संपादकीय

चंद्रयान-3 के बाद अब लूना-25 ने भरी अंतरिक्ष में हुंकार

-सुनील कुमार महला
फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार (उत्तराखंड)

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच हाल ही में रूस ने भारत के चंद्रयान -3 मिशन के साथ होड़ दिखाते हुए अपना चंद्रयान मिशन लांच किया है। रसिया या रूस ने अपने चंद्रयान मिशन को लूना-25 नाम दिया है। यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि रूस ने कोई पांच चार साल बाद नहीं अपितु पूरे सैंतालीस साल बाद अपना मून मिशन सफलतापूर्वक लांच कर दिया है। इस मिशन की सबसे बड़ी बात यह है कि यह मिशन भारत के चंद्रयान मिशन -3 से पहले चांद पर उतरेगा। जानकारी देता चलूं कि रूस के मून मिशन से पहले 14 जुलाई को भारत ने चंद्रयान-3 लॉन्च किया है।
अंतरिक्ष के मामले में रूस भारत समेत विश्व के अन्य सभी देशों से कितना आगे है इस बात का पता हमें मात्र इससे चलता है कि चंद्रयान -3 से करीब एक महीना बाद लांच किए जाने के बावजूद यह हमारे मिशन से पहले चांद की सतह पर लैंडिंग करेगा। हालांकि हमारे मिशन की भी अपनी खासियतें और विशेषताएं हैं लेकिन रूस द्वारा हाल ही में 11 अगस्त की सुबह 4:40 बजे (स्थानीय समायानुसार सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर) के करीब अमूर ओब्लास्ट के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लूना-25 लैंडर मिशन लॉन्च किया गया है । बताया जा रहा है कि लॉन्चिंग सोयुज 2.1बी एक अत्यंत शक्तिशाली रॉकेट से किया गया है ।इसे लूना-ग्लोब मिशन भी कहते हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि रूस ने 1976 के एक लंबे समय के बाद अपना मिशन लांच किया है। यहां पाठकों को यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि जिस प्रकार से भारत के स्पेस संगठन का नाम इसरो है उसी प्रकार से रूसी स्पेस एजेंसी का नाम रोस्कोस्मोस है। जानकारी देना चाहूंगा कि रूस का लूना-25 लैंडर चंद्रयान-3 की तरह 21 या 22 अगस्त को चांद की सतह पर लैंड करेगा वहीं भारतीय मिशन जिसे चंद्रयान-3 नाम दिया गया है, को भारत ने 14 जुलाई को लॉन्च किया था, जो 23 अगस्त को चांद पर लैंड करेगा। अगर इसने लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया तो भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव या साउथ पोल पर उतरने वाला रूस के बाद दूसरा देश होगा। वैसे पाठकों को यहां यह भी बता दूं कि लूना- 25 और चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने का समय करीब-करीब एक ही होगा। लूना कुछ घंटे पहले ही चांद की सतह पर लैंड करेगा। उल्लेखनीय है कि विश्व में अबतक जितने भी चांद मिशन भेजे गए हैं, वे चांद के भूमध्य रेखा पर ही पहुंचे हैं। रूस का वर्तमान में चांद पर भेजा गया लूना-25 मिशन यदि सफल हुआ तो ऐसा पहली बार होगा कि कोई देश चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। रूस के लूना-25 मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर ऑक्सीजन की खोज और आंतरिक संरचना पर रिसर्च करना है, जबकि चंद्रयान-3 का लक्ष्य चांद की सतह पर सुरक्षित और नरम लैंडिंग करना है। जानकारी मिलती है कि रूस के इस मिशन में किट की लंबाई करीब 46.3 मीटर है और इसका व्यास 10.3 मीटर है। इसके बाद 313 टन वजनी रॉकेट 7-10 दिनों तक चांद का चक्कर लगाएगा।
दरअसल,लूना-25 का आकार छोटी कार के बराबर है‌। यहां पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि रूस के चंद्र मिशन का मुख्य उद्देश्य चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग तकनीक को बेहतर बनाना है। यह पानी समेत कई प्राकृतिक संसाधनों की खोज करेगा। लूना-25 लैंडर में कई कैमरे मौजूद हैं। ये कैमरे लैंडिंग की टाइमलैप्स फुटेज और अद्भुत तस्वीरें खींचेगा। वास्तव में, रूस की योजना लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की है, क्यों कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी मिलने की संभावना है। दरअसल, 2018 में नासा ने बताया था कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी