाश ने 2012 से नौकायान खेल में भाग लेना शुरू किया। 2012 में ही उन्होने पहली बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेकर पदक जीत कर अपना दम दिखाया। 2012 में उन्होने 16 वीं चैलेंजर स्प्रिंट नेशनल प्रतियोगिता में रजत पदक जीता। 2015 में केरल में सम्पन्न हुये 35 वें नेशनल गेम्स में एक स्वर्ण पदक व एक कांस्य पदक जीता। 2015 में थाइलैंड में सम्पन्न हुये इन्डोर एशियन चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। 2015 में ही कोरिया में सम्पन्न हुये एशियन गेम्स में भाग लेकर पांचवा स्थान प्राप्त किया था। 2016 में पुणे में सम्पन्न हुये आर्मी इन्डोर रोइंग चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता। 2016 में यूएस क्लब नेशनल रोइंग चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता। 2017 में पुणे में सम्पन्न हुये आर्मी इन्डोर रोइंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। 2017 में पुणे में सम्पन्न हुयी 36 वीं नेशनल रोइंग चैम्पियनशिप में पदक जीता था।
भारतीय नौकायान टीम द्वारा स्वर्ण पदक जीतने पर 2010 के एशियाड में व्यक्तिगत स्पर्धा में नौकायान का पहला स्वर्ण पदक जीतने वाले राजस्थान के सीकर जिले के बजरंग लाल ताखर ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि शेखावाटी में बहुत से प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं जरूरत है उन्हे सही मौका व प्रशिक्षण मिलने की। ताखर ने कहा कि झुंझुनू जिले का ओमप्रकाश शुरू से ही प्रतिभाशाली खिलाड़ी रहा है। मैने ओमप्रकाश को प्रशिक्षण दिया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता खिलाड़ियों को हरियाण व पंजाब सरकार की तरह सीधे प्रशासनिक अधिकारी पद पर नियुक्त करने की राजस्थान सरकार की घोषणा पर बजरंगलाल ताखर का कहना है कि इस मामले में राजस्थान सरकार कुछ नहीं कर रही हैं। मैंने 2010 के एशियाड में व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। मुझे राज्य सरकार ने सीधे पुलिस उपाधीक्षक बनाने का वायदा किया था मगर आज तक कुछ नही किया। ना काग्रेंस सरकार ने कुछ किया ना ही भाजपा सरकार ने। सभी सरकारे झूठ बोलकर खिलाडियो को गुमराह कर रही है। राजस्थान में आज तक एक भी खिलाड़ी को प्रशासनिक अधिकारी की नौकरी नहीं दी गयी। जबकि हरियाणा व पंजाब में कई खिलाडियों को नियुक्ति दी गयी है। राजस्थान सरकार को भी खिलाडियो के साथ न्याय करना चाहिये।