संपादकीय

विश्व का उपचार करने के लिए भारत की सौम्य शक्ति आयुर्वेद

2014 की शुरुआत से जब से मोदी जी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला है,भारत में चिकित्सा के अन्य पारंपरिक रूपों के साथ, आयुर्वेद को भी जबरदस्त बढ़ावा मिला है।
हमारी समृद्ध विरासत को फिर से जीवंत करने और विश्व के समस्त लोगों के लाभ के लिए मानवता की सबसे पुरानी औषधीय पद्धति—आयुर्वेद—पर फिर से बल देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर उठाया गया एक सोचा-समझा निर्णय था। आयुर्वेद की शक्ति और इसकी जांची-परखी क्षमता में बीमारियों को ठीक करने और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों की पूरक बनने की अपार क्षमता है। पारंपरिक और आधुनिक औषधीय पद्धतियों का यह संयोजन साथ में मिलकर, मन और शरीर के संपूर्ण उपचार के साथ एक उत्कृष्ट ढंग से रोगी की देखभाल करने में एक जादुई दवा की तरह काम कर सकता है। 2014 से मोदी सरकार द्वारा किए गए प्रयासों ने भारतीय आयुष उत्पादों के संभावित बाजार को इतना बढ़ावा दिया है कि 2023 तक यह आश्चर्यजनक रूप से 2300 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। हालांकि, यह केवल इस बात की शुरुआत को रेखांकित करता है कि आयुर्वेद विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा पद्धति को पुनर्जीवित करने और आधुनिक औषधीय पद्धतियों के साथ मिलकर उनके स्वास्थ्य और मन को बेहतर बनाने और इलाज के लिए आवश्यक समग्र प्रयास की दिशा में कितना योगदान दे सकता है।
दुनिया बदल रही है, क्योंकि कई विकसित देश अब उस समस्या का सामना कर रहे हैं जिसे प्रतिबंधित जनसंख्या पिरामिड (युवाओं की संख्या का कम प्रतिशत) के रूप में जाना जाता है। इसका मतलब यह है कि वृद्ध लोगों की संख्या तेजी से युवा आबादी से अधिक हो रही है, क्योंकि जन्म दर में भारी गिरावट जारी है। दूसरी ओर, भारत में बड़ी संख्या में युवा आबादी है जो एक विशाल अवसर है। हमारे युवाओं को एक पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से सशक्त बनाकर, जो नीति, शिक्षा और उन्हें सही ढंग से तैयार करने का सही मिश्रण है, हम वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए अपने स्थानीय समाधानों का उपयोग कर सकते हैं।लोगों के एक निर्वाचित प्रतिनिधि के साथ-साथ भारत सरकार के एक सदस्य के रूप में, यह हमारा कर्तव्य है कि हम ऐसे रास्ते बनाएं जो रोजगार के अवसर पैदा करें और हमारे युवाओं को वैश्विक संकटों के स्थायी समाधान का हिस्सा बनने में सक्षम बनाएं। मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की वजह से, अब हम दुनिया को एक बेहतर और स्वस्थ जगह बनाने के लिए आयुर्वेद की अपनी समृद्ध विरासत को सक्रिय करके इस अवसर को वास्तविकता का रूप दे सकते हैं। जबकि योग पहले से ही लोगों को एक बेहतर जीवन जीने में मदद कर रहा है, आयुर्वेद भारत के युवाओं की मदद से, जो दुनिया को सीखने, प्रशिक्षित करने, इसे अपनाने और मदद करने के लिए तैयार है, दुनिया कोजैसी कि प्रधानमंत्री मोदी का सपना है, एक समग्र स्वास्थ्य सेवा के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, शरीर और मन दोनों के लिए एक समग्र स्वास्थ्य देखभाल समाधान प्रदान करने के लिए तत्पर हैं।
लोग एक उपयुक्त जीवन शैली जीने में समर्थ हो सकें, इसके लिए कार्यक्षम और समग्र स्वास्थ्य समाधान तैयार करने की दिशा में आयुर्वेद को अत्यधिक प्रभावी बनाने के लिए, यह जरूरी है कि समाधान ढूंढते समय आधुनिक समय की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के साथ-साथ चुनौतियों को भी ध्यान में रखा जाए। उदाहरण के लिए, हमारी बदलती कार्यशैली या बदलता सामाजिक परिदृश्य को ही लें। लोगों की तेजी से गतिहीन जीवन शैली के कारण मानव जाति इस समय सबसे गंभीर संकट का सामना कर रही है। एक तरफ जहां नए वायरस मानव स्वास्थ्य पर बार-बार हमला करने के लिए वापस आ रहे हैं, गतिहीन जीवन शैली से उत्पन्न होने वाली बीमारियां जीवन की खराब गुणवत्ता का एक प्रमुख कारण बन रही हैं। जीवन को लगातार होने वाले नुकसान की एक खतरनाक वजह बनती जा रही हैं। इसके लिए खुद को तैयार करने औरसाथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कि पर्याप्त नीतियों के माध्यम से एक आधार तैयार किया गया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में सरकार ने स्पष्ट रूप से एक मॉडल स्वास्थ्य सेवा समाधान की रूपरेखा तैयार की है जो बीमारियों की रोकथाम, अच्छे स्वास्थ्य का संरक्षण और लोगों के रोगों का इलाज करने के लिए मुख्य स्तंभ के रूप में कार्य करती है। नई स्वास्थ्य नीति, 2017 और नई शिक्षा नीति, 2020 रोगों के प्रति प्रतिरोधकता और जीवन के एक तरीके के रूप में ‘स्वास्थ्य सेवा’ पर ध्यान देने के साथ एक राष्ट्र के निर्माण की दिशा में उस सोचको ही प्रतिबिंबित करती है।
स्वास्थ्य सेवा के प्रति नया दृष्टिकोण एक समग्रदृष्टिकोण है, जिसमें एक स्वस्थ समाज के विकास के लिए अच्छे स्वास्थ्य के संरक्षण और इसके रखरखाव पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ये प्रमाणित ज्ञान पर आधारित है, यानी कि आयुर्वेद के माध्यम से भारतीय सभ्यता की सौम्य शक्ति। जिसका उपयोग एक स्वास्थ्य समाज का निर्माण करने के लिए समुदायों, परिवारों और व्यक्तियों द्वारा व उनके लिए किया जाएगा।

