मनोरंजनव्यापार

बोर्डरूमों से लेकर फिल्मों के सेट तक, ओ वूमनिया! 2022 अध्ययन ने भारतीय फिल्मों और डिजिटल सीरीज में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का खुलासा किया

मुंबई- मीडिया कंसल्टिंग फर्मओरमैक्स मीडिया और एंटरटेनमेंट प्लेटफॉर्मफिल्म कंपेनियन ने आज ‘ओ वूमनिया! 2022’स्टडी को जारी कर दिया, जोभारतीयमनोरंजनके क्षेत्र में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर सबसे निर्णायक रिपोर्ट है। यह रिपोर्ट भारत के पसंदीदा मनोरंजन केंद्रप्राइम वीडियो द्वारा समर्थित है। रिपोर्ट 8 भारतीय भाषाओं (हिंदी, तेलुगु, तमिल, मलयालम, कन्नड़, पंजाबी, बंगाली और गुजराती) में 2021 के दौरान थिएटरों के अंदर रिलीज हुई 150 फिल्मों, स्ट्रीम होने वाली फिल्मों और सीरीज का विश्लेषण करके महिलाओं के ऑन-स्क्रीन व ऑफ-स्क्रीन प्रतिनिधित्व पर प्रकाश डालती है। यहपहली बार हुआ है कि रिपोर्ट को भारतीयमनोरंजनउद्योगकीअनेक संस्थाओं का सहयोग प्राप्त हुआ। इनमें प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और एक्टिव तेलुगु फिल्म प्रोड्यूसर्स गिल्ड जैसी संस्थाएं- होईचोई, सोनीलिव, वूट और ज़ी5जैसी स्ट्रीमिंग सेवाएं-क्लीन स्लेट फिल्म्ज़, धर्मा प्रोडक्शंस, एम्मे एंटरटेनमेंट, एक्सेल एंटरटेनमेंट, पर्पल पेबल पिक्चर्स, आरएसवीपी और सिखया एंटरटेनमेंट जैसे फिल्म प्रमुख फिल्म स्टूडियो शामिल रहे।
रिपोर्ट ने तीन प्रमुख श्रेणियों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व और भागीदारी का अध्ययन किया:’कंटेंट’-जिसमें ऑन-स्क्रीन और कैमरे के पीछे का महिला प्रतिनिधित्व शामिल था, ‘मार्केटिंग’-जिसमें फिल्मों और सीरीज के प्रचार ट्रेलरों में महिला प्रतिनिधित्व का अध्ययन किया गया और ‘कॉर्पोरेट’-जिसमें शीर्ष 25 मीडिया और मनोरंजन कंपनियों के बोर्ड रूम्स में महिला प्रतिनिधित्व का विश्लेषण हुआ। रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों में शामिल हैं:

• ऑफ-स्क्रीन कम प्रतिनिधित्व : कैमरे के पीछे महिलाओं का प्रतिनिधित्व बेहद कम है।महिलाओं द्वारा संभाले जा रहे प्रमुख प्रभागों (प्रोडक्शन डिजाइन, लेखन, संपादन, निर्देशन और छायांकन) में केवल 10% विभाग प्रमुख (एचओडी) के पद हीउनके पास हैं। तमामभाषाओं में विश्लेषित की गई थिएटर वाली 56 फिल्मों में से एक भी फिल्ममहिला द्वारा निर्देशित या संपादित नहीं की गई थी। यहां तक कि निर्णय लेने के केंद्र में रहने वाले मीडिया और मनोरंजन से जुड़े कंपनियोंकीवरिष्ठ नेतृत्वकारी भूमिका केवल 10%महिलाओं के पास थी। प्रोडक्शन और इग्जीक्यूशन चेन के माध्यम से इसका समावेशिता पर सतत प्रभाव पड़ा है।

• ऑन-स्क्रीन प्रतिनिधित्व : केवल 55% फिल्में और सीरीज बेकडेल टेस्ट1 पास कर पाईं। यहां तक कि ट्रेलर टॉक टाइम टेस्ट2 के माध्यम से विश्लेषित किए गए प्रचार केट्रेलरों मेंमहिलाओं के पास केवल 25% टॉकटाइम पाया गया,जिसमें 48टाइटल ऐसे थे, जहांमहिला किरदारों को बोलने के लिए 10 सेकंड या इससे भीकम समय दिया गया।