मौजूद है। लैंडर में एक खास यंत्र लगाया गया है, जो कि सतह की छह इंच की खुदाई करेगा। इतना ही नहीं लूना- 25 पत्थर और मिट्टी के सैंपल भी जमा करेगा। इससे पता लगाया जा सकेगा कि चांद पर पानी की मौजूदगी है। हालांकि रूस ने अपने लूना -25 के मिशन के बारे में यह बात कही है कि वह किसी देश या स्पेस एजेंसी के साथ प्रतियोगिता नहीं कर रहे हैं। दोनों मिशन में(भारत और रूस) लैंडिंग के लिए अलग- अलग क्षेत्रों की योजना है, लेकिन रूस यूक्रेन युद्ध के बीच अचानक रूस का मिशन लांच करना संपूर्ण विश्व को आश्चर्य में डाल रहा है। सच तो यह है कि रूस के इस अभियान की होड़ कहीं न कहीं चीन और अमेरिका के मून मिशन से है। इधर यह भी कहा जा रहा है कि रूस भारत के मिशन से पहले अपना यह मिशन लांच करना चाहता था लेकिन रूस यूक्रेन युद्ध एवं पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाकर इसके अंतरिक्ष कार्यक्रम को निशाना बनाये जाने के कारण इस मिशन में थोड़ी देरी हुई लेकिन अब रूस ने पश्चिमी देशों, अमेरिका व चीन को यह दिखा दिया है कि रूसी अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करना इतना आसान नहीं है। हालांकि यहां यह भी उल्लेखनीय है कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने लूना-25 में अपना पायलट-डी नेविगेशन कैमरा जोड़ कर इसका टेस्ट करने की योजना बनाई थी, लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद इसने ये योजना छोड़ दी थी। इसी बीच यहां पाठकों को यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग 1969 में चंद्रमा पर पहुंचने वाले पहले शख्स थे और रूस (सोवियत संघ) का लूना-2 मिशन 1959 में चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष यान था। वर्ष 1966 में लूना-9 मिशन चांद पर रूस का पहला सॉफ्ट लैंडिंग मिशन था। बहरहाल, आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 1958 से 2023 तक भारत के अलावा अमेरिका, रूस, जापान, यूरोपीय संघ, चीन और इजराइल ने विभिन्न चंद्र मिशन प्रक्षेपित किये हैं। अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा के अनुसार पिछले 70 साल में 111 में से 62 मून अभियान ही सफल रहे हैं और इनमें 41 विफल हो गये और आठ को आंशिक सफलता मिली है।
जानकारी मिलती है कि चंद्रमा के लिए पहला मिशन ‘पायनियर 0’ अमेरिका ने 17 अगस्त, 1958 को भेजा था जो असफल रहा था। रूस और अमेरिका के उस साल भेजे गये छह और चंद्र मिशन विफल हुए थे। हाल फिलहाल, रूस और भारत दोनों ही चंद्र मिशन को लेकर बहुत ही उत्साहित हैं और वास्तव में यह होना भी चाहिए, क्यों कि मानव नित नवीन खोजों की ओर अग्रसर होना चाहता है। यह अच्छी बात है कि इसरो के साथ ही आज रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस चांद पर जीवन और नयी संभावनाएं तलाश रहे हैं। इसरो तो अब अंतरिक्ष में इंसान तक को भेजने की दिशा में लगातार काम कर रहा है और दो सौ व्यस्क हाथियों के बराबर सबसे भारी राकेट को विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। जानकारी मिलती है कि आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र में निर्मित देश के सबसे भारी रॉकेट भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान जीएसएलवी माक-3 विकसित किया जा रहा है। यह रॉकेट अब तक के सबसे भारी उपग्रहों को ले जाने में सक्षम होगा। अंत में यही कहूंगा कि जो भी हो आज रूस और भारत दोनों अपने चंद्रमिशनों को लेकर हुंकार भर रहे हैं। अंतरिक्ष के मायाजाल को समझना मानव के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है लेकिन मानव ने समय समय पर अंतरिक्ष में अपने मिशन भेजकर अंतरिक्ष की विभिन्न चुनौतियों को स्वीकार किया है और अब आने वाला समय ही बतायेगा कि मानव के प्रयास कहां तक सफल होते हैं ? निश्चित ही किसी भी होड़ व प्रतिस्पर्धा से अच्छे परिणाम आते हैं लेकिन होड़, होड़ के हिसाब से होनी चाहिए, जिसमें मानवजाति का नुक़सान नहीं अपितु भला हो।

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)

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