संपादकीय

सर्वोच्च न्यायालय कार्यवाहियों की एक झलक

-विमल वधावन योगाचार्य
एडवोकेट (सुप्रीम कोर्ट)

">सर्वोच्च न्यायालय में वीडियो कान्फ्रेंस से सुनवाई जारी :

सर्वोच्च न्यायालय के सात न्यायाधीशों की एक विशेष समिति ने बाॅर ऐसोसिएशन, बाॅर काउंसिल तथा एडवोकेट ऑन रिकाॅर्ड एसोसिएशन के अध्यक्षों से विचार-विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया है कि सर्वोच्च न्यायालय फिलहाल वास्तविक अदालत सुनवाई व्यवस्था को पुनः प्रारम्भ करने पर दो सप्ताह बाद फिर से विचार-विमर्श करेगा। तब तक सर्वोच्च न्यायालय में सभी मुकदमों की सुनवाई वीडियो कान्फ्रेंस के द्वारा ही चलती रहेगी। वैसे इस समिति के न्यायाधीशों ने इस बात पर चिन्ता जताई कि वीडियो कान्फ्रेंस व्यवस्था से वकीलों को बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है इसलिए शीघ्र ही सामान्य अदालत सुनवाई प्रारम्भ की जायेगी। परन्तु इसका निर्णय न्यायाधीशों, वकीलों, पक्षकारों तथा अन्य समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों को कोरोना महामारी के प्रकोप से दूर रखने के लिए दो सप्ताह बाद वाली परिस्थितियों को देखकर ही विचार किया जायेगा। सामान्य अदालत प्रक्रिया प्रारम्भ करने के लिए भी इस न्यायाधीश समिति ने सम्बन्धित संगठनों से सुझाव आमंत्रित किये हैं।

प्रशान्त भूषण के विरुद्ध अवमानना कार्यवाही :

सर्वोच्च न्यायालय के तीन सदस्यों की पीठ ने प्रशान्त भूषण के विरुद्ध 11 वर्ष पुराने एक अवमानना मुकदमें पर सुनवाई प्रारम्भ कर दी है। वर्ष 2009 में प्रशान्त भूषण ने एक साक्षात्कार में कहा था कि अब तक के 16 मुख्य न्यायाधीशों में से आधे भ्रष्ट थे। इस आरोप के साथ ही भूषण ने यह भी कहा था कि उसके पास इस सम्बन्ध में कोई सबूत नहीं है।

विकास दुबे की मौत पर जाँच समिति :

सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के कुख्यात सरगना विकास दुबे की पुलिस मुटभेड़ में मृत्यु को लेकर एक जाँच समिति के गठन को मंजूरी दे दी है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्री बी.एस. चैहान इस जाँच समिति की अध्यक्षता करेंगे। इस जाँच समिति में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक भी शामिल होंगे।

वकीलों को आर्थिक सहायता :

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने बाॅर काउंसिल की पहल पर इस विषय पर सुनवाई प्रारम्भ की है कि केन्द्र तथा राज्य सरकारें कोरोना महामारी के दौरान वकीलों को आर्थिक सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध हों।

राम जन्म स्थान की खुदाई से सम्बन्धित दो याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना :

सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दो याचिकाएँ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई जिसमें याचिकाकर्ताओं ने अयोध्या में राम जन्म स्थान की खुदाई से प्राप्त प्राचीन युग की कीमती वस्तुओं के संरक्षण की प्रार्थना की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका को अयोध्या में मंदिर निर्माण निर्णय को लागू करने में बाधक मानते हुए तथा याचिकाओं को निराधार घोषित करते हुए प्रत्येक याचिकाकर्ता पर एक-एक लाख रुपये जुर्माने का आदेश दिया।

कानूनी प्रश्न का निर्धारण किये बिना उच्च न्यायालय दूसरी अपील स्वीकार नहीं कर सकता :

सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय में यह व्यवस्था जारी की है कि कोई उच्च न्यायालय अपने सामने प्रस्तुत दूसरी अपील याचिका को किसी विशेष कानूनी प्रश्न का निर्धारण किये बिना स्वीकृत नहीं कर सकता।

21 वर्ष बाद विधवा की नियुक्ति का आदेश :

सर्वोच्च न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक आदेश के विरुद्ध सुनवाई पूर्ण की जिसमें हुए 21 वर्ष पूर्व भारत कुकिंग कोल लिमिटेड के एक कर्मचारी को कुछ हमलावर अगवा करके ले गये थे। कानून के अनुसार जब 7 वर्ष तक किसी व्यक्ति की कोई सूचना न प्राप्त हो तो उसे मृत मान लिया जाता है। इस कर्मचारी की पत्नी ने 7 वर्ष बाद भारत कुकिंग कम्पनी से पति के स्थान पर अपने लिए नौकरी की माँग की थी। कम्पनी ने इस माँग को मानने के लिए इन्कार कर दिया। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने विधवा को नौकरी देने का निर्णय दिया। इस निर्णय के विरुद्ध कम्पनी ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की। 21 वर्ष बाद सर्वोच्च न्यायालय ने भी विधवा को नौकरी देने का आदेश तथा दो लाख रुपये मुआवजे का निर्देश भी जारी किया।

दिल्ली में चिकित्सा उपकरणों की गन्दगी :

सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली की कानून छात्रा हर्षिता सिंघल की याचिका पर चिन्ता व्यक्त की है जिसमें कहा गया था कि दिल्ली के कुछ निजी अस्पताल प्रयोग किये जा चुके चिकित्सा उपकरण तथा अस्पताल की अन्य गन्दगी नजदीक के जंगलों, पार्कों आदि में फेंक रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि चिकित्सा उपकरणों को विधिवत नष्ट किया जाना चाहिए।

इण्टरनेट पर बिकने वाली वस्तुओं की उत्पत्ति वाला देश :

सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है जिसमें यह प्रार्थना की गई है कि इण्टरनेट पर व्यापार करने वाली कम्पनियों को प्रत्येक वस्तु की उत्पत्ति वाले देश का नाम स्पष्ट घोषित करने का निर्देश दिया जाये जिससे चीनी उत्पादों का बहिष्कार सम्भव हो सके।

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