• महिलाएं अधिक महिलाओं को नियुक्त करती हैं : जब किसीमहिला ने फिल्म या सीरीज को हरी झंडी दिखाई तो महिला एचओडी का प्रतिशत दोगुना हो गया। इसी तरह, यदि टाइटल को कोई महिला कमीशन करती है तोफिल्मेंऊंचेप्रतिशत के साथ बेकडेल टेस्ट (68%) पास करती हैं और महिलाओं को ज्यादा ट्रेलर टॉक टाइम (35%)मिलता है।

• स्ट्रीमिंग बदलाव ला रही है : स्ट्रीम की जाने वाली फिल्मों और सीरीज ने थिएटरों में रिलीज हुई फिल्मोंके मुकाबले हर पैमाने पर बेहतर प्रदर्शन किया,जो यह दर्शाता है कि इस सेक्टर के ऑन व ऑफ-स्क्रीन महिलाप्रतिनिधित्व में बदलावकी शुरुआत हो चुकी है। उदाहरण के लिए, स्ट्रीम की जाने वाली फिल्मों और सीरीजके अंदरमहिला एचओडी का प्रतिनिधित्व थिएटरों में रिलीज हुई फिल्मों के मुकाबले पांच गुना अधिक था। इसी तरह, स्ट्रीम की जाने वाली 64% सीरीज और स्ट्रीम की जाने वाली 55% फिल्मों ने बेकडेल टेस्ट पास किया, जबकि थिएटरों में रिलीज हुई आधे से ज्यादाफिल्में इस टेस्ट में फेल हो गईं। इसी तर्ज पर,स्ट्रीम की जाने वाली फिल्मों और सीरीज ने ट्रेलरों में महिला किरदारोंको ज्यादा टॉकटाइम प्रदान किया और थिएटरों में रिलीज हुई फिल्मों सेक्रमशः 10 प्रतिशत और 14 प्रतिशत अंकों की बढ़त हासिल की।

