संपादकीयसैर सपाटा

मानसून में दार्जलिंग घूमने का अपना ही मजा है

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
लेखक एवं पत्रकार

प्रकृति का खूबसूरत नजारा लिये दार्जलिंग हिल स्टेशन शिवालिक पर्वत माला की गोद में स्थित है। यह सुन्दर नगर होने के साथ-साथ पश्चिमी बंगाल का जिला मुख्यालय भी है। ब्रिटिश राजाओं के समय दौरान यहां की समशीतोष्ण जलवायु को देखते हुए इसे पर्वतीय स्थल बनाया गया। दार्जलिंग अपनी चाय के लिए विशेष रूप से दुनिया में पहचान बनाता है। पहाड़ी ढ़लानों पर चाय के बगीचे एवं उनमें चाय की पत्तियों को तोड़ते हुए महिलाओं को देखकर दर्शक एक अलग ही अनुभूति करता है। दार्जलिंग तथा इसके आस-पास 87 चाय के उद्यान हैं। शहर से 3 कि.मी. दूरी पर स्थित ”हैपी-वैली-चाय उद्यान“ को देखने के लिए आसानी से पहुँचा जा सकता है। यहां विभिन्न किस्मों की चाय पाई जाती हैं। पहाड़ की चोटी पर ब्रिटिश काल की अनेक इमारतें सैलानियों को आकर्षित करती हैं। यहां प्राचीन एवं आधुनिक भवनों का संगम शहर को एक खास सुन्दरता प्रदान करता है।

टाइगर हिल यहां का सबसे रोमानी पर्यटक स्थल है। हर सुबह पर्यटक यहां चढ़ाई करते हुए नजर आते हैं। इसके पास ही स्थित विश्व की तीसरी सबसे ऊँची चोटी कंचनजंघा को नजदीक से देखने का अवसर मिलता है। कंचनजंगा को रोमांटिक माउन्टेन की उपाधि दी गई है। इसकी सुन्दरता, धूप और छांव में बदलते रंग दर्शकों को अविभूत कर देते हैं। इस चोटी को अनेक बार फिल्मकारों ने अपनी फिल्मों में सुन्दरता से दर्शाया है। यहां चढ़ने के लिए कोई शुल्क नहीं लगता है परन्तु टावर पर चढ़ने एवं इस पर बैठने का शुल्क लगता है। राष्ट्रीय कंचनजंगा उद्यान प्रकृतिक सुन्दरता और जैव विविधता से भरपूर ,यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल है।
टाइगर हिल के नजदीक बना धूम मठ एक ईगा चोइलिंग तिब्बतियन मठ दर्शनीय है। मठ में भगवान बुद्ध की 15 फीट ऊँची मूर्ति स्थापित की गई है जो कीमती पत्थर की है तथा इसपर सोने की परत चढ़ाई गई है। मठ में संस्कृत एवं तिब्बतियन भाषा के बहुमूल्य ग्रंथों का संग्रहालय भी दर्शनीय है।
दार्जलिंग की हिमालय ट्रेन सर्वाधिक प्रसिद्ध है जिसके सम्पूर्ण प्राकृतिक परिवेश को देखते हुए वर्ष 1999 में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत धरोहर के रूप में घोषित किया। विशेष कर बच्चों एवं सभी सैलानियों के लिए यह खिलौना गाड़ी महत्वपूर्ण आकर्षण रखती है। इसका इंजन आज भी वाष्पचलित है। करीब 78 कि.मी. के इस अनोखे ट्रेक का निर्माण 1881 ई. में पूर्ण हुआ। दार्जलिंग हिमालयन रेल मार्ग इंजिनियरिंग का आश्चर्यजनक नमूना है। पूरा रेल खण्ड समुद्रतल से 7546 फीट ऊँचाई पर स्थित है। यह रेल कई टेढ़े-मेढ़े रास्तों तथा वृत्ताकार मार्गों से होकर गुजरती है और पूरे रास्ते का प्राकृतिक परिवेश सैलानियों को एक सपनों की दुनिया में ले जाता है। मार्ग में बताशिया लूप से होकर जब यह ट्रेन गुजरती है तो 8 अंक के आकार की हो जाती है। यह ट्रेन दार्जलिंग से करीब 15 स्टेशन पार कर न्यू जलपाईगुड़ी तक पर्यटकों को ले जाती है। यदि समय कम हो तो भी इस ट्रेन से दार्जलिंग से धूम मठ तक अवश्य जाना चाहिए।

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