भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में हिमाचल प्रदेश के धनिये में अपनी महक बिखेरी
नई दिल्ली। दिल्ली में चल रहे भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू की ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं में उगने बाले हरे धनिए की महक ने खरीददारों को कायल बना दिया हैं।
हिमाचल पवेलियन में कुल्लू के उद्यमी वरुण घई द्वारा लगाए गए निमीकिश मसाले के स्टाल में कुल्लू जिला के सैंज, तीर्थन, गड़सा तथा बंजार क्षेत्रों में पैदा होने बाले हर्बल धनिए के मसाले अपनी सुगन्ध बिखेर रहे हैं।
कुल्लू के उद्यमी वरुण घई कहते हैं की साल में मात्र तीन महीने में उपलब्ध रहने बाले इस धनिए की मेडिसिनल वैल्यू और भिन्नी सुगन्ध की बजह से यह खरीदारों की पहली पसन्द होती है।
बह बताते हैं की पर्वतीय क्षेत्रों में पैदा होने बाले इस धनिये की मार्किट में सितम्बर माह में आवक शुरू हो जाती है जोकि नवम्बर के अन्त तक ख़तम हो जाती है। वह कहते है की बह अपनी डिमांड भून्तर सब्ज़ी मंडी के थोक व्यापारियों को दे देते हैं जोकि नियमित रूप से आने बाले किसानों को पहुंच जाती है, तथा किसान उनकी डिमांड के हिसाब से थोक सब्ज़ी मंडी को पहुंचा दे देते हैं। वह इस हर्बल धनिये को भुंतर में स्थित अपने प्लांट में प्रोसेस करके इसे पचास, सौ और ढाई सौ ग्राम के पैकेट में सील करके पूरा साल ग्राहकों को उपलब्ध करबाते हैं। कुल्लू जिला के धनिये को मसालों में व्यवसायिक रूप में प्रयोग करने से पर्वतीय क्षेत्रों में ज्यादा किसान धनिये की खेती कर रहे हैं जिससे किसानों की आय बढ़ रही है और उपभोक्ताओं को ऊँची गुणबत्ता के उत्पाद घर द्वार पर उपलब्ध हो रहे हैं।
कुल्लू के उद्यमी वरुण घई का कहना है इसके इलावा कुल्लू जिला में पैदा होने बाली लाल मिर्च की भी खरीदारों में अच्छी डिमांड है क्योंकि यह मिर्च केरल आंध्र आदि राज्यों में पैदा होने वाली मिर्च से कहीं ज्यादा तीखी होती है लेकिन स्वास्थ्य पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं डालती। सर्दियों में तीन महीने तक चलने वाले इस मिर्च को सीजन में खरीदकर प्लांट में प्रोसेस करके वर्ष भर मार्किट में बेचा जाता हैं।
उनका कहना है की उनके उत्पादों की दिल्ली, गुडगाँव, फरीदाबाद और पंजाब में ज्यादा डिमांड देखने को मिलती हैं।