अध्ययन से प्राप्त निष्कर्षों के बारे में बोलते हुए ओर मैक्स मीडिया के संस्थापक-सीईओ शैलेश कपूर ने कहा, “हालांकि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि मुख्यधारा के मनोरंजन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है, लेकिनकुछ प्रमुख मापदंडों पर इस गिरावट की ढलान 10:90 होना हमें जगाने की घंटी है। स्ट्रीम होने वालेटाइटल, खासकर सीरीज, ऑन व ऑफ-स्क्रीन प्रतिनिधित्व के मामले में ज्यादा महिला-समावेशी हैं, इस मामले में थिएटर वाली फिल्मों का खराब प्रदर्शन जारी हैऔर वास्तव मेंपिछली रिपोर्ट के बाद से इन्होंनेकोई सकारात्मक सुधारनहीं दिखाया है।पिछली रिपोर्ट में 2019 और 2020 में रिलीज हुआ कंटेंट शामिल था। हमें उम्मीद है कि यह रिपोर्ट इंडस्ट्री के लिए एकजुट होने और साफ नजर आ रहे असंतुलन को दूर करने के तरीकों पर चर्चा करने काएक आरंभिक बिंदु बनेगी।“
फिल्म कंपेनियन की संस्थापक एवं संपादक अनुपमा चोपड़ा का कहना है- “यह समझने के लिए डेटा अत्यंतआवश्यक है कि भारतीयफिल्मउद्योगमें लैंगिक समीकरण कितना विषम है। ओ वुमेनिया! हमें चर्चा और बहस काशुरुआती बिंदु प्रदान करता है। ओरमैक्स मीडिया और फिल्म कंपेनियनके संयुक्त प्रयास में शुरू की गई यह पहल अब समूची इंडस्ट्री में गूंज रही है। फिल्म निकायों, स्ट्रीमिंग सेवाओं और स्टूडियोज से हमको मिला समर्थन सुखद है। हम इस रफ्तार को तेज करना जारी रखेंगे और उम्मीद हैकि हम बदलाव की राह दिखाते चलेंगे।”
रिपोर्ट की अहमियत के बारे मेंप्राइम वीडियो की हेड ऑफ इंडिया ओरिजिनल्स, अपर्णा पुरोहित ने कहा, “हालांकि भारतीय मनोरंजन जगतमें महिलाओं काप्रतिनिधित्व बेहतरहुआ है, लेकिन भारत में ऐसी कोई डेटा-समर्थित रिपोर्ट मौजूदनहीं थी जो मौजूदा हकीकत की सच्ची झलक दिखा सके। ‘ओ वुमेनिया! 2022’अपनी समृद्ध अंतर्दृष्टियों के बल परइसखाईको पाटती है। हम एक ऐसी पहल के लिए ओरमैक्स मीडिया और फिल्म कंपेनियन सेहाथ मिलाकर रोमांचित हैं, जो समान प्रतिनिधित्व को लेकर हमारी फिलॉसफी के अनुरूप हैं।रिपोर्ट ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को शामिल करने की जरूरत पर चर्चा शुरू करने काएक सार्थक बिंदु बन गई है, खासकरनिर्णय लेने वाली भूमिकाओं में,क्योंकि इसका पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की समावेशिता पर एक लहरदारअसर पड़ता है। बदलाव सतत और इरादतन होना चाहिए तथा इन आंकड़ोंको सुधारनेके लिए हमें साल-दर-सालनिरंतर कदम उठाने पड़ेंगे।” महिला प्रतिनिधित्व को बेहतर बनाने में स्ट्रीमिंग की भूमिका परउन्होंने विस्तार से बताया, “स्ट्रीमिंग सेवाओं ने निश्चित रूप से ज्यादा समावेशी स्टोरीटेलिंगके दरवाजे खोले हैं जो महिलाओं को ज्यादा अवसर प्रदान करते हैं। स्ट्रीमिंग ने अनेक महिला स्टोरीटेलर्स को अपनीकहानियांसुनानेकी ताकत दी है जिसके परिणामस्वरूप उन कहानियों में वृद्धि हुई है जो खुदमुख्तारीवालेमहिला किरदारोंद्वारा संचालित होतीहैं। प्राइम वीडियो मेंहमने एक समावेश नीति प्लेबुक शुरू की है जिसमें कुछ दिशानिर्देशों को संस्थागत रूप देदिया गया है,ताकि ऑन व ऑफ-स्क्रीन महिला प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके। इनमें लेखकों के कमरे में अनिवार्य महिला प्रतिनिधित्व और विशिष्ट मापदंडों पर प्रत्येक स्क्रिप्ट का मूल्यांकन करनाशामिल है। मुझे यकीन है कि इंडियन एंटरटेनमेंट जगत के अंदरस्ट्रीमिंगविविधता, समानता और समावेशिता के मामले में भारी बदलाव लाएगी।“
ओ वुमेनिया! 2022 को एक्ट्रेस विद्या बालन ने भी अपनासमर्थन दिया है, जिन्होंने पिछले 17 वर्षों के दौरान द डर्टी पिक्चर, कहानी, तुम्हारी सुलु, शकुंतला देवी, शेरनी, जलसाजैसी कई थिएटर और स्ट्रीमिंग फिल्मोंके जरिए महिला केंद्रित कहानियों की अगुवाई की है और इस मुहिम को आगे बढ़ाया है।
रिपोर्ट में साझा किए गए निष्कर्षों पर प्रतिक्रिया देते हुए विद्या बालन ने कहा, “एक एक्ट्रेस के रूप मेंमैंने पिछले डेढ़ दशक के दौरान फिल्मों के अंदर महिला प्रतिनिधित्व कोबदलते देखा है। सेट पर चंदमहिलाओं की मौजूदगी से लेकर अब डायरेक्शन,एडिटिंगऔर अन्य प्रमुख विभागों की जिम्मेदारी संभालते हुए फिल्म मेकिंग का नेतृत्व करने तकहमने एक लंबा सफर तय किया है। हालांकि यह बदलाव काफी समय से जारी था, लेकिन अब स्ट्रीमिंग सेवाओं के साथ यहऔर तेज हो गया है, जिन्होंने स्टोरीटेलिंगऔर सेट पर बेहदजरूरी विविधता पेश की है। हालांकिरिपोर्ट इंगित करती है कि हमेंअभी भी बहुत कुछ करना बाकी हैऔर यह तभी हो सकता है जब हमारे बोर्डरूमों में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं मौजूदहों, जो सीधेनिर्णय लेने के केंद्र में बदलाव लासकें। महिला एक्टर्स के प्रभावशालीस्थिति में होने के नातेहमें कैमरे के पीछे वालेमहिला प्रतिनिधित्व कोबढ़ाने की जरूरत है,ताकि सामने भी ज्यादा संवेदनशीलऔरप्रामाणिक प्रतिनिधित्व उभरसके। मुझे इसरिपोर्ट से जुड़कर खुशी हो रही है।भारतीयमनोरंजनजगत में महिला प्रतिनिधित्व का दस्तावेजीकरण करने की दिशा में कदम उठाने के लिए मैंओरमैक्स मीडिया, फिल्म कंपेनियन, प्राइम वीडियो और अन्य सभी संस्थाओं की सराहना करती हूं। अब हमें महजइरादे से असलीकार्रवाई की ओर सुईघुमानेकी जरूरत है तथा पूर्वाग्रहकम व नष्ट करने की दिशा में काम करना होगा।”

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