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ओएलएक्स ने दिल्ली एनसीआर में साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए उपभोक्ता सुरक्षा पहल शुरू की

दिल्ली। भारत के प्रमुख ऑनलाइन क्लासिफाइड मार्केटप्लेस ओएलएक्स ने अपनी उपभोक्ता सुरक्षा पहलों को शुरू करने की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य यूजर्स को ऑनलाइन लेनदेन करते समय सुरक्षित रखना और इंटरनेट यूजर्स को शिक्षित करना है। इस पहल के तहत, ओएलएक्स विभिन्न तरीकों से ऑनलाइन सुरक्षा को बढ़ावा देगा, जिसमें उत्पाद अपडेट, यूजर्स सुरक्षा दिशानिर्देश और सोशल मीडिया पर एक डिजिटल अभियान शामिल है। ओएलएक्स ने इस पहल के लिए पहले चरण में राजस्थान और कर्नाटक राज्यों में साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यशालाओं का संचालन करने के लिए एक अग्रणी थिंक-टैंक और एनजीओ साइबर पीस फाउंडेशन के साथ भागीदारी की है।
वर्तमान मोबाइल ऐप, जो हाल ही में एक बड़े उन्नयन के दौर से गुजर रहा है, को नई सुविधाओं से युक्त किया गया है जो यूजर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करता है जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी) वाले सुरक्षा युक्तियां (टिप्स) और अन्य क्षमताएं शामिल हैं, जैसे स्पैम और आक्रामक सामग्री (आफेंसिव कन्टेन्ट्स) की बेहतर रिपोर्टिंग। नव उन्नत ओएलएक्स ऐप नवीनतम तकनीकी क्षमताओं द्वारा समर्थित है, जो प्लेटफॉर्म पर आने वाले यूजर्स के विश्वास और सुरक्षा के लिए प्रयासों की बढ़ती एकाग्रता का संकेत देता है। ओएलएक्स यूजर्स को ऐप पर ही संदिग्ध विज्ञापनों या विक्रेताओं की रिपोर्ट करने का अधिकार देता है। इन उपयोगकर्ताओं को फिर ओएलएक्स ट्रस्ट और सुरक्षा टीम द्वारा अवरुद्ध किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अन्य यूजर्स से बातचीत नहीं कर सकें।
ओएलएक्स प्लेटफॉर्म पर संदिग्ध यूजर्स से निपटने के लिए कई कदम उठाएं हैं। प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत यूजर्स और ओएलएक्स पर पोस्ट किए गए विज्ञापन लाइव होने से पहले और बाद में कई जांचों के बीच से गुजरते हैं। ओएलएक्स पर पोस्ट किए गए सभी विज्ञापन संदिग्ध और खराब या गंदी सामग्री को हटाने के लिए कई तकनीकी फिल्टर से गुजरते हैं जो प्लेटफॉर्म पर यूजर्स के पिछले इतिहास, उत्पाद की श्रेणी, उत्पाद की कीमत, विदेशी स्थानों से उभरने, इस्तेमाल की गई भाषा और उत्पाद का वर्णन करने के लिए उपयोग की जाने वाली तस्वीरों को आधार बनाते हैं। ओएलएक्स के पास उन संदेशों को हटाने के लिए फिल्टर भी हैं जो एक यूजर से दूसरे यूजर को ओएलएक्स चैट के माध्यम से भेजते हैं। एक बार जब विज्ञापन और उपयोगकर्ता प्लेटफॉर्म पर आते हैं, तो ओएलएक्स अपने यजर्स की हालिया गतिविधिध्अन्य यूजर्स के साथ सहभागिता के आधार पर संदिग्ध यूजर्स को निकालने के लिए आगे रैण्डमाइज्ड रूप से साइट ऑडिट आयोजित करता है। ओएलएक्स को प्रतिदिन प्राप्त होने वाली लिस्टिंग्स में से लगभग 25 प्रतिशत विज्ञापनों को अस्वीकार कर दिया जाता है और हर महीने 100,000 से अधिक संदिग्ध खातों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।
