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गोदरेज एग्रोवेट के बायोस्टिमुलेंट – कंबाइन ने पूरे किये 25 साल

मुंबई। गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड (जीएवीएल) के फसल सुरक्षा व्यवसाय ने आज घोषणा की कि उसके बायोस्टिमुलेंट, कंबाइन ने भारतीय अंगूर किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाले अंगूर उगाने में मदद करने के 25 साल पूरे कर लिए हैं।
भारत, दुनिया में आज, अंगूर का 11वां सबसे बड़ा निर्यातक है, जहां 1.2 लाख किसान, हर साल कुल 3 लाख एकड़ भूमि पर अंगूर उगाते हैं। कुल बोए गए अंगूर के 70% हिस्से का निर्यात होता है और पिछले दशक में कुल निर्यात 12.6% सालाना की दर (सीएजीआर) से बढ़ा। इसमें डायामोर कंबाइन ने भारतीय किसानों को निर्यात के लिए अंगूर के सही आकार और रंग प्राप्त करने में सहायता की, वहीं सुपरशक्ति कंबाइन ने घरेलू बाजार के लिए लंबे अंगूर की क़िस्म उगाने में मदद की।
कंबाइन के 25 साल पूरे होने के बारे में अपनी टिप्पणी में, जीएवीएल के प्रबंध निदेशक, बलराम सिंह यादव ने कहा, “भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश में, कंबाइन, किसानों को अपने अंगूर की बेहतर उपज और गुणवत्ता प्राप्त करने में मददगार रहा है। हम तकरीबन ~90,000 किसान परिवारों को सेवा प्रदान करते हैं जो हर साल लगभग ~1.5 लाख एकड़ ज़मीन पर अंगूर उगाते हैं। हमें, भारत को अंगूर उत्पादन के वैश्विक मानचित्र पर लाने और अंगूर उत्पादक किसानों को समृद्ध बनाने में योगदान देने के खुशी है।”
यूरोप के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग (यूएनईसीई) द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुरूप, ‘कंबाइन’ अंगूर की गुणवत्ता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण ज़रिया रहा है। उचित तरीके से उपयोग करने से, अंगूर उत्पादक 400-500 ग्राम वज़न के गुच्छे, 18 मिमी और उससे अधिक व्यास वाले फल, एक समान रंग के अंगूर और बेहतर शेल्फ लाइफ जैसे उल्लेखनीय मानक प्राप्त कर सकते हैं। ये गुण, पाउडरी मिलड्यू और डाउनी मिलड्यू जैसे रोग फैलाने वाले कीटों के प्रभाव को कम करने की क्षमता के साथ मिलकर काम करते हैं।
जीएवीएल के कार्यकारी निदेशक और मुख्य परिचालन अधिकारी, फसल सुरक्षा व्यवसाय, बुर्जिस गोदरेज ने कहा, “अंगूर का भारत की निर्यात क्षमता में महत्वपूर्ण योगदान है और इसमें हमारी कृषि अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने की अपार संभावनाएं हैं। गोदरेज एग्रोवेट में, हमें किसानों के सहयोगी के रूप में अपनी भूमिका पर गर्व है, और हमारा उत्पाद ‘कंबाइन’ इस क्षमता को साकार करने की आधारशिला है। ‘कंबाइन’, अंगूर किसानों को वैश्विक गुणवत्ता मानकों के अनुरूप अपनी फसल उगाने में मदद कर उन्हें असाधारण गुणवत्ता वाले अंगूर उगाने में मदद करता है।’
अंगूर, उच्च निर्यात क्षमता वाले महत्वपूर्ण फलों में से एक है। इसलिए कीटों से निपटने के लिए एक मज़बूत प्रणाली का होना ज़रूरी है, क्योंकि कीटों के हमले के कारण लगभग 50-80% पैदावार नष्ट हो जाती है। रोग प्रबंधन के एकीकृत तरीके के तौर पर, कंबाइन ऐसे समाधान प्रदान करता है जो न केवल विशिष्ट कीटों को ध्यान में रखकर तैयार किये गए हैं, बल्कि अंगूर की खेती में संभावित रोग संबंधी समस्याओं का भी समाधान करते हैं।
कंपनी ने कंबाइन के 25 साल पूरे होने और किसानों को नक़ली उत्पादों से बचाने के अलावा बेहतर खेती के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के जश्न के तौर पर एक पैक (सेलेब्रेटरी पैक) लॉन्च किया है। कंबाइन का नया पैक उपयोग में आसान (यूज़र फ्रेंडली) है और यह एक सुरक्षित पैकेजिंग बोतल में आता है। इसमें लगी सील से बोतल से छेड़छाड़ होने की स्थिति में, इसका पता चल जाता है। यह सील, बोतल को खोलने की कोशिश करने पर खुलकर गिर जाती है। नकल से बचने के लिए लेबल में जटिल वॉटरमार्क हैं और बोतल में एक होलोग्राम – प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए हर बोतल पर 9-अंक का विशिष्ट कोड- भी है। ग्राहक को यह आश्वस्त करने के लिए कि उत्पाद असली है, होलोग्राम में सावधानी से ‘जी’ अक्षर भी शामिल है, दृष्टिबाधित लोगों के लिए बोतल की गर्दन पर खतरा भांपने के लिए ‘ब्रेल’ भाषा में भी जानकारी अंकित की गई है।
जीएवीएल के मुख्य कार्यकारी, फसल सुरक्षा व्यवसाय, राजावेलु एन.के ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘कीट और बीमारियां, अंगूर की पैदावार पर असर डालती हैं, इसलिए ज़मीनी स्तर पर किसानों को प्रशिक्षण देकर, कृषक समुदाय में एकीकृत रोग प्रबंधन को लोकप्रिय बनाने की ज़रुरत है। अनुशंसित मात्रा के उपयोग से लेकर प्रामाणिक उत्पाद तक, पूरे उद्योग के बीच सहयोग, आज की ज़रूरत है। इसके अलावा, बागवानी के क्षेत्र में प्रभावी एकीकृत कीट प्रबंधन के माध्यम के रूप में बायोस्टिमुलेंट के नवोन्मेषी उपयोग की देश के समग्र निर्यात में अंगूर के योगदान को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
भारत के कृषि क्षेत्र में बायोस्टिमुलेंट के बढ़ते उपयोग से फसल की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है। कृत्रिम रसायनों और जलवायु परिवर्तन के असर के बारे में बढ़ती चिंता के कारण आधुनिक फसल प्रबंधन में इन यौगिकों (कंपाउंड) का महत्व बढ़ गया है। 2021 से उर्वरक नियंत्रण आदेश में बायोस्टिमुलेंट विनियमन को शामिल करना, उत्पादों के ज़िम्मेदार और विवेकपूर्ण उपयोग की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।

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