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95 फीसदी संगठन सस्टेनेबिलिटी को स्ट्रेटेजी के साथ जोड़ते हैं – CII

मुंबई। भारत के सबसे बड़े इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाताओं में से एक महिंद्रा लॉजिस्टिक्स लिमिटेड (एमएलएल) ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) इंस्टीट्यूट ऑफ लॉजिस्टिक्स (सीआईआई-आईएल) के सहयोग से अपने विशेष अध्ययन ‘डीकार्बाेनाइजिंग इंडियन सप्लाई चेन’ के निष्कर्षों का खुलासा किया है। यह श्वेतपत्र सस्टेनेबिलिटी को अपनाने से संबंधित उन प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालता है, जिनका सामना इंडस्ट्री को करना पड़ रहा है। अध्ययन में जिन चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है, उनमें से प्रमुख चुनौती डेटा की कमी से संबंधित है। सिर्फ 25 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया कि उनके पास यह दिखाने के लिए डेटा है कि उनका संगठन जितना कार्बन पैदा करता है उससे अधिक कार्बन को समाप्त करता है। रिसर्च स्टडी का आयोजन प्राइमरी रिसर्च के माध्यम से किया गया, जिसमें प्राथमिकताओं और अवसरों की पहचान करने के लिए सभी क्षेत्रों में बड़ी सप्लाई चेन वाले शीर्ष संगठनों के सी-सूट पेशेवरों का साक्षात्कार लिया गया था।
यह सर्वेक्षण कंपनियों के ‘नेट पॉजिटिव’ होने की यात्रा पर प्रकाश डालता है, जिसमें शोध अध्ययन से पता चला है कि 50 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने 2030 और 2050 के बीच ‘नेट पॉजिटिव’ होने का लक्ष्य रखा है। इसी तरह, अध्ययन में कहा गया है कि कार्बन उत्सर्जन और ऑफसेटिंग में कमी की तरफ उठाए जाने वाले कदम कंपनी के ‘नेट पॉजिटिव’ होने के विजन से संचालित होते हैं, हालांकि 37 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अभी तक इसे परिभाषित नहीं किया है। इसके अतिरिक्त, अध्ययन में पाया गया कि जनता को ‘नेट पॉजिटिव’ लक्ष्य के बारे में बताना, लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक आवश्यक कदम है, जिसमें आधे से अधिक (55 फीसदी) उत्तरदाताओं ने इसे पहले ही सार्वजनिक कर दिया है।
सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि कंपनियां विकास को प्रोत्साहित कर रही हैं और आधे से अधिक (57 फीसदी) उत्तरदाताओं ने पहले ही लॉजिस्टिक में कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के लिए विशिष्ट पहल कर दी है। इसी तरह, स्टार्ट-अप को शामिल करना निश्चित रूप से सस्टेनेबिलिटी की दिशा में कंपनियों के प्रयासों को तेज कर सकता है, हालांकि एक चौथाई (23 प्रतिशत) से भी कम उत्तरदाताओं ने इस दिशा में प्रगति की है।
इसके अलावा, सर्वेक्षण से पता चलता है कि जल प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, फुल सर्कुलरिटी और नवीकरणीय स्रोत सामग्री सस्टेनेबिलिटी की दिशा में संगठनों की शीर्ष पहल हैं, जबकि डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का ऑप्टिमाइजेशन, नवीकरणीय ऊर्जा पर स्विच करना, इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करना हरित आपूर्ति श्रृंखला को प्राप्त करने की दिशा में अपनाए जाने वाले शीर्ष दृष्टिकोण हैं।

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