संपादकीय

उपचुनाव में हार से सबक ले भाजपा

-रमेश सर्राफ धमोरा
राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार (झुंझुनू, राजस्थान)

राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले की श्री करनपुर विधानसभा सीट पर संपन्न हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रूपिंदर सिंह कुन्नर ने भाजपा प्रत्याशी व राजस्थान सरकार में मंत्री सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को 11261 वोटो के अंतर से हरा दिया है। सुरेंद्रपाल सिंह टीटी की हार से भाजपा की किरकिरी हुई है। भाजपा ने उप चुनाव के दौरान अपने प्रत्याशी सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को चुनाव जितवाने के लिए चुनावी प्रक्रिया के दौरान ही मंत्री तक बना दिया था। मगर इसके बावजूद भी वह चुनाव में पराजित हो गए। देश में इस तरह कि यह पहली घटना है। जब चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी प्रत्याशी को मंत्री बनाया गया था। चुनावी प्रक्रिया के दौरान टीटी को मंत्री बनाने को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग तक शिकायत भी की थी। मगर भाजपा ने किसी भी आरोप की परवाह ना करते हुए टीटी को मंत्री पद की शपथ दिलवा दी थी।
राजस्थान में भाजपा की सरकार बने अभी एक महीना भी नहीं हुआ है। उससे पहले ही सरकार को उपचुनाव में बड़ा झटका लगा है। उपचुनाव में हुई हार का असर अगले लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। उपचुनाव की जीत से जहां कांग्रेस पार्टी के नेताओं का मनोबल मजबूत हुआ है जिससे लोकसभा चुनाव में वह और अधिक एकजुटता से चुनाव लड़ने का प्रयास करेंगे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर को अपना प्रत्याशी बनाया था। मगर मतदान से पूर्व ही उनकी मृत्यु होने से चुनाव स्थगित हो गया था। कांग्रेस ने मतदाताओं की सहानुभूति लेने के लिए अपने मृतक विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर के पुत्र रूपिंदर सिंह कुन्नर को प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा था। कांग्रेस का यह दाव सफल रहा और उनका प्रत्याशी चुनाव जीत गया।
श्री गंगानगर लोकसभा क्षेत्र में वैसे भी विधानसभा चुनाव में भाजपा इस बार काफी कमजोरी रही है। क्षेत्र की आठ में से भाजपा सिर्फ दो सीट सादुलशहर व श्रीगंगानगर ही जीत पाई है। पांच सीटों पर श्रीकरणपुर, सूरतगढ, रायसिंह नगर, संगरिया, पीलीबंगा में कांग्रेस व हनुमानगढ़ सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी विजय हुआ है। इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा से 94340 वोट अधिक मिले हैं। भाजपा प्रत्याशियों को पाच लाख 94 हजार 651 वोट व कांग्रेस प्रत्याशियों को छः लाख 88 हजार 991 वोट मिले हैं। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी निहालचंद मेघवाल 406978 वोटो से जीते थे।
2019 के चुनाव में भाजपा के निहालचंद मेघवाल को 897177 वोट व कांग्रेस के भरतलाल मेघवाल को 490199 वोट मिले थे। लोकसभा चुनाव से 2023 के विधानसभा चुनाव तक जहां भाजपा कमजोर हुई है वहीं कांग्रेस मजबूत बनकर उभरी है। मौजूदा सांसद निहालचंद के खुद के विधानसभा क्षेत्र रायसिंह नगर में भी कांग्रेस के सोहनलाल नायक ने भाजपा के बलवीर सिंह लूथरा को 14025 वोटो से हरा दिया है। जबकि रायसिंह नगर सीट पर मौजूदा सांसद निहालचंद के दादा बेगाराम 1972 में, खुद निहालचंद मेघवाल 1998 में, उनके छोटे भाई लालचंद मेघवाल 2003 में विधायक रह चुके हैं।
अपने खुद के विधानसभा क्षेत्र में भी पार्टी को नहीं जीतवा पाने से पांच बार के भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री निहालचंद मेघवाल की स्थिति कमजोर हुई है। 2023 के विधानसभा चुनाव में श्रीगंगानगर लोकसभा क्षेत्र में जिस तरह से कांग्रेस ने बढ़त बनाई है। उसको देखते हुए लगता है कि अगले लोकसभा चुनाव में भी यहां से कांग्रेस का प्रत्याशी ही चुनाव जीत जाएगा।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल के साथ भी सिर मुंडाते ही ओले पड़ने वाली कहावत चरितार्थ हो गई है। मुख्यमंत्री ने भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को स्वतंत्र प्रभार का राज्य मंत्री भी बना दिया था। मगर उनका यह दाव भी फेल हो गया और श्रीकरणपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने सहानुभूति लहर पर सवार कांग्रेस के रूपिंदर सिंह कुन्नर को जीतकर यह दिखा दिया है कि वह किसी भी लालच में आने वाले नहीं है।
विधानसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद हासिये पर धकेल दी गई पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी एक बार फिर मुखर होकर अपने समर्थको को लामबंद कर सकती है। हाल ही में पुलिस महानिरीक्षकों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार तीन दिन तक जयपुर में रहने के बावजूद वसुंधरा राजे ने उनसे एक बार भी मिलना उचित नहीं समझा। इससे लगता है कि उनके मन में आज भी मुख्यमंत्री नहीं बन पाने की टीस है। मंत्रिमंडल गठन में भी उनके समर्थक कई वरिष्ठ विधायकों की भी उपेक्षा की गई है।
हालांकि विधानसभा उपचुनाव में हारने के बाद मंत्री बनाए गए सुरेंद्र पाल सिंह टीटी का मंत्री पद से इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। चुनाव के दौरान जिस तरह से घटनाक्रम चला है उसको देखकर तो यही लगता है कि भाजपा सरकार को अभी जमने में समय लगेगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को अपने मंत्रिमंडल में शामिल सभी मंत्रियों को प्रदेश के अलग-अलग जिलों में भेज कर आमजन की समस्याओं का समाधान करवाना होगा। अब तक सरकार के मंत्री अधिकांशतः जयपुर स्थित सचिवालय में ही बैठते रहे हैं। मगर मुख्यमंत्री को इस परंपरा को बदलकर गांव के अंतिम छोर पर बसे गरीब की सुध लेने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा तभी लोगों को प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का एहसास होगा। मंत्रियों के फील्ड में रहने से आमजन की समस्याओं का भी तेजी से समाधान होगा इसके साथ ही सरकारी ब्यूरोक्रेसी भी सक्रिय होकर काम करेगी।
राजनीति में हार जीत होती रहती है और एक उपचुनाव की हार से सरकार को निराश होने की जरूरत नहीं है। जब सरकार संवेदनशीलता से काम करेगी तो प्रदेश की जनता के दिलों पर राज भी करेगी। मंत्रिमंडल में अभी 6 पद रिक्त है। जिन पर भी मंत्रियों की नियुक्ति की जानी चाहिए। जिससे सरकार और अधिक बड़े स्वरूप में काम कर सके। आगामी लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री भजनलाल सरकार की बड़ी परीक्षा होगी। उसमें वह कितना सफल होते हैं। इस पर उनकी सरकार का भविष्य टिका है।

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