दुनिया के लिए नए भारत का नया स्वास्थ्य लक्ष्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में, वैश्विक स्वास्थ्य उद्देश्य ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’से ‘सभी के लिए स्वस्थ, लंबा और संतोषप्रद जीवन’बन गया है। सभी औषधीय पद्धतियों और आयुर्वेद में इस उद्देश्य को प्राप्त करने के बीच एक गुणवत्ता युक्त जो अंतर है, वह वास्तव में अद्वितीय है।आयुर्वेद को अपनाकर कोई व्यक्ति इसकी प्रमाणित उपचारात्मक तरीकों और दवाओं से अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकता है।और यही नहीं, आयुर्वेद मानव शरीर की बीमारियों को दूर करने की क्षमता को बढ़ाता है जो व्यक्ति के शारीरिक और आध्यात्मिक सेहत को बेहतर रखने में मदद करता है।
इसे प्राप्त करने के लिए, हमें शिक्षा के स्तर को उन्नत करके, लोगों के अंदर उनके व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए समाज की सामूहिक इच्छा से सशक्त संस्कृति का निर्माण करके अपने संसाधनों को सक्षम बनाना होगा। जबकि मानव संसाधन का प्रशिक्षण एक मूलभूत आवश्यकता है, आयुर्वेद विज्ञान को भी अपनी उपचार प्रणालियों में आधुनिक औषधीय तकनीकों की ताकत को शामिल कर लेना चाहिए। कई अन्य मुद्दे जैसे दवाएं, गुणवत्तापूर्ण दवाओं तक पहुंच, आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण आदि, समान रूप से महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें कानूनी और व्यावहारिक दोनों दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। यह जरूरी है कि आयुर्वेद की शिक्षा, अनुसंधान, वैज्ञानिक जांच के साथ-साथ उसका प्रचार-प्रसार तर्कसंगत और वैज्ञानिक मूल्यांकन प्रक्रिया के अनुसार किया जाना चाहिए। आयुर्वेद की सफलता के लिए यह दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचने के लिए आवश्यक है।