ओएलएक्स आईपी पते, फोन नंबर और ईमेल को भी ट्रैक करता है जिसे वे नेटवर्क प्रदाताओं के माध्यम से संदिग्ध यूजर्स के स्थान की पहचान करने में सहायता के लिए पुलिस के साथ साझा किया जाता है। ऐसे किसी भी मामले को संभालने वाले कानून प्रवर्तन अधिकारियों को भी 24 घंटे के भीतर त्वरित निवारण के लिए ट्रस्ट और सेफ्टी टीम तक पहुंचते है। इस प्रकार की घटनाओं होने पर यूजर्स सीधे हैल्पलाइन नम्बर +91 9999140999 और ईमेल आईडी safety@olx.in पर जानकारी दर्ज करवा सकते हैं।
इस बारे में ओएलएक्स इण्डिया के जनरल काउन्सिल लावण्य चन्दन ने कहा “दिल्ली एनसीआर में हमारे यूजर्स की सुरक्षा हमारे लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे यूजर्स सुरक्षित रूप से लेन-देन करते हैं, हम खुले एवं बंद प्लेटफॉर्म दोनों पर विभिन्न चैनलों के माध्यम से उन्हें संवेदनशील बनाने में भारी निवेश करते हैं। साइबर पीस फाउंडेशन के साथ हमारी साझेदारी का उद्देश्य इंटरनेट पर साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने में हमारे ऑफलाइन प्रयासों को तेज करना है। हमने कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मजबूत संबंध बनाए हैं और धोखेबाजों से उनको न्याय दिलाने में उनकी लगातार मदद कर रहे हैं। आमतौर पर ओएलएक्स पर और इंटरनेट पर एक गहन अनुभव के लिए यूजर्स को सावधानी बरतनी चाहिए और सुरक्षा सुझावों का अभ्यास करना चाहिए। हमारी री ब्रांडिंग ओएलएक्स को सभी के लिए एक सुरक्षित मंच बनाने के हमारे प्रयासों को तेज करती है। हम ओएलएक्स पर यूजर्स सेफ्टी अनुसंधान पर 2019 में अपना पूरा ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे और ऑनलाइन अपराधियों को एआई और एमएल के माध्यम से यूजर्स को धोखा देने से रोकेंगे।‘‘
इस बारे में सायबर पीस फाउण्डेशन के संस्थापक विनीत कुमार का कहना है ‘‘इन वर्कशाॅप्स का मकसद आन लाइन लेनदेन के प्रति जहां बचाव एवं सुरक्षा के प्रति जागरूकता कायम करना है। इन वर्कशाॅप्स के प्रमुख पहलु प्लेटफाॅर्म केन्द्रित सुरक्षा साधनों एवं सुविधाओं के साथ ही क्या करना है और क्या नहीं करना है के बारे में समग्र जानकारी प्रदान करना हैं। अभियान के दौरान स्वयंसेवक समूहों का भी निर्माण किया जाएगा, वर्तमान में दो राज्यों में हम इन वर्कशाॅप्स का संचालन करेंगे और तकनीकी और कानूनी सहायता के साथ किसी भी साइबर धोखाधड़ी पीड़ितों की सहायता करेंगे। उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा ‘‘हम इस अभियान के माध्यम से यूजर्स को त्वरित समाधान तंत्रों के बारे में शिक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह वर्कशाॅप्स नागरिकों को सही संधाधनों के बारे में जानकारी देंगे ताकि वे अथवा उनका कोई परिचित आॅनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो जाए तो ऐसे में उन्हें सही समाधान मिल सके। हम उन्हें उनके अधिकारों एवं दायित्वों के प्रति जागरूक करेंगे ताकि ग्राहक यह जान सकें कि कौन सही अधिकारी हैं जिनसे उनकी समस्याओं का समाधान मिल सकता है।‘‘

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