व्यापार

लॉकडाउन के दौरान 1313 करोड़ के दलहन और तिलहन की खरीद

नई दिल्ली। सरकार ने लॉकडाउन के दौरान अबतक 1313 करोड़ रुपए के दलहनों और तिलहनों कि खरीद की है। रबी मौसम 2020 के दौरान बीस राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दलहन और तिलहन की खरीद की जा रही है। भारतीय खाद्य निगम और नेफेड ने 1,67,570.95 टन दलहन और 1,11,638.52 टन तिलहन की खरीद की है, जिसका मूल्य 1313 करोड़ रुपये है। इस खरीद योजना से अबतक 1,74,284 किसान लाभान्वित हुए हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में अंतरराज्यीय आवाजाही के साथ-साथ आवश्यक वस्तुओं, फलों और सब्जियों की आपूर्ति और कीमतों की निगरानी के लिए एक अलग सेल का गठन भी किया गया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय महाराष्ट्र से दूसरे राज्यों में प्याज की आपूर्ति के लिए महाराष्ट्र मंडी बोर्ड के संपर्क में है। वर्तमान में, नासिक जिले के अंतर्गत आने वाले कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) देश के विभिन्न हिस्सों जैसेय दिल्ली, हरियाणा, बिहार, तमिलनाडु, पंजाब, कोलकाता, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, उड़ीसा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, असम, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि में औसतन 300 ट्रक प्रतिदिन नियमित तौर पर भेज रही है।
मंत्रालय ने थोक बाजारों को कम करने और आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) पोर्टल को दो नए मॉड्यूल अर्थात गोदाम आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल और किसान निर्माता संगठन (एफपीओ) मॉड्यूल को जोड़कर फिर से तैयार किया गया है। वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल किसानों को वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्लूडीआरए) द्वारा पंजीकृत बाजारों में अधिसूचित गोदामों से अपनी उपज बेचने में सक्षम बनाता है। अब तक 12 राज्यों पंजाब, उड़ीसा, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और झारखंड के एफपीओ ने व्यापार में भाग लिया है।
झारखंड जैसे राज्यों ने ई-नाम प्लेटफॉर्म के माध्यम से फार्म-गेट ट्रेडिंग शुरू की है, जिसके अंतर्गत किसान एपीएमसी तक पहुंचे बिना ऑनलाइन बोली लगाने के लिए अपनी उपज का विवरण तस्वीर सहित अपलोड कर रहे हैं। इसी तरह, ई-नाम के अंतर्गत व्यापार के लिए एफपीओ भी संग्रह केंद्रों से अपनी उपज का विवरण अपलोड कर रहे हैं। हाल ही में ई-नाम प्लेटफॉर्म पर लॉजिस्टिक एग्रीगेटर्स के उबराइजेशन मॉड्यूल का शुभारंभ किया गया है। इससे व्यापारियों को मंडी से लेकर अन्य कई स्थानों पर कृषि उपज के तेजी से आवागमन हेतु अपने आसपास के क्षेत्र में उपलब्ध ट्रांसपोर्टरों का पता लगाने में मदद मिलेगी।

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