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नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की उपस्थिति वाले अपने पहले ‘लीडरशप बैंक कॉन्कलेव’ का समापन

नई दिल्ली। देश के बेहद प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूलों में से एक इंटरनैशनल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (आईएमआई), नई दिल्ली ने बेहद उत्साह के साथ अपना पहला ‘लीडरशिप बैंक कॉन्कलेव’ संपन्न किया। इसमें 20 जनवरी 2018 को भारत सरकार के नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की उपस्थिति दर्ज की गई। इस सम्मेलन में देश में बैंकों से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया जिनमें गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए), इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्टसी मैनेजमेंट जैसे मुद्दे मुख्य रूप से शामिल थे।
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने अपने उद्घाटन भाषण के दौरान कहा, ‘दुनिया में कोई भी देश एक मजबूत वित्तीय व्यवस्था के बगैर, ग्रिड बैंकिंग संस्थानों और वित्तीय अनुशासन के बगैर तेजी से आगे नहीं बढ़ा है। एक देश के तौर पर भारत के लिए, चुनौती आगे बढ़ने की नहीं, बल्कि चुनौती है ऊंची दर के साथ आगे बढने की।’
‘भारत की रेटिंग अपग्रेड की गई है और बैंकिंग सेक्टर में निवेशकों के बढ़ते विश्वास का मुख्य कारण है बैंकों और आरबीआई द्वारा फंसे कर्ज के खिलाफ प्रबंधन और विसंगतियां समाप्त करने के काम में मजबूत पारदर्शिता।’
आईएमआई-नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. देबाशीष चटर्जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, ‘वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में हमें गहराई से यह विचार करने की जरूरत है कि बड़े एनपीए की वजह से कहां और कैसे यह वित्तीय व्यवस्था प्रभावित हो रही है। नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स (एनपीए) के बढ़ते मामलों की मुख्य वजह यह है कि इस समस्या को समय पर सुलझाया नहीं गया। इसके अलावा परिसंपत्तियों के आकलन के कमजोर तरीके और प्रमुख मूल्यों के साथ समझौतावादी रुख अपनाए जाने की वजह से परिचालन संबंधी अक्षमता भी इसके लिए जिम्मेदार है। ऊंचे प्रतिफल के लालच की वजह से वैल्यू में भारी कमी, गलत उधारकर्ता का चयन और छानबीन के अभाव जैसी समस्याएं भी आज के बैंकिंग उद्योग में देखी जा सकती हैं।’
वह कहते हैं, ‘समय की मांग है नवीनता लाना और देश को बुनियादी तौर पर मजबूत बनाने के लिए एनपीए के खिलाफ मजबृत दृष्टिकोण के साथ निपटना। यह प्रमुख बैंकर श्री राज कुमार तलवार से प्राप्त अनुभवों के जरिये किया जा सकता है, जिनका कहना है कि ईमानदारी सबसे अच्छी सुरक्षा है न कि श्रेष्ठ नीति। इसलिए आकलन और अन्य संबंधित प्रणालियों को सुरक्षित बनाएं और साथ ही स्वयं और व्यवस्था के प्रति ईमानदार बनने की जरूरत होगी।’
आईएमआई-नई दिल्ली ने ‘पर्सपेक्टिव ऑन क्रेडिट रिस्क मैनेजमेंट, एनपीए एंड आईबीसी कोड 2016’ पर पैनल परिचर्चा में बैंकिंग उद्योग के कई दिग्गजों की भी मेजबानी की। इस इवेंट में उपस्थित हुए लोगों में शामिल हैं- केनरा बैंक के पूर्व सीएमडी आर के दुबे, पंजाब नैशनल बैंक के महा प्रबंधक विजय कुमार गोयल, इंडसइंड बैंक के कंट्री हेड रवि मोहन हरजाई, एनआईबीएम पुणे के निदेशक के एल ढींगरा, यूको बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि किशन टक्कर, इंडियन ओवरसीज बैंक के पूर्व-निदेशक, के श्रीवास्तव, इंडिया एसएमई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेन्द्र एम गनात्रा और केनरा बैंक में महा प्रबंधक टी लता।

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