आयुर्वेद को दुनिया का हीलिंग टच बनाने में भारत की भूमिका

आयुर्वेद एक भारतीय विज्ञान है और हमारी इस अद्भुत विरासत को सक्षम और सशक्त बनाना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है जो दुनिया भर में मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार करे, उसे बेहतर और जीने के उपयुक्त बनाए।
इस दिशा में एक बड़ा कदम तब हासिल किया गया जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) को गुजरात के जामनगर में स्थापित करने की घोषणा की गई। यह आयुष आंदोलन को मिलने वाला एक बड़ा बढ़ावा है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नया जीवन मिला है। उद्घाटन समारोह के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने समग्र स्वास्थ्य के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए आधुनिक स्वास्थ्य सेवा के पूरक के रूप में पारंपरिक औषधीय पद्धतियों की शक्तिशाली प्रणालियों को अपनाने की आवश्यकता पर स्पष्ट रूप से जोर दिया। स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एकत्र करने, अनुसंधान करने और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों में पारंपरिक चिकित्सा के समर्थन नियमों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जीसीटीएम स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करेगा और स्वास्थ्य पर पारंपरिक ज्ञान के जानकारों के लिए समान लाभ भी सुनिश्चित करेगा।
‘हील इन इंडिया’ और ‘हील बाय इंडिया’, जैसी अन्य पहल इस जिम्मेदारी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की गवाही देती हैं। एक ओर जहां ‘हील इन इंडिया’ कार्यक्रम आयुर्वेद और योग में अपनी विशेषज्ञता और ज्ञान प्राप्त करने के लिए दुनिया को भारत लाएगा, ‘हील बाय इंडिया’ स्वास्थ्य पर भारतीय ज्ञान प्रणालियों को अपने पंख फैलाने और दुनिया को अपनी जीवंत, अनुभवात्मक, प्रमाणों पर आधारित स्वास्थ्य देखभाल ज्ञान की छाया में आने का अवसर देगा।
जैसा कि भारत नौवीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो का आयोजन कर रहा है, एक देश के रूप में हमारे लिएकिसी अवसर से कम नहीं है कि हम यह बताएं कि आयुर्वेद, जो कि भारतीय विरासत का एक चमत्कार है, इसे वर्तमान समय में इसकी वास्तविक क्षमता का लाभ उठाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। इस सम्मेलन में, दुनिया भर के 53 देशों के सैकड़ों स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर और पारंपरिक औषधीय पद्धितयों के विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे और आयुर्वेद का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी के इस भव्य बैठक के समापन सत्र को संबोधित करने के साथ, यह सभी विशेषज्ञों के लिए आयुर्वेद के वरदानों और लाभों के बारे में जानने का सबसे बड़ा एकल मंच बन गया है। यह न केवल लोगों के बड़े लाभ के लिए सीखने और साझा करने का एक अनुकूल वातावरण तैयार करेगा,बल्कि यह उस अपार क्षमता का भी प्रमाण होगा, जो आयुर्वेद में एक सौम्य शक्ति के रूप में है, जो अस्वस्थता के खिलाफ एक रक्षा दीवार बनाने और एक समग्र स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण करने में सक्षम है।

-श्री सर्बानंद सोनोवाल
(लेखक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री आयुष मंत्रालय और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री हैं)

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