बी-स्कूल लीडरशिप कॉन्क्लेव में शिक्षाविदों ने की पाठ्यक्रम में बदलाव की वकालत
नई दिल्ली। ईपीएसआई के दो दिवसीय बी-स्कूल लीडरशिप कॉन्क्लेव का समापन बेहद सफलतापूर्वक हो गया, जहाँ विशेषज्ञों और योजनाकारों ने बेहद उपयोगी चर्चाओं में हिस्सा लिया और यह तय किया कि किस प्रकार भारत के बिजनेस एजुकेशन में सुधार लाकर इसे इंडस्ट्री की मौजूदा जरूरतों के अनुकूल बनाया जा सकता है। यह कॉन्क्लेव आयोजित किया गया था जिसका सैद्धांतिक विषय था, ‘बिजनेस एजुकेशन 4.0 : फ्युचराइजिंग इंडियन बिजनेस स्कूल’।
भारत के माननीय उप राष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने कहा कि, “आज, बिजनेस एजुकेशन के क्षेत्र में, हम बदलाव के मुहाने पर खड़े हैं। मैं यह कहना चाहूंगा कि, अब वह समय आ गया है जब हमें “बिजनेस एजुकेशन 4.0 : फ्युचराइजिंग बिजनेस स्कूल्स” के महत्व को समझना ही होगा और इसे वास्तविकता में लाने के लिए हर सम्भव उपाय करने होंगे।“
देश भर के इंजिनियरिंग और मैनेजमेंट संस्थानोँ के पाठ्यक्रम में सुधार पर जोर देते हुए, एआईसीटीई के चेयरमैन डॉ. अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्रिप्टोकरेंसी, ब्लॉकचेन एंड रोबोटिक्स आदि को इंजिनियरिंग और मैनेजमेंट शिक्षा में शामिल करने की जरूरत बताई ताकि इंडस्ट्री की 4.0 की वैश्विक मांग के अनुकूल शिक्षा मुहैया कराई जा सके।एजुकेशन प्रमोशन सोसायटी ऑफ इंडिया के बी-स्कूल लीडरशिप कॉन्क्लेव में एआईसीटीई के चेयरमैन ने कहा कि, इंजिनियरिंग और मैनेजमेंट स्कूलोँ के पाठ्यक्रमोँ में इन नए विषयोँ को शामिल करने से छात्रोँ को भविष्य के इन महत्वपूर्ण विषयोँ के सम्बंध में तैयार करने में सहायता मिलेगी, साथ ही इन आवश्यक क्षेत्रोँ से जुडे नए कौशल उन्हे नए रोजगार क्षेत्रोँ में नौकरियाँ पाने में मदद करेंगे और छात्र वहाँ अधिक आत्मविश्वास के साथ काम कर सकेंगे। नियामक संस्था, एआईसीटीई ने 6 जगहोँ पर प्रशिक्षण शुरू किया है, इस प्रशिक्षण में 60 फैकल्टी सदस्य हिसा ले रहे हैं, जिसके जरिए उन्हेँ भविष्य की उद्योग सम्बंधी जरूरतोँ को समझने में सहायता मिलेगी।एक साल में देश भर में ऐसे तमाम प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
कॉन्क्लेव के पिछले सत्र के दौरान भारत में बी-स्कूलों के एक्रेडिटेशन की आवश्यकता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए एआईसीटीई के चेयरमैन डॉ. अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने उन फायदोँ के बारे में भी बताया जो एक्रेडिटेड यूनिवर्सिटी को मिलते हैं। उन्होने कहा कि, “प्रबंध संस्थानोँ को एक्रेडिटेशन हासिल करने का प्रयास करना चाहिए, यह बेहद आवश्यक है। इसके तीन फायदे हैंय पहला, यह संस्थान को स्वायत्तता हासिल करने की अनुमति देता है। दूसरा, वॉशिंगटन एकॉर्ड के एक सिग्नेटरी के तौर पर, एक्रेडिटेड संस्थानों से पढ़कर निकलने वाले छात्रों को उतना ही योग्य माना जाएगा जितना कि अन्य सिग्नेटरी देशोँ के छात्रोँ को जिनमे अधिक आधुनिक देश भी शामिल हैं। और तीसरा, वैध एक्रेडिटेशन के लिए एआईसीटीई पूरी अवधि के लिए कोर्स को अनुमति देता है। इसके अलावा, संस्थानो द्वारा भुगतान किए जाने वाले तकनीकी शुल्कोँ को भी माफ कर दिया जाता है।“
डॉ. एच. चतुर्वेदी, अल्टर्नेट प्रेसिडेंट, एजुकेशन प्रमोशन सोसायटी ऑफ इंडिया एवम डायरेक्टर, बिमटेक (बीआईएमटेक)ने कहा कि,“मुझे इस कॉन्क्लेव का हिस्सा बनकर बेहद खुशी हो रही है। मेरा यह विश्वास है कि भारत बिजनेस मैनेजमेंट की दिशा में एक अग्रणी भूमिका निभा सकता है। यद्यपि, अन्य सभी क्षेत्रोँ की भांति, मैनेजमेंट की शिक्षा को भी अपग्रेड करने और इसे नियमित रूप से अपडेट करते रहने की जरूर है, ताकि इसे दिनो-दिन बदल रहे व्यवसाय के परिदृश्य के अनुकूल बनाया जा सके। इस तरह के कॉन्क्लेव छात्रोँऔर इंडस्ट्री के प्रतिनिधियोँ के लिए बेहतरी अवसर होते हैं जहाँ वे एक साथ मिलकर आगे के लिए योजना बना चकते हैं।“
भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने मुख्य अतिथि के तौर पर इस कॉन्क्लेव का उद्घाटन किया जहाँ सम्मानित अतिथि के तौर पर प्रो. एरिक कॉर्नुएल, डायरेक्टर जनरल एवम सीईओ, युरोपियन फाउंडेशन फॉर मैनेजमेंट डेवेलपमेंट (ईएफएमडी) भी मौजूद रहे। डॉ. जी विश्वनाथन, फाउंडर व चांसलर, वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेकनॉलजी (वीआईटी), डॉ. एच चतुर्वेदी, अल्टरनेट प्रेसिडेंट, एजुकेशन प्रमोशन सोसायटी फॉर इंडिया (ईपीएसाई) और डॉ. एम आर जयराम, चेयरमैन, एमएस रामैया, यूनिवर्सिटी, बंगलुरूऔर श्री पी. के. गुप्ता. इमिडिएट पास्ट प्रेसिडेंट, ईपीएसआई एवम चांसलर, शारदा यूनिवर्सिटी भी इस दो दिवसीय कॉन्क्लेव में मौजूद रहे।
एशिया के विकास में भारत अहम भूमिका निभा सकता है, क्योंकि वर्ष 2030 तक यह दुनिया की तीसरी सबसे बडी अर्थ्यव्यवस्था बन सकती है। भारतीय बिजनेस स्कूल भी इस यात्रा में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं और दुनिया के लिए अधिक उपयोगी बन रहे हैं। यह कॉन्क्लेव बिजनेस स्कूल के अगुवाओँ के लिए एक ऐसा अवसर है जिसके जरिए वे अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए खोज, मूल्यांकनऔर एक ठोस कदम उठाने के लिए तैयार हो सकते हैं।